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ग्वालियर

“#onedayiwill” : महिला आईपीएस बोलीं, ये करें महिलाएं तो होंगी कामयाब

महिलाओं को फाइनेंशियल व साइक्लोजिकल डिपेंडेंड होना होगा, तभी वे पूरी ताकत से आगे बड़ सकतीं हैं। यह कहना है आईपीएस ईशा पंत का ।

ग्वालियरMar 08, 2016 / 12:51 pm

rishi jaiswal


ग्वालियर। महिलाएं आज हर फील्ड में अच्छा कर रहीं हैं, लेकिन इसके बावजूद वह मानसिक रूप से पूरी तरह फ्री नहीं हैं। उससे हटना होगा, उन्हें खुद फाइनेंशियल व साइक्लोजिकल डिपेंडेंड होना होगा, तभी वे पूरी ताकत से आगे बड़ सकतीं हैं। यह कहना है आईपीएस ईशा पंत का जो वर्तमान में ग्वालियर में 13 बटालियन में पदस्थ हैं।


2011 बेच की ईशा पंत ने इन्टरनेशनल रिलेशन्स में वर्ष 2008 में यूएस से ग्रेजूएशन किया, इनके पिता बीएचईएल भोपाल में इंजीनियर व मां शिक्षिका थी। चार बहनों में सबसे छोटी ईशा को बचपन से ही जमीनी स्तर से जुड़ा रहना पसंद था, इसी के चलते यह किसी एनजीओ में कार्य करना चाहती थीं। भारत वापस आने के बाद इनकी सबसे बड़ी दीदी ने ही इन्हें आईपीएस के लिए तैयारी करने का सुझाव दिया, साथ ही इस सर्विस से कैसे जमीनी स्तरपर जुड़े रह सकते हैं इस बारे में भी बताया। इसके बाद ही ईशा आईपीएस की तैयारी में जुट गईं।

कुछ भी गलत देखें तो तुरंत आवाज उठाएं
पंत का क्षेत्र की जनता से कहना है अपने आसपास कुछ भी गलत देखें तो आवाज उठाएं। शांत न रहें, अर्थात मूक दर्शक न बने रहे ऐसी किसी भी स्थिति के खिलाफ आवाज उठाएं नहीं तो क्या पता कल यहीं स्थिति आपके दरवाजे पर आकर खड़ी हो जाए। अतअभी से जागरूक हों और अन्य लोगों को भी जागरूक करें। उनके मुताबिक ग्वालियर एतिहासिक दृष्टि से काफी अमीर है और लोगों को अपनी इस विरास्त का सम्मान करना चाहिए।

दो एटेंम्प्ट में हुआ सिलेक्शन
2008 में ग्रेजूएशन पूरा करने के बाद इसकी तैयारी की 2009 में सिलेक्शन भी हुआ, लेकिन इंटरव्यू में रूक गईं। इसके बाद 2010 के सारे एक्जाम क्लीयर करने के बाद सिलेक्शन हुआ।

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युवा ऐसे करें तैयारी
यूपीएससी का सिलेबस बड़ा होता है, इसके लिए कड़ी मेहनत करें। स्मार्ट तरीके से पढ़े न की केवल रटें, पुराने लोग जिनका इन सर्विसीज में चयन हो चुका हो उनसे किताबों के संबंध में गाइडेंस लें, गवर्नमेंट पब्लिकेशन जरूर पढ़ें, गवर्नमेंट वेब भी जरूर देखें और ज्ञान बढ़ाएं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात अपने पर विश्वास अवश्य रखें।

समय की कमी महसूस करतीं हैं आज
पंत के मुताबिक पहले जो अच्छा लगता था, वो आज जरूरी नहीं की अच्छा लगे। पर हां इतना जरूर है कि अब समय की कमी जरूर खलती है, पढऩे के लिए टाइम ही नहीं मिलता।

पसंदीदा वाक्य
मनुष्य अपना भाग्य स्वयं बनाता है, कर्म से बड़ा कुछ नहीं है। इसके अलावा हर व्यक्ति से हम कुछ न कुछ सीखें।

पारिवारिक परिचय
इनकी सबसे बड़ी दीदी भारतीय विदेश सेवा में हैं, जबकि उनसे छोटी विंग कमांडर के रूप में देश की सेवा कर रही हैं वहीं इनसे बड़ी व तीसरी बहन टाक्चे बैंक (जर्मन बैंक) में कार्यरत हैं।

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