ग्वालियर। रेत माफिया के शिकार हुए वनरक्षक नरेंद्र शर्मा का दिल मानवीय संवेदनाओं से भरा हुआ था। खुद के तीन बच्चे होने के बावजूद पांच वर्ष पहले जब राह चलते उन्हें एक मासूम बेसहारा बच्ची रोते हुए मिली, तो उसे बेटी ही बना लिया। अपने बच्चों की तरह ही प्यार से उसकी परवरिश भी कर रहे थे। वह बेटी अब नौ वर्ष की हो चुकी है, पिता से बिछडऩे का गम उसकी आंखों से बरस रहा है। रो-रो कर उसकी आंखें पथरा गईं हैं, रह-रह कर वह पिता को याद करती हैं और फिर फफक पड़ती है। परिजन का कहना है कि नरेंद्र हमेशा से चाहते थे कि उनकी एक बेटी हो, जिसका वे कन्यादान कर सकें, क्योंकि उनकी नजर में भी कन्यादान सबसे बड़ा दान था। वे बेटी को पाकर बहुत खुश थे, इसलिए उसका नाम भी खुशी ही रखा था।
मिलेगा शहीद का दर्जा
“जांबाज को शहीद का दर्जा दिलाने के लिए प्रस्ताव राज्य शासन को भेज दिया गया है। इससे उनके परिजनों को दस लाख रुपए की वित्तीय सहायता मिलने का रास्ता भी साफ हो जाएगा। अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक इसी कार्य के लिए ग्वालियर आए हैं।“
राजेश कुमार, मुख्य वन संरक्षक, ग्वालियर
अकेले भिड़ जाते थे माफिया से
जिन वन माफिया से भिडऩे में सशस्त्र बल के जवान भी खुद को असहाय महसूस करते थे, उनसे नरेंद्र अकेले भिडऩे में भी परहेज नहीं करते थे। अपने सेवा काल में उन्होंने दर्जनों वन माफिया के होश ठिकाने लगाए। उनकी इसी जांबाजी को देखते हुए वन विभाग उनको शहीद का दर्जा देना चाहता है। इसके लिए अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. एल के चौधरी ग्वालियर आए। वर्ष 2008 के राज्य शासन के एक सर्कुलर के हवाले से शहीद का दर्जा दिलाने का प्रस्ताव सोमवार को ही राज्य शासन को भेज दिया गया है। शहीद का दर्जा मिलने से न केवल विभाग में इस गौरव को स्थान मिलेगा, बल्कि शहीद नरेंद्र के परिजन को दस लाख रुपए की वित्तीय सहायता मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा।
मिलेंगे 450 वनकर्मी
इधर एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद वन विभाग ने निर्णय लिया है कि ग्वालियर चंबल संभाग में 450 वनकर्मी तत्काल उपलब्ध कराए जाएंगे। इससे वन अमले का आत्म विश्वास बहाल हो सके।
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