(डॉक्टर्स के साथ मीटिंग करते स्वास्थ्य मंत्री रुस्तम सिंह।)
इंदौर। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री रुस्तम सिंह ने शुक्रवार को इंदौर-उज्जैन संभाग के स्वास्थ्य अधिकारियों की रेसीडेंंसी कोठी में बैठक ली। करीब डेढ़ घंटे चली बैठक के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने डॉक्टरों को दो टूक कह डाला कि आप खुद देखिए कि आप अच्छा काम कर रहे हैं या नहीं। मरीज डॉक्टर को भगवान मानता है, आप ही तय करें कि वह आपको भगवान माने या शैतान।
उन्होंने डॉक्टरों से कहा, ‘मरीजों को रैफर करने की बजाए चुनौती समझकर उनका इलाज करें। जिम्मेदारी टाले नहीं, निभाएं। आप लोगों की लापरवाही के कारण ही सरकार की किरकिरी होती है। चाहे वह बड़वानी कांड और फिर अन्य कोई घटना हर बाद डॉक्टरों की गलती के कारण प्रदेश का नाम पूरे देश में खराब होता है। परिस्थितियों को मैनेज करना सीखें। किसी भी मरीज इलाज से मना न करें।’
पिछले दिनों झारखंड में हुई घटना के चलते उन्होंने निर्देश दिए कि अपने जिले में चल रहे शव वाहनों की जानकारी मुझे शनिवार सुबह 12 बजे तक चाहिए। शहर में तो स्थिति ठीक है लेकिन जिले के बाहर जाने पर शव वाहनों के रेट 22 रुपए प्रतिकिमी तक पहुंच जाते हैं। इंदौर शहर में संस्थागत प्रसव का आंकड़ा 19 प्रतिशत देखकर वे भड़क गए और सीएमएचओ डॉ. एसएल पोरवाल से कहा, ‘हवाबाजी से काम नहीं चलेगा, इस आंकड़े को 32 प्रतिशत तक पहुंचाया जाए। निजी अस्पतालों में होने वाली प्रसव की जानकारी भी जुटाना आपकी जिम्मेदारी है। मुझे घुमाने की कोशिश मत करना, मैं पहले एसपी रह चुका हूं।’ स्वास्थ्य मंत्री ने अपने एसपी कार्यकाल के बाद से लेकर अब तक संभागीय संयुक्त संचालक डॉ. शरद पंडित के इंदौर में ही पदस्थ रहने को लेकर भी आश्चर्य जताया।
रात 9 बजे तक हो पोस्टमार्टम
अस्पतालों में पोस्टमार्टम का समय 5 बजे से बढ़ाकर 9 बजे कर दिया जाए। उन्होंने डॉक्टरों से पूछा, ‘आप बताएं सूर्यास्त के बाद पीएम क्यों नहीं होना चाहिए?’ इस पर खरगोन के सीएमएचओ ने जवाब दिया कि प्राकृतिक रोशनी में शरीर के अंदर के हिस्सों का असली रंग मालूम चलता है, कृत्रिम रोशनी में नहीं। इस पर मंत्री ने कहा, ‘डॉक्टर साहब मुझे मत सिखाइए, यह गुजरे जमाने की बात है। डॉक्टर तो बॉडी के पास भी नहीं जाते हैं। एसपी रहते मैंने सैकड़ों पोस्टमॉर्टम खड़े रहकर करवाएं हैं। जब न्यूरोसर्जरी जैसे जटिल ऑपरेशन कृत्रिम रोशनी में हो सकते हैं तो पीएम क्यों नहीं? बेवजह शवों को रखकर परिजनों को परेशान न किया जाए।’
उज्जैन से सीखो काम करना
बैठक में उन्होंने उज्जैन जिले के अस्पतालों की तारीफ करते हुए कहा कि यहां के डॉक्टर उज्जैन को मॉडल समझें और वहां जाकर व्यवस्था देखें। इस दौरान उज्जैन के एक पैथालॉजिस्ट को उन्होंने बीच बैठक में ही सस्पेंड कर दिया। इंदौर आने से पूर्व वे उज्जैन पहुंचे जहां उक्त पैथालॉजिस्ट ने उन्हें गलत जानकारी दी थी। स्वाइन फ्लू, डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों के इलाज के साथ उनकी जड़ भी खोजने की कोशिश करें। पता करें कि मरीज क्यों और किस कारण बढ़ रहे हैं। इन बीमारियों से किसी भी मरीज की मौत नहीं होनी चाहिए।
यह भी कहा –
– अस्पताल में सभी उपकरण जैसे एक्सरे, सोनोग्राफी मशीन को खराब होने पर तत्काल सुधारी जाए।
– डेंगू, मलेरिया, स्वाइन फ्लू जैसी बीमारियों को लेकर तत्काल सर्वे कर लोगों तक इलाज पहुंचाएं।
– किसी भी स्थिति में जनता की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
– ठीक काम न करने वाले स्वास्थ्य अधिकारी और कर्मचारियों को बख्शा नहीं जाएगा।
– अस्पताल समय पर खुलें और समय पर बंद हों।
– जिन अस्पतालों में डॉक्टर नहीं हैं, वहां पर नर्स या एनएएम डिलेवरी करवायें।
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