ग्वालियर। ट्रेनों में यात्रियों को खराब खाना परोसने की शिकायतें तो कई बार आती हैं। इसमें बासी, बदबूदार खाने से लेकर खराब गुणवत्ता का खाना खिलाने के मामले आते रहते हैं।
न खाने लायक खाना मिलने के पीछे सबसे बड़ी वजह है खाना तैयार करने में प्रयुक्त कच्ची सामग्री। पिछले साल लिए गए खाद्य सामग्री के कई नमूने फेल होने से तो यही साबित हो रहा है। इलाहाबाद की लैब में हुई जांच के बाद यह बात सामने आई है। जांच में आया है कि शताब्दी का पराठा व मिर्ची खाने लायक नहीं है।
मिर्ची पावडर में मिलावट
गुजरे साल रेलवे के स्वास्थ्य व खाद्य विभाग की टीम ने ग्वालियर स्थित शताब्दी के बेस किचन में डेढ़ दर्जन चीजों के नमूने लिए थे। इसमें सामने आया कि शताब्दी के यात्रियों को जो खाना या नाश्ता तैयार किया जाता है। उसमें प्रयोग किए जाने वाली पिसी मिर्ची में ही मिलावट कर दी जाती है। इसका खामियाजा यात्रियों को उठाना पड़ता है। इतना ही नहीं नई दिल्ली-भोपाल शताब्दी में जब नाश्ते में दिए जा रहे पराठे का नमूना लेकेर लैब भेजा गया तो यह भी खाने लायक नहीं निकला।
लश्कर में मिलने वाला चावल-दाल भी बेकार
टीम ने लश्कर एक्सप्रेस में छापामारी कर दाल व चावल का नमूना लिया। नमूने को रेलवे की लैब में भेजा। जांच के बाद पता चला कि दाल-चावल खाने में इस्तेमाल करने लायक नहीं है। लिए गए चार नमूनों से से दो बेकार निकले। गौरतलब है कि रेलवे की खाद्य व स्वास्थ्य विभाग की टीमें हर साल सभी ट्रेनों से कच्ची व खाद्य सामग्री के नमूने लेती हैं। इन्हें एक साथ लैब में भेजा जाता है। महीनों बाद इसकी जांच रिपोर्ट संबंधित क्षेत्र के कॉमर्शियल मैनेजर को भेजी जाती है। इसके बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाती है।
रिपोर्ट भेज दिया है
“जोन से गुजरने वाली ट्रेनों में पक्की व कच्ची खाद्य सामग्री के नमूने हर साल लिए जाते हैं। पिछले साल भी जो जांच कराई गई उसकी रिपोर्ट संबंधित सेक्सन को भेज दी गई है।”
विजय कुमार, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, एनसीआर
Hindi News / Gwalior / ऐसी है ट्रेन में मिलने वाले खाने की क्वालिटी, सुनेंगे तो दंग रह जाएंगे