ग्वालियर-चंबल संभाग के आठ जिलों में ट्रांसफॉर्मर फेल होने के बाद उनकी मरम्मत नहीं कराई जाती है। हर बार नए ट्रांसफॉर्मर खरीदकर दिए जाते हैं, जबकि शहर में स्माल ट्रांसफॉर्मर यूनिट व मेजर ट्रांसफॉर्मर यूनिट में लाखों की मशीनें कंडम हो रही हैं। इन मशीनों पर काम करने वाले तकनीकी स्टाफ को लंबे समय पहले अन्य काम में लिया गया है।
ग्वालियर. ग्वालियर-चंबल संभाग के आठ जिलों में ट्रांसफॉर्मर फेल होने के बाद उनकी मरम्मत नहीं कराई जाती है। हर बार नए ट्रांसफॉर्मर खरीदकर दिए जाते हैं, जबकि शहर में स्माल ट्रांसफॉर्मर यूनिट व मेजर ट्रांसफॉर्मर यूनिट में लाखों की मशीनें कंडम हो रही हैं। इन मशीनों पर काम करने वाले तकनीकी स्टाफ को लंबे समय पहले अन्य काम में लिया गया है। अब साल भर में साढ़े चार सौ ट्रांसफॉर्मरों की मरम्मत की गई। फेल ट्रांसफॉर्मर का मटेरियल खरीदने की नया ट्रांसफॉर्मर खरीद लेते हैं। फेल ट्रांसफॉर्मरों को सुधारने की अपेक्षा उन्हें कंडम घोषित किया जा रहा है।
संभाग के भिंड, मुरैना, दतिया, शिवपुरी, श्योपुर, गुना, ग्वालियर जिले के 12 लाख उपभोक्ताओं को बिजली सप्लाई के लिए 90 हजार 737 ट्रांसफॉर्मर हैं, जोकि हर साल करीब छह प्रतिशत ट्रांसफार्मर फेल होते हैं। अत: 5 हजार के आसपास हर साल ट्रांसफॉर्मर फेल होने की रिपोर्ट दर्ज की जाती है। फेल ट्रांसफॉर्मर की रिपेरिंग करने के लिए करीब तीन साल पहले लाखों रुपए की मशीनें मेजर ट्रांसफॉर्मर रिपेयरिंग यूनिट एवं स्माल ट्रांसफॉर्मर रिपेरिंग यूनिट (एमटीआरयू-एसटीआरयू) मशीनें खरीदी गईं थीं। यह मशीनें खरीदे जाने के बाद कुछ दिनों तक रिपेरिंग का काम चला। फिर मटेरियल का टोटा आता जा रहा है।
इस पूरे मामले में एमटीआरयू व एसटीआरयू इंचार्ज डीके शर्मा से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि जो लक्ष्य निर्धारित है उन्हें पूरा कर रहे हैं। मटेरियल व स्टाफ न होने के बारे में कुछ नहीं कह सकता हूं। इस पूरे मामले में चीफ इंजीनियर्स एसके उपाध्याय से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि जो कमी है उन्हें जल्द पूरा किया जाएगा।
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