जेटली ने रिजर्व बैंको को ब्याज दरें कम करने का संकेत दिया
“पूंजी की लागत हाल के महीने या वर्षो में एक मात्र कारण है, जिसके कारण विनिर्माण क्षेत्र
में सुस्ती देखी जा रही है।”
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक को दरों में कटौती का स्पष्ट संकेत देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने सोमवार को बाजार में तरलता बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया। सरकार के मेक इन इंडिया कार्यक्रम की एक उच्चस्तरीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा, “पूंजी की लागत मेरे खयाल से हाल के महीने या वर्षो में एक मात्र कारण है, जिसके कारण विनिर्माण क्षेत्र में सुस्ती देखी जा रही है।”
अक्टूबर में औद्योगिक उत्पादन 4.2 फीसदी घट गया, जबकि एक साल पहले समान अवधि में इसमें 1.2 फीसदी गिरावट दर्ज की गई थी। इस महीने के शुरू में जारी आंकड़े के मुताबिक उपभोक्ता महंगाई दर के रिकॉर्ड निचले स्तर 4.38 फीसदी पर पहुंचने और औद्योगिक उत्पादन घटने के कारण उद्योग जगत रिजर्व बैंक से दरों में कटौती की मांग कर रहा है।
जेटली ने कहा, “कर्ज लेने की गति घटी है, अवसंरचना निर्माण की गति घटी है, विनिर्माताओं को महंगी पूंजी लेना कठिन लग रहा है। इसलिए यही एक क्षेत्र है, जिसके बारे में हममें से हर एक को सोचना चाहिए।” रिजर्व बैंक ने रेपो दर को इस साल के जनवरी से जस का तस बरकरार रखा है। रेपो दर वह दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक रिजर्व बैंक से छोटी अवधि के लिए कर्ज लेते हैं।
दिन भर के इस कार्यशाला में उन 25 क्षेत्रों के प्रतिनिधि प्रस्तुति देंगे, जिन्हें मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत सूचीबद्ध किया गया है। इनमें प्रमुख तौर पर शामिल हैं रसायन, तेल एवं गैस, पेट्रोकेमिकल्स, पूंजीगत वस्तु, फार्माश्यूटिकल्स, खाद्य प्रसंस्करण, पर्यटन, उaयन, वाहन, एरोस्पेस, रक्षा उत्पादन और कौशल विकास।
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