इसके बाद 15 जुलाई से 11 नवंबर तक देवशयन रहेगा। 16 नवंबर को देव प्रबोधिनी एकादशी से 12 दिसम्बर तक नौ सावे होंगे। उसके बाद मलमास लगने से एक माह के लिए मांगलिक कार्यों पर पूरी तरह से विराम लग जाएगा।
मलमास बाद ही मुहूर्त
इसके बाद मलमास 2017 में मकर संक्राति पर पूरा होने के बाद ही फिर शादियां हो सकेंगी। ज्योतिषियों के अनुसार ऐसा योग वर्ष 2006 में बना था। 2022 में भी बनेगा। अक्षय तृतीय स्वयंसिद्ध अबूझ मुहूर्त हैं। इसमें अलग-अलग मान्यताएं हैं। कहीं लोग तारा अस्त होने से विवाह टालते हैं। वहीं कुछ लोग स्वयंसिद्ध मुहूर्त में तारा अस्त को टालते हैं।
70 दिन के लिए अस्त होगा शुक्र
शुक्र 3 मई को अस्त हो जाएगा। इसका वृद्धत्व दोष एक मई से शुरू हो जाएगा। इसके बाद शुक्र 10 जुलाई को उदय होगा। लेकिन 13 जुलाई को प्रात: 11.15 बजे तक इसका बाल्यत्व दोष रहेगा। इस कारण भडल्या नवमी का एक अबूझ रहेगा।
बृहस्पति, शुक्र का होना जरूरी : शास्त्रानुसार शुभ कार्यों के लिए बृहस्पति व शुक्र का उदय होना जरुरी है। दोनों ग्रहों का बल प्रत्येक शुभ कार्यों में होना आवश्यक हैं। इनके अस्त होने पर शुभ कार्य करना निर्बल साबित होता हैं।
तीन साल में यह स्थिति
वर्ष सावे
2016 33
2015 39
2014 66
कब-कब सावे
जनवरी – 15, 19, 20, 21, 27, 28, 29
फरवरी – 4, 12, 17, 22, 24,
मार्च – 5, 10
अप्रेल – 16, 17, 18, 19, 20, 22, 26,27,29
जुलाई – 13
नवम्बर – 16, 23, 24, 25
दिसम्बर – 1, 3, 8, 9, 12