भारतीय रेलों में दुर्घटना चेतावनी प्रणाली लागू करने की योजना
यह प्रौद्योगिकी भविष्य में चालक रहित रेल संचालन को सक्षम करने और दुनिया भर में सभी उपलब्ध प्रणालियों के बीच सबसे अग्रिम है


लखनऊ। भारतीय रेल दो दशक से भी ज्यादा लंबे इंतजार तथा सालों तक चले ट्रायल के बाद स्वदेशी विकसित ‘दुर्घटना चेतावनी प्रणाली’ को 2016-17 के रेल बजट में लागू कर विश्व की तीसरी सबसे बडी रेल नेटवर्क 66,000 किलोमीटर हिस्से को कवर करेगी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि यह विश्व में सबसे सस्ती प्रणाली है। इसे लागू करने पर प्रति किलोमीटर अनुमानित खर्च 10 लाख रूपए आएगा।
इसे भारतीय रेल के ट्रंक रूट दिल्ली-मुगलसराय और दिल्ली-झांसी के बीच अगले वर्ष मार्च के बाद लागू किये जाने की संभावना है। आगामी रेल बजट में भारतीय इंजीनियरों की यह तकनीक प्रधानमंत्री के ‘मेक इन इंडिया पहल’ का एक सार्थक कदम है। सूत्रों के अनुसार प्रोजेक्ट पायलट की सफल रिपोर्ट पर दक्षिण मध्य जोन में सिकंदराबाद मंडल के 250 किलोमीटर लम्बे ट्रैक पर पहले इसका ट्रायल हुआ। देश भर में इस सिस्टम की श्रृंखला के लिए उचित मार्ग प्रशस्त किया गया है।
यह रेलवे बोर्ड पर निर्भर है कि वह इस प्रणाली को लागू करने में कैसे और कितना धन आवंटित कर सकते है। सूत्रों ने बताया कि प्रणाली देश में रिसर्च डिजाइन्स एण्ड स्टैन्र्ड्स आर्गनाइजेशन (आरडीएसओ) द्वार पहले रेल सुरक्षा चेतावनी प्रणाली संस्करण को छोटा कर और आधुनिकतम यूरोपियन रेल नियंत्रण प्रणाली दूसरे स्तर के संयुक्त मिश्रण से तैयार किया गया है।
यह प्रौद्योगिकी भविष्य में चालक रहित रेल संचालन को सक्षम करने और दुनिया भर में सभी उपलब्ध प्रणालियों के बीच सबसे अग्रिम है। टीसीए तीन किलोमीटर की दूरी तक के स्टेशनों के बीच, आगे के रास्ते, धुंध, एवं रात की स्थिति के बारे में लोकों पायलट को सूचित कर सकता है।
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