ग्वालियर। टी-20 विश्वकप में वेस्टइंडीज के हाथों सेमीफइनल में करारी हार के साथ भारत बाहर हो गया। इसके साथ ही टीम इंडिया के टीम निदेशक रवि शास्त्री का भी करार समाप्त हो गया। अब टीम इंडिया में कोच पद को लेकर गहमागहमी शुरू हो गयी है। बीसीसीआई सचिव ने साफ कर दिया है कि इस बार टीम इंडिया को पूर्णकालिक कोच दिया जाएगा।
फुल टाइम कोच न होने के बावजूद भारतीय टीम में रवि शास्त्री टीम मैनेजर के रूप में रहे, जिन्होंने खुद की गलतियों के बावजूद गतिशीलता का प्रदर्शन किया है। लेकिन नतीजे रवि शास्त्री की ओर नहीं है। विदेशी जमीन पर भारत दो बार ऑस्ट्रेलिया से और एक बार बांग्लादेश से हारा, इसके अलावा अपने घर में उस समय की नंबर-1 टीम दक्षिण अफ्रीका से भी भारत वनडे सीरीज हार चुका है। इस वजह से शास्त्री की तकनीकी साख पर सवाल खड़े होते रहे हैं।
इसी बीच द्रविड के कोच बनने की चर्चा से शहरवासियों में उत्साह का बन माहौल है। शहर के कई युवाओं और क्रिकेट से जूड़े लोगों के मुताबिक द्रविड ही हैं जो टीम को वापस लय में ला सकते हैं, जबकि विदेशी कोच फिर से टीम केा तोडऩे की हरकत कर सकते हैं।
साल 2014 से कोच के बिना खेल रही है टीम इंडिया। भारतीय टीम के साधारण प्रदर्शन की वजह से तत्कालीन कोच डंकन फ्लेचर का कार्यकाल खत्म हो गया था। फ्लेचर इसके पहले इंग्लैंड के कोच थे और नासिर हुसैन की कप्तानी में उन्होंने इंग्लिश टीम की कायापलट कर दी थी, लेकिन भारत के साथ उनका ऐसा प्रदर्शन नहीं रहा, जिसके कारण उनकी बहुत आलोचना भी हुई। हालांकि भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने कई बार कहा है कि हार और जीत कोच के हाथों में नहीं होती।
बीसीसीआई ने पूर्व में भी कहा था कि वर्ल्ड टी-20 के बाद टीम इंडिया फुल टाइम कोच के साथ ही चार टेस्ट मैच की सीरीज खेलने वेस्टइंडीज जाएगी। इसी के तहत पिछले साल के अंत में बीसीसीआई ने एक सलाहकार समिति का गठन किया था जिसका काम एक फुल टाइम कोच नियुक्त करना था। इस समिति में सौरव गांगुली, सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण शामिल हैं।
सलाहकार समिति द्वारा बनाई गई लिस्ट में कई कोचों के नाम है, जैसे ऑस्ट्रेलिया के पूर्व खिलाडी जस्टिन लैंगर जिनका शेफील्ड शील्ड के कोच के रूप में अच्छा रिकॉर्ड रहा है। इसके अलावा न्यूज़ीलैंड के पूर्व खिलाडी और चेन्नई सुपर किंग्स के कोच रह चुके स्टीफन फलेमिंग और भारत के पूर्व कोच जॉन राइट के नाम सामने आए है, लेकिन इस लिस्ट में सबसे दिलचस्प नाम है भारतीय अंडर 19 टीम के कोच राहुल द्रविड़ का।
यह है द्रविड की खासियत
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से सन्यास लेने के बाद राहुल द्रविड़ ने क्रिकेट में कई किरदार निभाएं हैं। जैसे आईपीएल में राजस्थान के सफल कप्तान, इंडिया-ए के कोच और अब भारतीय अंडर 19 टीम के कोच के रूप में। 2015 के शुरुआत में द्रविड़ को अंडर 19 के कोच के रूप में नियुक्त किया गया था और उनके सामने अनुभवहीन खिलाड़ी की प्रतिभा निखारने की मुश्किल चुनौती थी। इसके बावजूद कोच के रूप में द्रविड़ ने अपने क्रिकेट के ज्ञान और तकनीकी कुशलता का इस्तेमाल करके युवा खिलाडियों की प्रतिभा निखारने का काम किया। उनकी पारखी नजर और खिलाडिय़ों को निखारने की क्षमता के बदौलत ही भारतीय अंडर 19 टीम के विश्व कप के फाइनल में पहुँचने में सफल रही। दौरे पर गयी भारतीय अंडर 19 टीम के सदस्यों के अनुसार उन्होंने द्रविड़ से जो कुछ खास बातें सीखी उनमें खेल की तकनीक के अलावा विनम्रता, कमिटमेंट और व्यवसायिकता। खेलने की तकनीक के अलावा ये भी कुछ खास बातें हैं जो एक बढ़ता हुआ और युवा खिलाडी द्रविड़ से सीख सकता है।
राहुल द्रविड़ अपने अंतराष्ट्रीय करियर में बेहद कामयाब रहे हैं। कई क्रिकेट के जानकारों व शहरवासियों का मानना है कि उनकी मधुरता और सौम्यता के कारण वो बाकि कोच के उम्मीदवारों से बेहतर हैं। पिछले कुछ सालों में भारत ने विदेशी जमीन पर कुछ सीरीज ही जीती हैं, ऐसे में द्रविड़ की देखरेख में टीम विदेशी जमीन पर अपना प्रदर्शन सुधार सकती है। द्रविड़ टीम में बदलाव ला सकते हैं।
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