ग्वालियर। सिथौली स्टेशन से अपहृत मालगाड़ी के गार्ड को अपहरणकर्ता लगातार अपनी लोकेशन बदलने के लिए रातभर जंगलों में चलाते थे। दिन होते ही सुरक्षित ठिकाना देख जंगल में छिप जाते थे। खाने के लिए सिर्फ एक रोटी मिला करती थी। ज्यादा मांगने पर मारते-पीटते थे।
गार्ड वेदराम सिंह जाट (57) को खुद नहीं पता कि पिछले 12 दिनों में उसे कहां-कहां और जंगल के किन-किन हिस्सों में घुमाया गया। बदमाश उसके हाथों में रस्सी बांधकर रखते थे, ताकि वो भाग न जाए।
एक बारह बोर, तीन पिस्टल
चारों अपहरणकर्ताओं के पास बारह बोर की बंदूक, तीन पिस्टल होना भी बताया जा रहा है। एसपी ग्वालियर ने चारों पर दस-दस हजार रुपए का इनाम घोषित किया व जीआरपी ने 30 हजार रुपए का इनाम है।
जीआरपी ने नहीं खेली होली
अपहरण वाले दिन से एसपी जीआरपी अवधेश गोस्वामी पूरे मामले पर नजर रखे हुए थे। एक सप्ताह से वो ग्वालियर में रहकर गार्ड की सकुशल बरामदगी के लिए प्लानिंग कर रहे थे। बंद कमरे में होने वाली प्लानिंग में सिर्फ चुनिंदा लोगों को ही शामिल किया जाता था, जिससे मामला लीक न हो। शुक्रवार को पुलिस की होली थी, लेकिन एसपी जीआरपी ने गार्ड के परिवार के साथ मानवीय संवेदना दिखाते हुए सभी को होली खेलने से मना कर दिया था।
90 हजार के निकले 90 लाख
अपहरणकर्ताओ ने गार्ड वेदराम से परिवार का नंबर लेने के लिए मारपीट की। गार्ड को बेटे का नंबर याद नहीं था, अपने दोस्त पूर्व गार्ड पूरन का नंबर याद था। इसलिए अपहरणकर्ताओं ने पूरन सिंह को फोन कर बड़े बेटे मनोज का नंबर लिया। 15 मार्च को सुबह नौ बजे मनोज को 90 हजार रुपए की फिरौती मांगने के लिए फोन किया, लेकिन मनोज फिरौती की रकम ठीक से नहीं सुन पाया। जब उसने दोबारा पूछा कितने, तब अपहरणकर्ता के मुंह से दोबारा में 90 हजार की जगह 90 लाख रुपए निकल गए। अपहरणकर्ता बड़ी गैंग बनाने की फिराक में थे। चार आरोपी में से एक रामबाबू गड़रिया का भांजा भी बताया जा रहा है, लेकिन पुलिस ने इस बात की पुष्टि नहीं की है। चारों आरोपी स्थानीय जंगल के चप्पे-चप्पे से वाकिफ थे।
चारों की हुई पहचान
चारों अपहरणकर्ताओं की पहचान आंतरी निवासी रामवीर बघेल (40), रोशन बघेल (36), बड़ोरी निवासी करीना गड़रिया (25) और घुसरेंडी घाटीगांव निवासी सरदार सिंह बघेल (25) के रूप में हुई है। रामवीर और रोशन बघेल पर जिला ग्वालियर और शिवपुरी में आठ-आठ मुकदमें दर्ज हैं।
मलखान सिंह के नाम से मांगी फिरौती
अपहरणकर्ताओं ने जब गार्ड के परिजन को फिरौती के लिए फोन किया तो खुद को डाकू मलखान सिंह बताया। दोबारा फोन करने पर उन्होंने कहा कि सरदार ने जो बोला है उसका इंतजाम कर दो नहीं तो अपना आदमी उठाकर ले जाना पड़ेगा। हालांकि जब परिजन मलखान सिंह से मिले तो उन्हें सच पता लग गया।
चोरी का था मोबाइल
अपहरणकर्ता जिस मोबाइल से फिरौती के लिए कॉल कर रहे थे, वो भी चोरी का था। गोपालगंज थाने में इसका प्रकरण दर्ज है। उसमें प्रयोग होने वाली सिम भी फर्जी नाम, पते पर ली गई थी। पहले दो दिन अपहरणकर्ताओं की लोकेशन एक जगह थी, लेकिन जैसे ही पुलिस की चहल-कदमी बड़ी तो अपहरणकर्ता बचने के लिए लगातार अपनी लोकेशन बदल लिया करते थे।
गांव से लाते थे खाना
वेदराम का कहना है कि रात-रात पर चलाने के बाद दिनभर घने जंगलों में छिपकर सोया करते थे। उनके हाथ-पांव बांधकर रखे जाते थे। चार में से एक आदमी हर पल जागता था। उनके लिए आसपास के गांव से ही खाने का इंतजाम होता था।
“गार्ड की हिम्मत ही उसकी सकुशल वापसी का कारण है। गार्ड को मुक्त करवाने में जिला पुलिस का बड़ा सहयोग रहा है। जीआरपी टीम रात-रातभर जंगलों में सर्चिंग करती रही, जिसके बाद बड़ी कामयाबी मिली है।”
अवधेश गोस्वामी, एसपी जीआरपी
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