श्यामेन्द्र सिंह परिहार
ग्वालियर/भिंड। खूंखार डकैत फूलनदेवी को जब मैंने पहली बार देखा तब चौंक गया था। क्योंकि, मेरे सामने एक पांच फीट की लंबी लड़की ऑटोमेटिक राइफल लिए मंच पर चढ़ रही थी। उसने मेरे पैर छूए और हथियार मेरे पैरों में डालकर हाथ जोड़ा।मेरी सहानुभूति उसके साथ थी। क्योंकि, उसको कानून हाथ में लेने के लिए कुछ लोगों ने मजबूर किया था। जिस कारण वह साधारण लड़की से खूंखार दस्यू बनी और कइयों को मौत के घाट उतारा। ये बातें प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री अर्जुन सिंह ने अपनी आत्मकथा ए ग्रेन ऑफ सेंड इन ऑवरग्लासऑफ़टाइम में कही हैं।
गौरतलब है कि बैंडिट क्वीन के नाम से प्रसिद्ध डकैत फूलन देवी और मानसिंह ने अर्जुन सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में ही सरेंडर किया था, जिसके बाद फूलनदेवी ग्वालियर की केन्द्रीय जेल में करीब 8 साल तक बंद रहीं। एक समय में फूलन देवी पर हत्या, अपहरण और लूट के तकरीबन 48 मामले दर्ज थे। इतना ही नहीं 1981 में फूलन ने उसके साथ दुष्कर्म करने वाले व्यक्ति को उसके परिवार के 20 सदस्यों के साथ लाइन में खड़ा कर गोलियों से भून दिया था।
राजेन्द्र चतुर्वेदी और कल्यान के प्रयासों को सराहा
अर्जुन सिंह ने अपनी आत्मकथा में बैंडिट क्वीन फूलन देवी के आत्म समर्पण समेत कई किस्सों को बयां किया है और इससे जुड़े कई पहलुओं पर प्रकाश डाला है। उन्होंने अपनी आत्मकथा में दो शख्स राजेन्द्र चतुर्वेदी और कल्यान मुखर्जी के प्रयासों को सराहा है। राजेन्द्र चतुर्वेदी उस वक्त भिंड के पुलिस अधीक्षक पद पर थे।
उन्होंने लिखा है, फूलन देवी के समर्पण के पीछे इन दोनों के अथक प्रयास रहे हैं। फूलन देवी को दिए गए उनके आश्वासन के बाद ही वह समर्पण के लिए तैयार हुई।
स्वर्गीय अर्जुन सिंह ने अपनी आत्मकथा में एक बात का और जिक्र किया है। बात दिसंबर 1990 की है, जब अर्जुन सिंह नई दिल्ली के एस्कॉर्ट अस्पताल में हार्ट की बायपास सर्जरी के लिए भर्ती थे। इस दौरान उनको फूलन देवी का एक संदेश प्राप्त हुआ।
संदेश में फूलन देवी ने लिखा था, कि मैं जेल में थी तो आपके लिए कुछ नहीं कर पाई, लेकिन मेरा बचा हुआ जीवन सम्मान से गुजरे, इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देना चाहती हूं। पूर्व दस्यु से इस प्रकार के भाव सुनकर वे चकित हो गए थे।
…जो तलवार पर जीते हैं उनका नाश भी तलवार से होता है
अर्जुन सिंह ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि वो फूलनदेवी जो कभी लोगों के लिए भय का प्रतीक थी, उसी को लोगों ने अपना जन प्रतिनिधि चुना और लोकसभा तक पहुंचाया। 1996 में समाजवादी पार्टी से फूलनदेवी उत्तर प्रदेश की मिर्जापुर-भदौही लोकसभा सीट से सांसद बनीं।अर्जुन सिंह ने फूलन का जिक्र करते हुए अपनी आत्मकथा में उल्लेख किया है कि- जो लोग तलवार के दम पर जीते हैं, उनका नाश भी तलवार से ही होता है। …और फूलन का अंत भी कुछ ऐसा ही हुआ। वर्ष 2001 में शेर सिंह राणा नामक शख्स ने फूलन की दिल्ली के अशोका रोड स्थित उनके आवास पर गोली मारकर हत्या कर दी थी।
Hindi News / Gwalior / 20 को खड़ा कर दागी थीं गोलियां इस लेडी डकैत ने