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क्राइम

व्यापमं घोटाले के एक और आरोपी की संदिग्ध मौत

शनिवार रात पौने 12 बजे सीने में दर्द की शिकायत के बाद उसे जेल के अस्पताल ले जाया गया, वहां से एमवाय अस्पताल रेफर किया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया

Jun 29, 2015 / 01:49 am

जमील खान

Vyapam Scam

Vyapam Scam

भोपाल/इंदौर। व्यापमं महाघोटाले के आरोपियों की मौतों का सिलसिला जारी है। शनिवार देर रात घोटाले में गिरफ्तार किए गए वेटरिनरी डॉक्टर की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। एक तरफ तो उसे लेकर अस्पताल पहुंचे जेलकर्मियों ने पर्ची में पेट दर्द की शिकायत लिखवाई, वहीं जेल प्रबंधन मौत का कारण हार्ट अटैक बता रहा है। हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही यह साफ हो पाएगा कि मौत किस वजह से हुई?

मुरैना निवासी नरेन्द्र (30) पिता कैलाश तोमर को इंदौर एसटीएफ ने 15 फरवरी को गिरफ्तार किया था। कोर्ट में पेश करने के बाद तोमर को जिला जेल में भेजा गया था। वह यहां विचाराधीन कैदी था। जेल प्रबंधन का कहना है, शनिवार रात पौने 12 बजे सीने में दर्द की शिकायत के बाद उसे जेल के अस्पताल ले जाया गया। वहां से एमवाय अस्पताल रेफर किया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।

पीएमटी में गड़बड़ कराने का था आरोप
एसटीएफ ने अमर सिंह मेढ़ा नामक छात्र को पीएमटी पास करवाकर एमजीएम कॉलेज में एडमिशन दिलवाने के मामले में नरेन्द्र को गिरफ्तार किया था। दोनों की मुलाकात महू वेटरिनरी कॉलेज में वर्ष 2006 की बैच के छात्र राजवीर सिंह मौर्य ने करवाई थी। नरेंद्र और राजवीर महू वेटरिनरी कॉलेज में साथ थे। बाद में नरेंद्र फर्जीवाड़े करने वाले गिरोह से जुड़ गया था। व्यापमं घोटाले की मुख्य कड़ी नरेन्द्र जाटव के माध्यम से वर्ष 2009 में एडमिशन कराया गया था। अमर और राजवीर को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका था।

खुद हुआ पेश, मार्कशीट की कॉपी रखी
विक्रम के मुताबिक, महू के वेटरिनरी कॉलेज में पढ़ाई पूरी करने के बाद नरेन्द्र देहरादून में रहा। गिरफ्तारी के वक्त वह भोपाल में रहकर रायसेन की गेरतगंज तहसील में पदस्थ था। 2014 से यहां वेटरिनरी विभाग के असिस्टेंट फील्ड ऑफिसर की डयूटी कर रहा था। विक्रम ने दावा कि नरेन्द्र ने इंदौर के संयोगितागंज एसटीएफ थाने में सरेंडर किया था। जांच दल ने छात्र अमरसिंह की मार्कशीट की फोटो कॉपी खुद भोपाल स्थित घर में रखी और दबाव बनाकर नरेन्द्र और मकान मालिक भीकमसिंह से साइन कराए।

– सीने में दर्द की शिकायत पर नरेंद्र अस्पताल की डिस्पेंसरी ले जाया गया। वहां बीपी 90/120 और पल्स रेट 70 थी। माइनर अटैक की शंका में कैदी को 11.40 पर एमवाय अस्पताल भेजा गया। ओपीडी में पर्ची बनवाने के बाद मेडिसिन विभाग ले जाया गया, जहां से चौथी मंजिल के आईसीयू ले जाने के दौरान दूसरी बार अटैक आया। पेट दर्द की बात अस्पताल के कर्मचारी ने गलत नोट की है, जेल से भेजे गए रैफर पर्ची में चेस्ट पेन लिखा गया था। नरेन्द्र ने जेल में किसी परेशानी की शिकायत नहीं की थी। आरएस भाटी, जिला जेल अधीक्षक

– मर्ग कायम कर डॉक्टर्स के पैनल से पीएम कराया गया है। पीएम रिपोर्ट मिलने पर ही मौत का कारण स्पष्ट हो पाएगा। डीएस बघेल, टीआई संयोगितागंज

एसटीएफ खंगाल रही मौतों का रिकॉर्ड
व्यापमं घोटाले के आरोपियों की मौतों की जांच भी एसटीएफ कर सकती है। इसके लिए एसटीएफ ने संबंधित थानों से पूरा रिकॉर्ड तलब किया है। गौरतलब है कि घोटाले से जुड़े आरोपियों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत का सिलासिला जारी है। एसआईटी ने पिछले दिनों हाईकोर्ट को सौंपी अपनी रिपोर्ट में इन मौतों का जिक्र भी किया है। इसके बाद हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच रिपोर्ट जुटाने का जिम्मा एसटीएफ को सौंपा है। उच्च न्यायालय ने एसआईटी से ये भी पूछा है कि क्या इन सभी मौतों की जांच दोबारा से एसटीएफ से करानी चाहिए।

मौत अटैक से या फिर कुछ और
जे ल प्रबंधन मौत का कारण हार्ट अटैक मान रहा है, वहीं एमवाय अस्पताल के रजिस्टर में नरेन्द्र को जेल से लाने वाले हेड कांस्टेबल दिनेश यादव ने पेट दर्द की शिकायत नोट कराई थी। ऎसे में सवाल यह है कि नरेंद्र हार्ट अटैक से मरा या मौत की कोई और वजह है।

