जिस जवान को दुश्मन की पांच गोलियां न मार सकीं, उसे नोटबंदी ने मार दिया
आगरा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के एक रिटायर्ड जवान ने बैंक से नकदी ना मिलने से परेशान होकर खुदकुशी कर ली..
•Dec 13, 2016 / 05:35 pm•
राहुल


retired crpf man commit suicide due to cashcrunch
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नोटबंदी का फैसला कई मायनों में सही कदम हो सकता है लेकिन इस फैसले ने कई लोगों की जिंदगियों को समाप्त कर दिया है। एक तरफ आम जनता कैश ना होने की दुक्कतें झेल रही हैं तो वहीं दूसरी ओर करोड़ों रूपये की नई करेंसी बरामद की जा रही है।
नोटबंदी के कारण ही उत्तर प्रदेश के आगरा से एक आत्महत्या का मामला प्रकाश में आया है, बताया जा रहा है कि आगरा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल(सीआरपीएफ) के एक रिटायर्ड जवान राकेश चंद ने बैंक से नकदी ना मिलने से परेशान होकर खुदकुशी कर ली। मृतक राकेश कई बार पैसे निकलवाने के लिए बैंक गए लेकिन हर बार उन्हें खाली हाथ ही वापस आना पड़ा। बीमारी में इलाज न करा पाने से दुखी होकर उन्होंने खुद को लाइसेंसी बंदूक से गोली मार ली। उन्हें इलाज के लिए पैसों की जरुरत थी।
जिसे दुश्मन की पांच गोलियां न मार सकीं, उसे नोटबंदी ने मार दिया-

राकेश ने दुश्मनों से तो लोहा लेते हुए दो-दो कर लिए लेकिन देश के अंदरूनी हालातों ने उनकी जीवन लीला को समाप्त कर दिया।राकेश को सीआरपीएफ में रहने के दौरान कश्मीर में तैनाती के समय साल 1990 में पांच गोलियां लगी थीं। लेकिन ऑपरेशन से उनकी गोलियां निकाल दी गईं थीं। ये बहुत ही दुर्भाग्यशील बात है कि राकेश आतंकियों की गोलियां तो झेल गए लेकिन नोटबंदी ने उनका जीवन समाप्त कर दिया। उनके बेटे सुशील ने बताया कि सीआरपीएफ में रहने के दौरान गोली लगने के बाद से उनके हार्ट में समस्या थी।
राकेश साल 2012 में सीआरपीएफ के हैड कांस्टेबल पद से रिटायर हुए थे। कई दिनों से वहले ताजगंज स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शाखा से पैसे निकलवाने जा रहे थे। लेकिन हर रोज खाली हाथ लौटते थे। राकेश के बेटे का कहना है कि पिता को हार्ट के इलाज के लिए पैसों की जरुरत थी। उन्हें 15 हजार रुपये की पेंशन मिलती थी। डॉक्टर के पास जाने और दवाइयों के लिए उन्हें 6-7000 रुपये चाहिए थे।

गौरतलब है कि पीएम मोदी के पुराने नोट बंद करने वाले फैसले से लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। पैसे के लिए बैंक के बाहर अब भी लंबी कतार लगी हुई है। वहीं अभी तक कैश की परेशानी दूर नहीं हुई है।
नोटबंदी के बाद नकदी के लिए मारामारी है। जिन एटीएम से कैश निकल रहा था वहां कतार लगी हैं। नोटबंदी के बाद नकदी की किल्लत ने लोगों को ही नहीं, बैंकों को भी परेशान कर रखा है।
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