इंदौर। भोपाल में हुए सिमी आतंकियों के एनकाउंटर की निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर शनिवार को रीगल तिराहे पर प्रस्तावित मानव शृंखला को पुलिस-प्रशासन ने तानाशाहीपूर्ण रवैया अपनाते हुए नहीं होने दिया। नागरिक समिति के प्रमुख पूर्व महाधिवक्ता आनंद मोहन माथुर व उनके साथी साहित्यकार डॉ. सरोज कुमार को उनके निवास पर ही नजरबंद कर दिया गया। माथुर कार में बैठे तो चाबी निकाल ली, ऑटो रिक्शा में जाना चाहा तो भी बैठने नहीं दिया और पूरे समय पुलिस टीम उन्हें घेरकर बैठी रही। कुछ साथियों को भी घर से उठाकर थाने पर बैठा दिया। रीगल तिराहा पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी व कुछ अन्य को भी जबरदस्ती गाड़ी में बैठाकर थाने ले गए।
शनिवार दोपहर से ही पुलिस टीम व क्राइम ब्रांच के कर्मचारी रतलाम कोठी स्थित माथुर के निवास पर तैनात हो गए थे। माथुर के मुताबिक, इस बीच एडीएम, एएसपी व एसडीएम उन्हें समझाते रहे कि रीगल तिराहे पर नहीं जाएं। शाम 4.30 बजे वे साहित्यकार डॉ. सरोज कुमार व विजयकुमार के साथ रीगल तिराहा जाने के लिए निकले तो एसडीएम अजीत श्रीवास्तव, तहसीलदार राजेश सोनी, सीएसपी पवन मिश्रा, संयोगितागंज टीआई कमलेश शर्मा, एसआई ओंकार भदौरिया ने उन्हें रोका। कार में बैठने पर पहले परिचित वीणा श्रीवास्तव अनहोनी के डर से माथुर की कार के आगे खड़ी हो गईं। ड्राइवर ने गाड़ी स्टार्ट की तो तहसीलदार राजेश सोनी आगे खड़े हो गए। सोनी का कहना था कि वरिष्ठ अफसर आ रहे हैं। गाड़ी अभी नहीं जा सकती। इस बीच किसी ने गाड़ी की चाबी निकाल ली।
माथुर की बेटी डॉ. पूनम माथुर के साथ ही अन्य लोग भी उन्हें समझा रहे थे लेकिन वे नहीं माने। माथुर का कहना था कि मैं धारा 144 तोड़ रहा हूं तो गिरफ्तार कर लेना लेकिन मेरे कर्तव्य को पूरा करने से रोक नहीं सकते। कार से नहीं जाने देने पर माथुर डॉ. सरोज कुमार, मदन परमालिया व अन्य के साथ सड़क पर आए। उन्होंने ऑटो रिक्शा रोकने का इशारा किया तो टीआई कमलेश शर्मा ने रिक्शा वाले को भगा दिया।
गीता भवन चौराहे पर तैनात पुलिस टीम से कहकर माथुर के निवास की ओर रिक्शा आना ही बंद करवा दिया। माथुर करीब डेढ़-दो सौ फीट पैदल चलकर वापस लौट आए। अफसर उन्हें अपनी गाड़ी में ले जाने का कहते रहे, लेकिन वे नहीं माने। साढ़े 4 से साढ़े 5 बजे तक पूरा घटनाक्रम चला लेकिन पुलिस व प्रशासन के अफसरों ने माथुर को जाने नहीं दिया। काफी देर वे घर के बाहर बैठे रहे और प्रशासन की कार्रवाई की कड़ी निंदा की।
साथियों को थाने में बैठाया
वरिष्ठ अधिवक्ता माथुर के मुताबिक, पुलिस एक दिन पहले से ही आंदोलन दबाने में जुट गई थी। सोहनलाल शिंदे, कैलाश लिंबोदिया, रुद्रकुमार, माताप्रसाद सहित नौ लोगों को पुलिस ने घर से निकलते ही पकड़ लिया और इन्हें परदेशीपुरा थाने में बैठा दिया। नागरिक समिति के डॉ. तपन भट्टाचार्य बीमार होने से अस्पताल में भर्ती हैं। वे भी आना चाहते थे लेकिन पुलिस टीम ने उन्हें अस्पताल से निकलने नहीं दिया।
जो भी आया उसे पकड़ते रहे
रीगल तिराहे पर किसी तरह का प्रदर्शन न हो, इसके लिए प्रशासन ने तगड़ी व्यवस्था की थी। दोपहर से ही पुलिस टीम को पूरे इलाके में तैनात कर दिया था। सादी वर्दी में पुलिसकर्मी, महिला पुलिसकर्मी तैनात थे। प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए दूसरे संगठन से जुड़े लोग भी वहां आ गए थे। एक युवक प्रदर्शन में शामिल होने आया तो एसडीएम उसे अपने साथ ले गए और पुलिस के वाहन में बैठाकर रवाना कर दिया। कुछ देर बाद पहुंचे श्यामसुंदर यादव व तीन अन्य लोगों के साथ भी इसी तरह की कार्रवाई की।
प्रदर्शन का विरोध करने आए युवकों से भी इन लोगों का विवाद हुआ। किशोर कोडवानी रीगल तिराहे पर पहुंचे तो डीएसपी सुनील तालान की टीम ने उन्हें घेर लिया। कोडवानी ने अपना पक्ष रखा, लेकिन तालान ने उनकी नहीं सुनी और जबरदस्ती गाड़ी में बैठाकर थाने पहुंचा दिया। सीएसपी प्रभा चौहान का कहना है कि कुछ लोगों को पकड़ा जरूर गया है लेकिन अभी किसी तरह की कार्रवाई नहीं की है।
तानाशाहीपूर्ण कार्रवाई
हम मौन प्रदर्शन करना चाहते थे लेकिन प्रशासन ने तानाशाहीपूर्ण कार्रवाई की है। इस कार्रवाई के खिलाफ भी कदम उठाया जाएगा।
– आनंद मोहन माथुर, पूर्व महाधिवक्ता
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