
अभियान तैयारी समीक्षा समिति और प्रक्षेपण प्राधिकरण बोर्ड ने
अभियान को मंजूरी दे दी है जिसके बाद उड़ान से 29 घंटे पहले उल्टी गिनती दोपहर में
शुरू कर दी गई है। इस प्रक्रिया के दौरान ही तीन चरणों वाले प्रक्षेपण यान में
प्रणोदक भरे जाने का काम किया जाएगा। उड़ान के 17 से 18 मिनट के बाद प्रक्षेपण यान
जीसैट-6 को भूस्थिर स्थानांतर कक्षा (जीटीओ) में कुछ इस तरह स्थापित करेगा कि
उपग्रह की 19.95 डिग्री के झुकाव के साथ पृथ्वी से सबसे कम दूरी 170 किलोमीटर और
सबसे अधिक दूसरी 35,975 किलोमीटर की होगी।


पिछले साल जनवरी में जीएसएलवी -डी
5 की सफल उड़ान के 19 महीनों बाद यह इसरो का पहला जीएसएलवी मिशन है। यह प्रक्षेपण
तमिलनाडु के महेंद्रगिरि स्थित लिक्विड प्रोपल्शन सेंटर में स्वदेश निर्मित “हाई
थ्रस्ट क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन” के पूरे समयकाल 800 सेकेंड तक हुए सफल परीक्षण के
बाद किया जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि जीएसएलवी-डी 6 की यह उड़ान भारत के
जीएसएलवी अभियान की नौवीं उड़ान होगी और यह तीसरा मौका होगा जब 49.1 मीटर लंबे
जीएसएलवी -डी6 में स्वदेश निर्मित उच्च स्तर के क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल किया
जाएगा।

जीएसएलवी प्रक्षेपण यान को दो टन वजनी संचार उपग्रहों को भूस्थिर स्थानांतरण
कक्षा में स्थापित करने के लिए बनाया गया है। सूत्रों ने बताया कि अत्यधुनिक संचार
उपग्रह जीसैट-6 देश का 25वां भूस्थिर संचार उपग्रह है और जीसैट श्रंखला का 12
उपग्रह है। यह उपग्रह देश मे एस -बैंड की संचार सुविधा मुहैया कराएगा। जीटीओ मे
पहुंचने के बाद जीसैट -6 अंतिम भूस्थिर कक्षा के पहुंचने के लिए अपने ही प्रणोदक का
इस्तेमाल करेगा और 83 डिग्री पूर्वी देशांतर पर स्थित होगा। इस घनाकार उपग्रह पर छह
मीटर व्यास का एंटीना लगाया गया है। यह इसरो का सबसे बड़ा एंटीना है और इसका
इस्तेमाल देश की मुख्य भूमि पर पांच स्पॉट बीम के लिए किया जाएगा।

उपग्रह की दूसरी
महत्वपूर्ण विशेषता इस पर लगाया गया 70 वी बस है। जीसैट -6 पहला ऎसा स्वदेशी संचार
उपग्रह है जिस पर इसे लगाया गया है। प्रक्षेपण के बाद इसरो की हासन स्थित मास्टर
कंट्रोल यूनिट उपग्रह को नियंत्रित करेगी और उपग्रह की कक्षा उन्नयन के लिए
सेटेलाइट पर लगी लिक्विड एपोजी मोटर को शुरू करने के लिए फायरिंग करेगी। इसके बाद
उपग्रह को 83 डिग्री पूर्वी देशांतर पर स्थित किया जाएगा।