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ग्वालियर

चीन की भारत विरोधी नीतियों के चलते करेंगे चायनीज प्रोडेक्ट्स का बॉयकोट

ग्वालियर भी नहीं रहा अछुता, चायनीज प्रोडेक्ट की बिक्री को कम करने के लिए जहां एक ओर वाट्सअप पर मुहिम चलाई जा रही है, वहीं लोग भी कई तरह से लोगों को समझाबुझा कर देश की तरक्की में हाथ बंटाने की बात कर रहे हैं। 

ग्वालियरOct 05, 2016 / 06:29 pm

rishi jaiswal

deepawali preprations

chinese crackers


ग्वालियर। इस दीपावली चायनीज पटाखों और झालरों का बहिष्कार करने की देश के कई शहरों में तैयारी कर ली गई है। चीन द्वारा लगातार भारत के विरोध के चलते देश के लोगों ने चीन के प्रोडेक्टस को नहीं लेकर उसके बाजार को कम करने की तैयारी कर ली है। 

इस सभी बातों से ग्वालियर-चंबल संभाग भी अछुता नहीं रहा है, और यहां भी आतिशबाजी कारोबारी एक दुसरे से चायना मेड पटाखे नहीं बेचने का अनुरोध कर रहे हैं। त्यौहारों में चीनी पटाखे और चाइनीज रोशनी की भरमार होती है। यूज एंड थ्रो वाले बिना वारंटी के इस प्रोडक्ट को इस साल व्यापारी बेचने से कतरा रहे हैं। वजह चीन का पाकिस्तानी का खुला समर्थन और भारत का विरोध है। जानकारों के अनुसार अकेले ग्वालियर में ही करीब 30 करोड़ से ज्यादा के पटाखे और रोशनी का कारोबार है। चीन की भारत विरोधी नितियों के चलते ग्वालियर में भी इन प्रोडेक्टों का खुलकर विरोध सामने आने लगा है।
ग्वालियर के फुटकर आतिशबाजी विक्रेता संघ के अध्यक्ष कौशल वाजपेयी और सचिव हरीश दीवान ने बताया कि इसी के चलते आतिशबाजी कारोबारियों से चीनी आतिशबाजी नहीं बेचने का अनुरोध किया जा रहा है। वहीं हम देश में बने उत्पादों को ही बेचने पर जोर दे रहे हैं। वैसे तो चीनी पटाखों पर पहले से ही प्रतिबंध है फिर भी कुछ व्यापारी इन्हें चोरी-छिपे बेचते हैं। दूसरी तरफ शहर काजी अब्दुल हमीद कादरी के अनुसार हम चीनी उत्पादों को खरीदना बंद कर देंगे, तो निश्चित ही बिक्री का ग्राफ कम होगा। 
ऐसे हालातों में हर भारतवासी को चीनी उत्पादों का पूरी तरह से बहिष्कार करना चाहिए। वहीं राष्ट्रीय क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजकुमार सिसौदिया ने भी शहरवासियों से चीन के सामान का बहिष्कार करने का आह्वान किया है। चीन में भारत के कारण ही व्यापार फल-फूल रहा है। इसलिए हर भारतवासी को चीनी उत्पादों का बहिष्कार करना चाहिए।

चायनीज उत्पादों की होली जलाई
चायनीज उत्पादों के बहिष्कार को लेकर बुधवार की शाम महाराज बाड़े पर हिन्दू सेना की ओर से चायनीज उत्पादों की होली जलाई गई। 
इस संबंध में हिन्दू सेना के प्रदेश उपाध्यक्ष संजय अग्रवाल ने बताया कि चुंकि चीन लगातार हमारे यहां व्यापार कर रहा है और यहां से कमाए पैसे को पाकिस्तान में लगाकर उसकी मदद कर रहा है, अत: अब यह जरूरी है कि हमारे दुश्मन देश का सहयोग करने के कारण चीन को भी इसकी कीमत चुकानी पड़े। हिन्दू सेना की ओर से मुख्यमंत्री के नाम एडीएम एचबी शर्मा को ज्ञापन दिया है, जिसमें प्रदेश भर में चायनीज उत्पादों की बिक्री पर रोक लगाने की मांग की गई है।

ऐसे दी जा रही समझाइश
चायनीज प्रोडेक्ट की बिक्री को कम करने के लिए जहां एक ओर वाट्सअप पर मुहिम चलाई जा रही है, वहीं लोग भी कई तरह से लोगों को समझाबुझा कर देश की तरक्की में हाथ बंटाने की बात कर रहे हैं। इसी के लोगों से कहा जा रहा है कि वह घर से बाहर निकलें और देखें किसी चौराहे, गली की नुक्कड़ में कोई आपका ही अपने ही देश का गरीब कुम्हार मिट्टी के दीये लगाए आपकी राह देख रहा है! आपने अगर लक्ष्मी ऐसे गरीबों के घर पहुंचाई,तो आपके घर में भी कभी लक्ष्मी की कमी नहीं आएगी !

