सरकारें जनता के द्वारा और जनता के लिए चुनी जाती हैं। आदर्श सूत्र है। इसे जपा ज्यादा जाता है। अमल में कम। राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में सरकारों के दो वर्ष पूरे हुए। तीनों राज्यों में लगभग 17 करोड़ की आबादी है। इन्हें इंतजार है विकास का। सरकारों के दावे कागजों पर लहराते दिखते हैं। जमीन पर सूखा पड़ा होता है। आयोजन कर सरकारें सफलता का बखान करती हैं। पर जनता के ख्वाब कब पूरे होंगे। शायद उसे तो पांच साल बाद ही याद किया जाएगा। तीनों ही सरकारें चालीस फीसदी पारी खेल चुकी हैं। अब तक जनता से किए वादों में कितने पूरे हुए, कितने बाकी हैं? जनता को इंतजार है ‘विकास’ के महानारे का। कब पूरा होता नजर आएगा या फिर…..
मध्यप्रदेश : वादे रहे अधूरे
क्या थे चुनावी वादे और कैसे हैं हालात
1. सबको आवास योजना
2. नई फसल बीमा योजना
3. मेडिकेयर पॉलिसी
4. छोटे मकानों की बिल्डिंग परमिशन
ये है हकीकत
हालात में ज्यादा सुधार नहीं
15 लाख मकान बनना है। सभी 378 शहरों का रोडमेप बन रहा।
ओले-पाले और सूखे ने दो साल में किसानों की कमर तोड़ दी है।
सरकार ने अलग से मेडिकेयर पॉलिसी शुरू नहीं की है।
3200 वर्गफीट तक की बिल्डिंग परमिशन आर्किटेक्ट द्वारा।
क्या रहे कारण
सरकारी उदासीनता दूर होना जरूरी
सभी को आवास के लिए 2022 में योजना शुरू, लेकिन लाभ नहीं
ड्राफ्ट बना, केन्द्र की हरीझंडी मिलते ही शुरूआत।
केन्द्र की येाजना के बाद राज्य ने पॉलिसी पर ध्यान नहीं दिया।
नए प्रावधान का आर्किटेक्ट विरोध कर रहे हैं।
राजस्थान : वादों की मंजिल अभी दूर
क्या थे चुनावी वादे, कैसे हालात
हर गांव-ढाणी में सड़क
पानी की किल्लत होगी खत्म
शिक्षा की अलख फैलेगी
हर हाथ को मिलेगा रोजगार
ये है हकीकत
20,000 किलोमीटर सड़कों का निर्माण अब भी हकीकत से कोसों दूर है। इस साल मात्र 3,000 किमी सड़कों के टेंडर। निवेशकों का अनमना रवैया।
राज्य के 12 जिलों के 4,700 गांव डार्क जोन में हैं। 3,000 अन्य गांवों में पानी की किल्लत। 26 जनवरी, 2016 को जल संरक्षण मिशन शुरू होगा।
वर्ष 2014 में स्कूल एकीकरण से विद्यार्थियों के पंजीयन में कमी आई। बाद में सरकार ने सुधार किए। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में 30 इंजीनियंरिंग बंद हो चुके।
सरकार का दावा, 60,000 को नौकरियां दी जा चुकी हंै। 1.20 लाख को जल्द दिया जाएगा रोजगार। पर अब भी बड़ी सरकारी भर्तियों का इंतजार।
10 बड़ी समस्याएं जो दो साल गुजरने के बाद भी कायम
स्वास्थ्य सेवाओं से बड़ी आबादी वंचित। डॉक्टरों की कमी
विद्युत क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का अभाव, 24 घंटे बिजली नहीं।
प्राकृतिक आपदाओं में कृषकों को पर्याप्त मुआवजा नहीं।
स्कूलों में शिक्षक और आधारभूत सुविधाएं नहीं।
लोकायुक्त कानून मजबूत नहीं, भ्रष्टाचार से लोग त्रस्त।
पुलिस एक्ट की अभी तक पूर्ण रूप से पालना नहीं।
रोडवेज की हालत खस्ता, कई मार्गों पर परिवहन नहीं।
महंगाई बेकाबू, जब्त दाल अब तक बाजारों में नहीं पहुंची।
कर्मियों के लिए कोई स्थायी तबादला नीति का अभाव।
पर्यटन की अपार संभावनाएं, पर राज्य देश में 5 वें नंबर पर।
छत्तीसगढ़ : दावे नहीं दवा की दरकार
क्या थे चुनावी वादे, कैसे हालात, क्या हैं उम्मीदें
1. धान पर 300 रुपए प्रति क्विंटल बोनस।
2. किसानों को 5 साल पूरी बिजली मुफ्त मिलेगी।
3. उद्योग में 90 फीसदी स्थानीय युवाओं को काम।
4 स्कूली बच्चियों को मिलेंगी साइकिलें।
ये है हकीकत
सूखे के भयावह हालात के बावजूद धान पर बोनस नहीं।
किसानों के लिए 9 हजार यूनिट बिजली ही मुफ्त की।
आउटसोर्सिंग के जरिए नौकरियों में बाहरी युवाओं को तवज्जो।
कई बच्चियों को साइकिलों की जगह नगद राशि बांटी।
क्या रहे कारण
धान पर बोनस मामले में केंद्र से है मदद की उम्मीद।
मुफ्त बिजली मामले में बजट नहीं होने का दिया हवाला।
आउटसोर्सिंग पर कहा, राज्य में शिक्षित-योग्य युवाओं की कमी।
साइकिल वितरण का कार्यक्रम औपचारिकता बनकर रह गया।