ग्वालियर। दुनिया में अधिकांश पाप कर्म शरीर के लिए किए जाते हैं, इसलिए दुख भी तो यह शरीर ही भोगेगा। हर इंसान सुख की चाह रखता है, लेकिन कार्य ऐसे करता है, जिससे दुखों का संचय करता हो। अरे जब आम की फसल चाहते हो तो आम ही बोने पड़ेंगे, नीम के पेड़ में आम कैसे आ सकते हैं।
यह बातें शुक्रवार को दीनानाथ की बगीची में चल रहे श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान के अवसर पर आचार्यश्री विनिश्चय सागर जी महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहीं।
आचार्यश्री ने कहा कि प्रभु की वाणी कानों से सुनो, हृदय में उतारो और उसे व्यवहार में लाओ तभी तुम्हारे जीवन में बदलाव आएगा। जीवन को समझने का प्रयास करो, मौत आ जाए उससे पहले जीवन को समझ लो। अर्थी जले उससे पहले जीवन का अर्थ समझ लो। तुम सुनने की आदत डालो आज की पीढ़ी में सहनशक्ति की कमी आ रही है।
जिनेन्द्र भगवान को 64 रिद्दियों के अर्घ समर्पित किए
इस अवसर पर भगवान महावीर का अभिषेक किया गया। जैन भजन गायक शुभम जैन के द्वारा पेश रंगमा…रंगम…रंगमा रे प्रभु थारे ही रंग में रंग गयो रे…भजन पर श्रद्धालुओं ने नृत्य किया। तद्पश्चात ब्रह्मचारिणी भारती दीदी एवं राकेश जैन के मार्गदर्शन में 64 रिद्दी विधान की पूजा अर्चना की गई, जिसमें जिनेन्द्र भगवान की 64 रिद्दियों के 64 अर्घ भक्तिभाव से समर्पित किए गए।
आचार्यश्री से आशीर्वाद
प्रवचन के पूर्व आयोजन समिति के संयोजक मूलचंद्र जैन, रमेशचंद्र जैन चुन्नी, प्रवीण जैन सर्राफ, ज्ञानेंद्र जैन, प्रदीप कुमार जैन, रमेश चंद्र जैन, सुमतिचंद जैन, प्रेमचंद पांडवीय, विमल जैन, जीतू जैन, विजय जैन ने आचार्यश्री के चरणों में श्रीफल भेंट किया।
चढ़ेंगे 128 अर्घ
आयोजन के मीडिया प्रभारी ललित जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि शनिवार को सुबह 6.30 बजे से भगवान का अभिषेक पूजन होगा, विधान में भगवान के मूल गुणों के 128 अर्घ समर्पित किए जाएंगे। 8.30 बजे से आचार्यश्री के मंगल प्रवचन होंगे।
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