ऐसे समझा रहे दीपकों का गणित
यदि हमें दीपावली में घर को रौनक 5 दिन पहले से ही करना चाहते हैं, तो हम 5 दिन मिट्टी के दीपक सरसों का तेल डाल कर चलाएं।
1 लीटर सरसों का तेल = 100 रुपए ( ज्यादा से ज्यादा )
50 मिट्टी के दीपक = 100 रुपये ( ज्यादा से ज्यादा )
1 लीटर सरसों के तेल से 100 मिट्टी के छोटे दीपक आराम से चलते है !
आप 50 दीपक ही मान लो !
5 दिन पहले शुरू हो जाओ ! प्रति दिन 10 दीपक जलाओ ! 
खर्चा मात्र 200 रुपए !
चीनी लाइट भी 50 से 60 रुपए से शुरू होकर 1000 -1500 तक भी आती है !
तीन-चार लाढिय़ा तो औसतन एक घर के हिसाब से 300-400 रुपए खर्च हो जाते है और बड़े घरो में तो इससे भी ज्यादा। तो क्यों न राष्ट्र के खातिर व अपने कुम्हार भाईयों के लिए हम उन्हीं के द्वारा बनाए दीये खरीदें और देश में ही निर्मित पटाखे चलाएं, जिससे देश का पैसा देश में ही रहे।

उच्च वर्ग से लेकर निम्न वर्ग तक आया चीनी सामान के विरोध में

“चीन की देश विरोधी नीतियों के देखते हुए हम इस साल कोई चायनीज प्रोडेक्ट नहीं खरीदेंगे। 
हम हर हाल में देश व देश के लोगों को आगे बढ़ाने का प्रयास करते हुए अपने कुम्हार भाईयों से ही दीपक खरीद कर घर को रोशन करेंगे।”
– संजय शर्मा, डायरेक्टर नेरोला विब्रेजेज

“चीन लगातार पाकिस्तान का साथ दे रहा है, जो हमारे देश में खून खराबा कर रहा है। 
तो क्या हम ऐसे देश का माल खरीदें जो हमारे ही पैसे को दूश्मन देश को देगा और दुश्मन देश उसी पैसे से हमारे फौजियों के लिए गोली खरीदेंगे, नहीं हमारे ही पैसे हमारे ही फौजी के खून बहने का कारण बने ,यह हम नहीं होने देंगे। हम चायनीज पटाखे व लाइटें नहीं खरीदेंगे।”
– धर्मेंद्र शर्मा, एडवोकेट

“देश का पैसा ऐसे देश में जाए जो हमारा दुश्मन हो तो इससे बड़ी शर्म की क्या बात होगी, चीन हमारे दुश्मन के साथ है। यह बाजार तो हमारे यहां चलाता है, लेकिन समर्थन दुश्मन देश का करता है। हमें नहीं चाहिए ऐसे देश का माल। थोड़ा महंगा सामान ले लेंगे, आगे के बजट में कमी कर लेंगे लेकिन ऐसे देश को पैसा नहीं देंगे।”
– दिनेश जैन, व्यवसायी

“हम राष्ट्र द्रोही नहीं हैं, तो देश के विरुद्ध कार्य करने वाले देश का सामान खरीद कर उसे पैसा क्यों दें। हम देश में बने सामान का ही उपायोग करेंगे, चाहे कुछ हो जाए।”
– निधि श्रीवास्तव, छात्रा

“हम इस बार चायनीज माल को किसी भी कीमत पर नहीं खरीदेंगे, चाहे कुछ हो जाए। 
देश का विरोधी हमारा विरोधी है और उसे हम अपना पैसा देकर एश्वर्यवान नहीं बना सकते।”
– मनोज गोयल, सीनियर मैनेजर निजी कंपनी

“हम न तो चायनीज माल खरीदेंगे न ही किसी को इसे खरीदने का सुझाव देंगे। चीन का कारोबार सुना है हमारे देश में बहुत है, यदि सब एकजुट हो जाएं तो चीन की अर्थव्यवस्था ही हिल जाएगी।”
– ब्रजेश, दुकानदार

“साहब हम गरीब हैं, महंगी चीजें तो खरीद नहीं सकते लेकिन इस बार चीन का माल नहीं खरीदेंगे। हमें भी अपने देश से प्यार है कुछ कम कर लेंगे लेकिन देश का ही बना सामान लेंगे।”
– भूपेश, कारीगर 




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