ग्वालियर। श्रावण मास हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए भगवान शिव के आशीर्वाद का विशेष मास माना जाता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास से नववर्ष शुरू होता है, वर्ष का पांचवां मास श्रावण मास है। इस मास के प्रत्येक सोमवार को श्रावन सोमवार कहा जाता है। श्रद्धालु पवित्र जल से शिवलिंग को स्नान कराते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार श्रावण मास इस साल 20 जुलाई से शुरू होगा।
इस मास में लघुरुद्र, महारुद्र अथवा अतिरुद्र पाठ कराने का भी विधान है। श्रावणमास में जितने भी सोमवार पड़ते हैं, उन सब में शिवजी का व्रत किया जाता है। इस व्रत में सुबह गंगा स्नान अथवा किसी पवित्र नदी या सरोवर में अथवा विधिपूर्वक घर पर ही स्नान करके शिवमन्दिर में जाकर स्थापित शिवलिंग या अपने घर में पार्थिव मूर्ति बनाकर यथाविधि षोडशोपचार-पूजन किया जाता है। जानकारों के अनुसार इसके अलावा यथासम्भव विद्वान ब्राह्मण से रुद्राभिषेक भी कराना चाहिए।
ऐसे करें श्रावण मास में भगवान शिव को प्रसन्न
1. श्रावण मास में रुद्राक्ष पहनना बहुत ही शुभ माना गया है। इसलिए पूरे मास रुद्राक्ष की माला धारण करें व रुद्राक्ष माला का जाप करें।
2. शिव को भभूती लगावें। अपने मस्तक पर भी लगावें।
3. शिव चालीसा और आरती का गायन करें।
4. महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
5. सोमवार को श्रद्धापूर्वक व्रत धारण करें. (यदि पूरे दिन का व्रत सम्भव न हो तो सूर्यास्त तक भी व्रत धारण किया जा सकता है)
6. बेलपत्र, दूध, शहद और पानी से शिवलिंग का अभिषेक करें।
7. अपशकुनों से बचनें के लिए नवविवाहित जोड़ों को मंगलागौरी व्रत धारण करना चाहिए।
8. ओम नम: शिवाय या महाम्रतुन्जय मंत्र का जप चलते, फिरते, उठते-बैठते करते रहना चाहिए।
किस अभिषेक का मिलता है क्या फल
श्रावण में भगवान शिव का अभिषेक जल और दूध के अतिरिक्त कई तरल पदार्थों से किया जाता है। इस अभिषेक के बारे में जानकारों व पंडितों का कहना है-
1 – भगवान शिव को दूध की धारा से अभिषेक करने से मुर्ख भी बुद्धिमान हो जाता है, घर की कलह शांत होती है।
2 – जल की धारा से अभिषेक करने से विभिन्न मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
3 – घृत यानी घी की धारा से अभिषेक करने से वंश का विस्तार, रोगों का नाश तथा नपुंसकता दूर होती है।
4 -इत्र की धारा चढ़ाने से काम सुख व भोग की वृद्धि होती है।
5 -शहद के अभिषेक से टीबी रोग का नाश होता है।
6 – गन्ने के रस से आनंद की प्राप्ति होती है।
7 – गंगाजल से सर्वसुख व मोक्ष की प्राप्ति होती है।
रोगों से पाएं मुक्ति
शिव पूजा करने से व्यक्ति कई प्रकार के रोगों से मुक्ति पा सकता है, जानकारों के मुताबिक इसके लिए पूजा करने के अपने तरीके हैं।
1. किसी भी रोग से पूरी तरह मुक्ति के लिए श्रावण मास के प्रथम सोमवार से प्रत्येक सोमवार को शिव जी का कपूर युक्त जल से अभिषेक करें। अभिषेक करते समय महामृत्युंजय मंत्र का निरंतर जाप करें।
2. श्रावण मास में हर मंगलवार को शिव पूजा (विशेषत: रुद्राभिषेक व महामृत्युंजय का जप) करने से रोगों का जल्दी निवारण होता है।
3. श्रावण मास में हर गुरुवार को विशेष पूजा करने से आयु में वृद्धि होती है।
4. रोग निवारण के लिए महामृत्युंजय मंत्र जप करते हुए शहद से अभिषेक करने से रोग का नाश होता है।
5. कुशोदक जल से अभिषेक करने से असाध्य रोग शांत होते हैं।
6. भगवान शिव के मृत्यंजय मंत्र “ऊॅं जूं स:” के दस हजार जप करते हुए घी की धारा से शिवलिंग का अभिषेक किया जाए तो मधुमेह (डाइबिटीज) रोग दूर होता है।
7. गाय के घी से अभिषेक करने से आरोग्य लाभ होता है।
8. जो व्यक्ति हरी दूर्वा से भगवान शिव का पूजन करता है उसे दीर्घायु प्राप्त होती है।
9. लंबी या लाइलाज बीमारी से तंग हैं तो पंचमुखी शिवलिंग पर तीर्थ का जल अर्पित करने से रोगमुक्त होंगे।
10. ज्वर(बुखार) से पीडि़त होने पर भगवान शिव को जल चढ़ाने से तुरंत लाभ मिलता है।
11. नपुंसक व्यक्ति अगर घी से भगवान शिव का अभिषेक करे व ब्राह्मणों को भोजन कराए तथा सोमवार का व्रत करे तो उसकी समस्या का निदान हो जाता है और उसे पुरुषत्व की प्राप्ति होती है।
श्रावण मास में क्या काम न करें
1. श्रावण मास में दूध का सेवन ना करें।
2. श्रावण मास में हरी पत्तेदार सब्जी और बैगन का सेवन ना करें।
3. श्रावण मास में भगवान शिव पर हल्दी ना चढ़ाएं।
4. श्रावण मास में किसी के साथ भी लड़ाई और गुस्सा ना करें।
5. श्रावण मास में मासांहार और संभोग से बचें।