नहीं थी हार्ट की बीमारी, मारपीट का संदेह
भा ई विक्रम ने कहा, नरेन्द्र को कोई ह्वदय रोग नहीं था। गुरूवार को मैंने उससे जेल में मुलाकात की थी। शनिवार दोपहर में ही फोन पर बात हुई थी, तब भी उसने कोई परेशानी नहीं बताई थी। विक्रम ने आरोप लगाया कि जेल में उनके साथ मारपीट या कुछ और हुआ है। शाम को पीएम होने के बाद शव अंतिम संस्कार के लिए मुरैना के ग्राम पोरसा ले जाया गया। नरेन्द्र की शादी नहीं हुई थी। परिवार में दो भाई हैं। परिवार मुरैना में खेती करता है।

बढ़ रहा मौतों का आंकड़ा
55 मामले हैं घोटाले में
2500 लोग आरोपी हैं
1980 लोग गिरफ्तार
500 की गिरफ्तारी बाकी
42 से ज्यादा मौतें

जमानत ले गया पूर्व मंत्री का पीए, अब लगी आपत्ति
जबलपुर. वनरक्षक भर्ती परीक्षा में दलाल की भूमिका निभाने के आरोपी भोपाल के नेहरू नगर निवासी राजेंद्र सिंह गुर्जर को गिरफ्तारी के महज 15 दिन के अंदर हाईकोर्ट से जमानत मिल गई। गुर्जर पूर्व मंत्री जगदीश देवड़ा का पीए रह चुका है। व्यापमं घोटाले से जुडे एक मामले पर संबंधित अधिवक्ता ने जब हाईकोर्ट का इस ओर ध्यानाकष्ाüण कराया, तब राज्य सरकार की आंखें खुलीं। हाईकोर्ट के कड़े रवैये के बाद प्रदेश सरकार ने अब आईपीसी की धारा 439 (2) के तहत राजेंद्र की जमानत निरस्त करने की अर्जी हाईकोर्ट में दायर की है। इस पर गुर्जर को नोटिस जारी किए गए हैं। अर्जी पर सुनवाई एक जुलाई को होगी।

16वें दिन बाहर
राजेंद्र गत 22 मई को गिरफ्तार हुआ था। उसने भोपाल जिला अदालत में जमानत की अर्जी दायर की थी जो खारिज हो गई, फिर वह हाईकोर्ट पहुंचा। आठ जून को जमानत पर सुनवाई हुई और आश्चर्य की बात ये रही कि प्रदेश सरकार की ओर से कोई आपत्ति नहीं जताई गई। कोर्ट ने उसे जमानत दे दी। इस प्रकार राजेंद्र 16वें दिन जेल से छूट गया।


दलाली में पकडे गए प्राध्यापक की मौत
ग्वालियर. पीएमटी 2008 बैच में फर्जी तरीके से दो छात्रों को पास कराने में आरोपी डॉ. राजेन्द्र आर्य की शनिवार दोपहर को मौत हो गई। डॉक्टर्स राजेन्द्र को पीलिया और किडनी फेल होना बताया है। लेकिन परिवार पुलिस पर प्रताड़ना का आरोप लगा रहा है। राजेन्द्र को एसआईटी ने करीब एक साल पहले फर्जीवाडे में राउंडअप किया था। कोर्ट ने आर्य को जमानत दी थी। एसआईटी का कहना है राजेन्द्र को परिजनों ने शुक्रवार को गोला का मंदिर स्थित निजी नर्सिग होम में भर्ती कराया। रात को हालत बिगड़ी तो परिजन शनिवार सुबह तड़के आर्य को जयारोग्य अस्पताल के पास निजी नर्सिग होम ले आए। कुछ घंटे बाद उनकी मौत हो गई। परिजनों का कहना है राजेन्द्र जमानत पर रिहा होने के बाद से डिप्रेशन में थे। कुछ दिनों से पीलिया हो गया था।

करीब 4 दिन पहले बीमारी की हालत में बेटे राहुल को कोचिंग ज्वाइंन कराने के लिए कोटा (राजस्थान) ले गए थे। शुक्रवार को लौटते वक्त मोहना पहुंचे थे। उनके मोबाइल पर पुलिस अधिकारी का फोन आया। राजेन्द्र को पूछताछ के लिए आने को कहा। फोन अण्टेड करने के बाद वह डिप्रेस हो गए। घर पहुंचकर ब्लड प्रेशर हाई हुआ। हालत बिगड़ने पर इलाज के लिए ले जाया गया। डॉक्टर्स ने किडनी इंफेक्शन और लीवर में खराबी बताई।

यह थे आरोप
एसआईटी ने राजेन्द्र को 2008 बैच में गोहद निवासी विश्वनाथ गुर्जर और मुरैना निवासी गौरव चौधरी को दलाल प्रमोद रंजन निवासी झांसी के जरिए फर्जी तरीके से पीएमटी पास कराने में राउंडअप किया था। राजेन्द्र बुंदेलखण्ड मेडिकल कॉलेज में प्राध्यापक था। एसआईटी ने राजेन्द्र को तो पकड़ा लेकिन दलाल प्रमोद को नहीं पकड़ सकी।

सीबीआई जांच हो
अब व्यापमं घोटाले के अहम आरोपी लक्ष्मीकांत शर्मा, पंकज त्रिवेदी और नितिन महिंद्रा की जान को खतरा है। इन तीनों मेे से किसी की भी मौत होती है, तो सत्ता में बैठे बड़े अपराधी बच जाएंगे। इसलिए इनकी सुरक्षा की जानी चाहिए। इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की जानी चाहिए।-सत्यदेव कटारे, नेता प्रतिपक्ष

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