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ग्वालियर

सोमवती अमावस्या आज, गुप्त नवरात्र कल से 

इस अमावस्या के दिन किए जाने वाले शुभ कार्य और दान-धर्म से कई गुना पुण्य मिलता हैं।

ग्वालियरJul 04, 2016 / 03:24 pm

rishi jaiswal

Somvati amavasya

Somvati amavasya

ग्वालियर। सोमवती अमावस्या आज(04 जुलाई) मनाई जाएगी। मान्यता के अनुसार आषाढ़ मास की सोमवती अमावस्या शुभ फलदायी और सौभाग्य को देने वाली होती है। इस दिन महिलाएं वृत रख पीपल की पूजा करेंगी। इसके अलावा इसी दिन से कई क्षेत्रों में किसान बोवनी कार्य भी शुरू करते हैं। इसके अगले दिन यानि मंगलवार से गुप्त नवरात्रि शुरु होगी। इस दौरान मंत्र सिद्धि प्राप्ति के साथ शुभ कार्य कर सकते हैं।


सालभर की अमावस्या में आषाढ़ माह में आने वाली सोमवती अमावस्या को महत्वपूर्ण माना गया है। जानकारों के अनुसार सोमवती अमावस्या को देव पितृ कार्य अमावस्या भी कहते हैं। इस दिन किए जाने वाले शुभ कार्य और दान-धर्म से कई गुना पुण्य मिलता हैं। साथ ही घर में सुख-शांति और सौभाग्य प्राप्ति के लिए माता-बहनें उपवास (व्रत) रखकर पीपल की पूजा-अर्चना करते हुए उसकी परिक्रमा भी लगाती हैं। इस दिन किसान पृथ्वी(धरती) यानि खेत व हल का पूजन भी करते हैं। इसके अलावा आज के दिन पवित्र नदियों में स्नान भी अपना विशेष महत्व रखता है।


सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। ये वर्ष में लगभग एक अथवा दो ही बार पड़ती है। इस अमावस्या का हिन्दू धर्म में विशेष महत्त्व होता है। विवाहित स्त्रियों द्वारा इस दिन अपने पतियों के दीर्घायु कामना के लिए व्रत का विधान है। इस दिन मौन व्रत रहने से सहस्र गोदान का फल मिलता है। शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत की भी संज्ञा दी गयी है। अश्वत्थ यानि पीपल वृक्ष। इस दिन विवाहित स्त्रियों द्वारा पीपल के वृक्ष की दूध, जल, पुष्प, अक्षत, चन्दन इत्यादि से पूजा और वृक्ष के चारों ओर 108 बार धागा लपेट कर परिक्रमा करने का विधान होता है और कुछ अन्य परम्पराओं में भंवरी देने का भी विधान होता है। धान, पान और खड़ी हल्दी को मिला कर उसे विधान पूर्वक तुलसी के पेड़ को चढाया जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व समझा जाता है। कहा जाता है कि महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझाते हुए कहा था कि, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ्य और सभी दुखों से मुक्त होगा. ऐसा भी माना जाता है कि स्नान करने से पितरों कि आत्माओं को शांति मिलती है।


एक वर्ष में चार नवरात्रि
हमारे यहां वर्ष में चार नवरात्रि मनाई जाती है। इनमें से आषाढ़ और माघ महीने में होने वाली नवरात्र को गुप्त नवरात्र के रुप में मनाया जाता है। साधकों के लिए यह नवरात्र विशेष फलदायी हैं। इसमें गुप्त रूप से मंदिरों के साथ घरों में घट स्थापना की जाती है। इसे मंत्र व गुप्त साधना और सिद्धी के लिए विशेष फलदायी भी माना जाता है। 

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