नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी के
बढ़ते इस्तेमाल को विश्व मंच पर भारत के महत्व का प्रतीक बताते हुए सोमवार को
विश्वास व्यक्त किया कि इसे जल्दी ही विश्व संस्था में मान्यता मिल जायेगी। हिन्दी
दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में राजभाषा पुरस्कार प्रदान करने के बाद मुखर्जी
ने कहा कि अब हिन्दी की गूंज संयुक्त राष्ट्र जैसी विश्व संस्थाओं में भी सुनाई दे
रही है।
गत सितम्बर में हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त
राष्ट्र में अपना संबोधन हिन्दी में किया। इसके बाद दिसम्बर में संयुक्त राष्ट्र ने
21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का ऎतिहासिक निर्णय लिया। इससे
पता चलता है कि विश्व संस्था में हिन्दी का महत्व बढ़ रहा है और वहां इसे जल्दी ही
मान्यता दी जायेगी। राष्ट्रपति ने हिन्दी भाषा को भारत के पारंपरिक ज्ञान, प्राचीन
सभ्यता और आधुनिक प्रगति में महत्वपूर्ण कड़ी बताते हुए जोर देकर कहा कि विज्ञान और
प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी इसके इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उन्होंने
कहा कि इससे ग्रामीण आबादी भी देश की प्रगति में भागीदार बन सकेगी। इसके लिए तकनीकी
ज्ञान की पुस्तकों का सरल भाषा में अनुवाद होना चाहिए और यह अन्य भाषाओं में भी
उपलब्ध होनी चाहिए।
मुखर्जी ने कहा कि उन्हें यह जानकर अच्छा लगा है कि
कार्यालयों में हिन्दी का उपयोग बढ़ रहा है। तेजी से बदल रहे वैश्विक आर्थिक
परिदृश्य में हिन्दी की अपनी अलग छाप है। दुनिया भर में रहने वाले भारतीय मूल के
लोग भी हिन्दी का संपर्क भाषा के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे अंतर्राष्ट्रीय
स्तर पर हिन्दी को नई पहचान मिली है। राष्ट्रपति ने हिन्दी भाषा में उल्लेखनीय
योगदान करने वालों को राजभाषा पुरस्कार मिलने पर बधाई भी दी। उन्होंने सभी से
हिन्दी भाषा के उपयोग को बढ़ावा देने का अनुरोध भी किया। कार्यक्रम में गृह मंत्री
राजनाथ सिंह और गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू भी उपस्थित थे।
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