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ग्वालियर

JIWAJI UNIVERSITY – चोरी के आइडिया से कर रहे हैं रिसर्च

जीवाजी विश्वविद्यालय के करीब 40 प्रतिशत छात्र चोरी के आइडिया से प्रस्ताव तैयार करने के बाद आरडीसी को भी नकल करके जमा कराते है। गड़बड़ी को रोकने के लिए ईसी में प्रस्ताव पास हुआ।

ग्वालियरMar 11, 2016 / 12:01 pm

rishi jaiswal

jiwaji university

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ग्वालियर। जीवाजी यूनिवर्सिटी (जेयू) से पीएचडी करने वाले करीब 40 प्रतिशत शोधार्थी अपने पहले दौर यानि शोध प्रस्ताव (सिनोप्सिस) दूसरे का आइडिया चुरा कर जमा करा रहे हैं। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए वे आरडीसी को भी नकल करके जमा कराते हैं।
इस गड़बड़ी को रोकने के लिए जेयू के डीन कोर्ट के ईसी मेम्बर प्रो.योगेश उपाध्याय ने जेयू प्रबंधन को इस गड़बड़ी को रोकने के लिए विशेष सॉफ्टवेयर डाउनलोड कराकर इनकी पहचान कर थीसिस रिजेक्ट करने का प्रस्ताव दिया है। ताकि भविष्य में अच्छे शोधार्थी ही पीएचडी की डिग्री हासिल कर सकें। दरअसल यूजीसी ने इस तरह की गड़बड़ी को रोकने के लिए आरकुंड नामक सॉफ्टवेयर गूगल पर उपलब्ध कराया है, जिसको डाउनलोड करके थीसिस के मैटर को चेक किया जा सकता है।

यूजीसी ने दिए सख्त निर्देश
यूजीसी ने नकल की इस प्रक्रिया को रोकने के लिए सभी यूनिवर्सिटी को सख्त निर्देश दे रखे हैं, ताकि कोई भी शोधार्थी नकल के बल पर पीएचडी की डिग्री हासिल न कर सके। हालांकि ज्यादातर विवि यूजीसी के नियमों को फिलहाल दरकिनार करने में लगे हैं। जेयू ने ईसी में इस प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है। जल्द ही इस मामले में कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।

“कई लोग पीएचडी की डिग्री नकल की थीसिस के बल पर ले रहे हैं। ये अपने पहले चरण यानि शोध प्रस्ताव को भी नकल से तैयार करते हैं, जिसके बाद आरडीसी में यही प्रक्रिया अमल में लाई जाती है। इसी को रोकने के लिए जेयू प्रबंधन को प्रस्ताव दिया है, जिसे मान्य कर लिया गया है।”
प्रो.योगेश उपाध्याय, डायरेक्टर दूरस्थ शिक्षण संस्थान, जेयू

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