नई दिल्ली। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि शहर में शराब पर प्रतिबंध लगाने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि आप सरकार राष्ट्रीय राजधानी में शराब की बिक्री से जमा होने वाले पैसों से शहर का प्रशासन नहीं चलाना चाहती। विधानसभा में तिमारपुर के आप विधायक पंकज पुष्कर के एक सवाल का जवाब देते हुए उपमुख्यमंत्री ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह जनता को धोखा देने के लिए शराब की दुकानों की संख्या पर भ्रामक आंकड़े दे रही है।
बीजेपी के कई नेता चला रहे शराब की दुकानें
सिसोदिया ने साथ में यह भी कह दिया कि वो एक्साइज विभाग के जरिए अब ये भी पता करवाएंगे कि कितने नेता शराब का ठेका चलाते हैं और कितने नेताओं की दुकानों में शराब की सरकारी दुकानें खुली हुई हैं। सिसोदिया साथ में यह सफाई देना भी नहीं भूले कि उनके विधायक या नेता इस तरह के धंधे में नहीं है कि वो शराब का कारोबार करें। इसीलिए उन्हें इस तरह की जांच या सूची से डरने की जरूरत नहीं है। उनका इशारा बीजेपी नेताओं की तरफ था, क्योंकि इसके पहले आप विधायक सरिता सिंह ने शराब नीति पर चर्चा के दौरान ये कहा था कि दिल्ली सरकार तो शराब की बिक्री कम करने के लिए काम कर रही है, लेकिन बीजेपी के कई नेता शराब की दुकानें चला रहे हैं।
आप सरकार ने दिए 58 नई शराब दुकानों को लाइसेंस
इसके पहले विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया था कि दिल्ली सरकार पंजाब में तो नशे के विरोध में है और उसे चुनावी मुद्दा बना रही है, जबकि दिल्ली में उसके कार्यकाल में शराब दुकानों की संख्या लगातार बढ़ रही है। विजेंद्र गुप्ता ने दिल्ली सरकार के एक आरटीआई में दिए गए जवाब का हवाला देकर बताया कि जब से केजरीवाल मुख्यमंत्री बने हैं, तब से दिल्ली में शराब की 58 नई दुकानें खुल गई हैं। साथ ही पब और बार को भी सैंकड़ों की संख्या में लाइसेंस जारी किए गए हैं।
विलासिता कर संबंधी संशोधन विधेयक हुआ पारित
शराब के मुद्दे पर हो रहे चर्चा के अलावा विधानसभा ने मंगलवार को होटलों के कमरों पर लगने वाले विलासिता कर संबंधी संशोधन विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि इस कदम से दिल्ली के पर्यटन, व्यापार और आम जनता को फायदा होगा। संशोधक विधेयक के मुताबिक, अब 1500 रुपए प्रतिदिन तक के किराए वाले कमरों पर विलासिता कर नहीं देना होगा। सिसोदिया ने कहा कि 750 से 1200-1500 रुपए खर्च करने वाला विलासिता की श्रेणी में नहीं आता है, वो आम आदमी है। इस वर्ग के लोग ट्रांजिट के रूप में दिल्ली आते हैं, रिश्तेदारी में आते हैं, कोर्ट केस में लिए आते हैं या छोटे व्यापारी या टूरिस्ट होते हैं जो बजट होटल की तलाश में होते हैं। इससे आम जनता, छोटे होटलों और पर्यटन के साथ-साथ सरकार को भी फायदा है क्योंकि कर संग्रह में होने वाले खर्च में कमी आएगी और संग्रह के लिए बड़ी मशीनरी की जरूरत नहीं होगी। सरकार ने सोमवार को संशोधन विधेयक सदन के पटल पर रखा था।
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