इंदौर. सोमवार को खान नदी में दिखे घडिय़ाल के बच्चे को मंगलवार को वन विभाग की टीम ने खोज निकाला। दरअसल चिडिय़ाघर प्रबंधन की लापरवाही से बाहर निकले घडिय़ाल को प्रबंधन ने जनता के भरोसे छोड़ दिया था, लेकिन बाद में वन विभाग के अफसरों ने सक्रियता दिखाई और नगर निगम की टीम के साथ मिलकर घडिय़ाल के बच्चे को बाहर निकाला।
- जिम्मेदार अफसरों का कहना है कि घडिय़ाल से आमजन को कोई नुकसान नहीं है। जनता सेल्फ डिफेंस में घडिय़ाल को नुकसान पहुंचा सकती थी, जिसके चलते उसे निकालकर सुरक्षित चिडिय़ाघर भेजा गया। मामले में नगर निगम आयुक्त ने सुबह जांच की बात कहने के बाद टीम को रवाना किया और घडिय़ाल के बच्चे को पकड़ा गया।
- तेंदुए को लेकर भी खड़े हुए थे सवालकुछ महीनों पूर्व चिडिय़ाघर से सटे नगर निगम के प्रोटोकाल अधिकारी अशोक राठौर के यहां सीसीटीवी फुटेज में तेंदुआ कैद हुआ था। इसके अलावा तेंदुआ किसी को नहीं दिखा। वन विभाग ने इस घर से 25 किलोमीटर के हर हिस्से का मुआयना किया। कई दिन तक सर्चिंग की लेकिन जंगल से आता हुआ तेंदुआ किसी ने नहीं देखा। इसमें भी चिडिय़ाघर प्रबंधन की लापरवाही से ही यहीं का तेंदुआ बाहर आने की बातें सामने आईं थीं, लेकिन प्रबंधन ने इसे खारिज कर दिया था।
चिडिय़ाघर में गिनती आसान नहीं : यादवचिडिय़ाघर प्रभारी डॉ. उत्तम यादव ने कहा कि चिडिय़ाघर में 54 से ज्यादा घडिय़ालों के बच्चे हैं। इनके लिए छोटा ताल बनाया है। ताल की सफाई के दौरान घडिय़ाल के किसी बच्चे के बाहर निकलने की आशंका है। हालांकि ये किसी के लिए हानिकारक नहीं है। इसे बड़ा होने में लगभग 20 साल लगते हैं।
हम इसे पकडऩे की कोशिश कर रहे हैं। चिडिय़ाघर में मौजूद घडिय़ालों के बच्चों की गिनती आसानी से नहीं की जा सकती है, क्योंकि हमने घडिय़ालों के बच्चों को नैसर्गिक माहौल देने के लिए ताल को प्राकृतिक निवास का रूप दिया है। इसमें जलीय पौधे लगाने के साथ पत्थर भी डाले गए हैं। बच्चे यहां झुंड के साथ छिपकर रहते हैं, इसलिए गिनती मुश्किल है।
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