ग्वालियर। 600 साल पुराने ग्वालियर के ऐतिहासिक महल गूजरी पैलेस में एक बार फिर से संगीत सम्राट तानसेन के ध्रुपद राग के स्वर सुनाई देंगे। ये स्वर इस साल तानसेन संगीत समारोह में देश के संगीतज्ञ सुनाएंगे।
जानकारों के मुताबिक सदियों पहले राजा मान सिंह अपनी रानी मृगनयनी के लिए ये राग सुनाया करते थे। यही नहीं उन्होंने तो यहां रानी के लिए मंगल गूजरी राग भी बनाया था।
यह है इसकी खासियत…
16 दिसंबर से तानसेन संगीत समारोह की शुरुआत हो रही है। इस मौके पर हम आपके सामने ला रहे हैं तानसेन से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां…
दरअसल ग्वालियर के राजा मानसिंह ने 600 साल पहले अपनी गूजरी रानी निन्ही के लिए दुर्ग की तलहटी में एक महल का निर्माण करवाया था। गूजरी रानी को मृगनयनी नाम दिया गया। कहा जाता है कि यहीं राजा मान सिंह ने ही शास्त्रीय संगीत के ध्रुपद पदों और रागों की रचना की और इन पदों को संगीत सम्राट तानसेन ने आगे बढ़ाया। माना जाता है कि राजा मान सिंह संगीत के बहुत बड़े कद्रदान थे और उन्होंने स्वयं अपनी रानी मृगनयनी के लिए मंगल गूजरी की रचना की थी।
इस महल में था संगीत का स्कूल
जानकारों के अनुसार गूजरी महल संगीत का स्कूल था और स्वयं तानसेन ने यहां पर रहते हुए कई रागों का अविष्कार किया। यहीं राग माला, संगीत सार व गणेश ोित के अलावा राग मल्हार, दीपक राग जैसे कठिन रागों को तानसेन ने तैयार किया।
अब एक बार फिर इस साल के तानसेन समारोह में पहली बार गूजरी महल में ध्रुपद के स्वर सुनाई देंगे। संगीत समारोह की एक सभा इसी पैलेस में होगी।
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