scriptआश्चर्य :  भूतों ने एक रात में तैयार किया था यह मंदिर! | temple was built in one night by the ghost | Patrika News
ग्वालियर

आश्चर्य :  भूतों ने एक रात में तैयार किया था यह मंदिर!

बिना चूने व गारे के बना यह विशाल व अद्भुत मंदिर वाकई किसी अजूबे से कम नहीं है।

ग्वालियरJun 25, 2016 / 06:44 pm

rishi jaiswal

Kakanmath temple

Kakanmath temple


ग्वालियर। शहर से लगभग 70 किलोमीटर दूर मुरैना में सिहोनिया स्थित ककनमठ मंदिर देश-विदेश के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। कभी सिंहपाणि नगर कहा जाने वाला सिहोनिया विश्व पर्यटन के मानचित्र में इसी मंदिर के कारण जाना जाता है।


उत्तर भारतीय शैली का है मंदिर

यह मंदिर उत्तर भारतीय शैली में बना है। इस शैली को नागर शैली के नाम से भी जाना जाता है। आठवीं शताब्दी के दौरान मंदिरों का निर्माण नागर शैली में ही किया जाता रहा। ककनमठ मंदिर इस शैली का उत्कृष्ट नमूना है।
यह विशाल व अद्भुत मंदिर वाकई किसी अजूबे से कम नहीं है। इस मंदिर के पत्थरों के बीच में न तो चूना है और न ही सीमेंट। सारे पत्थर एक के ऊपर एक कतारबद्ध हैं। अंदर से मंदिर का दृश्य देखना वाकई अद्भुत है।


काम अधूरा छोड़कर चले गए थे भूत
माना जाता है कि इसे भूतों ने एक रात में बनाया है, लेकिन इसे बनाते- बनाते सुबह हो गई और भूतों को काम अधूरा छोड़कर जाना पड़ा। आज भी इस मंदिर को देखने पर यही लगता है कि इसका निर्माण अधूरा रह गया।


चूने-गारे का नहीं हुआ है उपयोग 
ककनमठ मंदिर के निर्माण में कहीं भी चूने-गारे का उपयोग नहीं किया गया। पत्थरों को संतुलित रखकर मंदिर बनाया गया। इतने लंबे समय से यह मंदिर कई प्राकृतिक झंझावातों का सामना करता आ रहा है। 
इस मंदिर की देखरेख अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) कर रही है। अफसरों को भय था कि यदि मंदिर को छेड़ा गया, तो यह गिर सकता है, क्योंकि इसके पत्थर एक के ऊपर एक रखे हैं। इस कारण उन्होंने इसके संरक्षण कार्य से दूरी बना ली।


11वीं शताब्दी में हुआ था निर्माण
वहीं जानकारों के अनुसार ककनमठ मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में कछवाहा वंश (कच्छप घात) के राजा कीर्ति राज ने कराया था। उनकी रानी ककनावती भगवान शिव की अनन्य भक्त थी। उसी के कहने पर इस शिव मंदिर का निर्माण कराया था। इसका नाम ककनमठ रखा गया। मौसम की मार से यहां बने छोटे-छोटे मंदिर नष्ट हो गए।


ऐसे पहुंचे यहां 
सिहोनिया गांव ग्वालियर से करीब 70 किमी दूरी पर स्थित है। इस स्थान पर पहुंचने के लिए भिंड और मुरैना दोनों ही मार्गों का उपयोग कर सकते हैं। यहां समूह में जाना ज्यादा सुरक्षित रहेगा। बेहतर होगा कि स्वल्पाहार व पानी साथ में ले जाएं। यहां से सूर्यास्त से पहले लौटना ज्यादा ठीक माना जाता है।


 इस स्थान तक पहुंचने के लिए खुद की कार के अलावा टैक्सी कर सकते हैं। यदि आप इस स्थान पर जाने की सोच रहे हैं, तो सोमवार के दिन जा सकते हैं। इसकी वजह यह है कि सोमवार को यहां दूर-दूराज से बड़ी संख्या में लोग आते हैं। 

Hindi News / Gwalior / आश्चर्य :  भूतों ने एक रात में तैयार किया था यह मंदिर!

ट्रेंडिंग वीडियो