नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर के हालात को लेकर बुधवार को हुई सर्वदलीय बैठक में सभी पार्टियों ने कहा कि देश की संप्रभुता से कोई समझौता नहीं होगा। सभी दलों ने कहा कि सभ्य समाज में हिंसा का कोई स्थान नहीं है। केन्द्र व राज्य सरकार को मामले से जुड़े सभी पक्षों से बातचीत जारी रहनी चाहिए।
गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में बैठक करीब तीन घंटे चली। बैठक के बाद पीएमओ में राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह ने सभी दलों की ओर से जारी बयान को पढ़ा। जितेन्द्र सिंह ने कहा कि सभी दलों के प्रतिनिधिमंडल ने घाटी में जारी हालात पर चिंता प्रकट की है। सभी दलों के नेताओं ने माना कि सभ्य समाज में हिंसा का कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि देश की संप्रभुता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। सभी ने इस बात पर जोर दिया कि घाटी के लोग हिंसा का रास्ता छोड़कर वार्ता के लिए सामने आएं।
केन्द्र व राज्य सरकार से आग्रह किया गया है कि वो राज्य में शांति बहाली के लिए सभी पक्षों से बात करे। सभी सदस्यों ने केन्द्र व राज्य सरकार से प्रदेश के सभी शिक्षण संस्थानों,सरकारी कार्यालयों और व्यापारिक केन्द्रों को फिर से खोलने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने की अपील की है। प्रतिनिधिमंडल ने सरकार से अपील की है कि झड़पों में घायल हुए नागरिकों और सुरक्षा बलों को चिकिस्तकीय सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए।
जितेन्द्र सिंह ने बताया कि कश्मीर में शांति की अपील करते हुए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया। सरकार सभी पक्षों से वार्ता के लिए तैयार है लेकिन संविधान के दायरे में ही बातचीत होगी। जितेन्द्र सिंह ने उन रिपोर्टों को खारिज किया जिनके मुताबिक प्रतिनिधिमंडल में शामिल कुछ विपक्षी नेताओं ने घाटी के हालात के लिए राज्य की भाजपा-पीडीपी सरकार को जिम्मेदार बताया है।
बैठक में जदयू और वामपंथी दलों ने सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (एएफएसपीए) को हटाने की मांग रखी। कांग्रेस की राय थी कि शांति बहाली के लिए वार्ता बंद नहीं होनी चाहिए। सभी पक्षों से बात होनी चाहिए। बैठक में कुछ सांसद इस बात के पक्ष में थे कि बातचीत की प्रक्रिया अलगाववादियों से बिल्कुल किनारे किया जाना चाहिए।
सर्वदलीय बैठक से पहले मंगलवार को गृह मंत्री राजनाथ सिंह के घर एक बैठक हुई,जिसमें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, वित्त मंत्री अरुण जेटली और पीएमओ में राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह मौजूद थे। राजनाथ सिंह के नेतृत्व में 20 दलों के 30 सांसदों के एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने 4 सितंबर को कश्मीर का दौरा किया था। इस प्रतिनिधिमंडल ने वहां विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ साथ सामाजिक संगठनों से घाटी में हालात सामान्य बनाने को लेकर चर्चा की थी। हालांकि अलगाववादी संगठन हुर्रियत कांफ्रेंस ने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात करने से इनकार कर दिया था।
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