ग्वालियर। शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के तहत इस बार बड़ी बसों की जगह मिनी बस के संचालन की तैयारी हो रही है। इसके लिए शहर में दो या तीन रूटों पर ट्रायल शुरू होगा।
फिलहाल अफसरों को इनके संचालन से पहले सफलता सुनिश्चित करने के लिए एेसे लोगों पर शिंकजा कसना होगा, जिन्होंने पिछली बार बसों का संचालन मुश्किल कर दिया था। जिसमें विक्रम संचालक, आसमाजिक तत्व जो फ्री में स्टाफ बोलकर यात्रा करते थे। 16 करोड़ रुपए की लागत से करीब 50 से अधिक बसों के संचालन की तैयारी है।
ये हैं पिछली विफलताओं के कारण
संकरी सड़कें- शहर की सड़कें सकरी थीं। जिन पर बड़ी बसों का संचालन करना गलत निर्णय रहा।
प्रतिबंध नहीं- जिस रूट पर बसों का संचालन शुरू हुआ उन रूटों पर विक्रम टेंपो प्रतिबंधित नहीं किए गए थे। जिससे सवारी नहीं मिलीं।
फ्री स्टाफ- सबसे अधिक समस्या मुरार क्षेत्र में आई, जहां लोग स्टाफ बोलकर बस में चढ़ जाते और गुंडागर्दी कर पैसा नहीं देते।
मॉनिटरिंग- जिन अफसरों को सिटी ट्रांसपोर्ट सिस्टम की जिम्मेदारी दी गई थी। उन्होंने सही समय पर सही निर्णय नहीं लिए।
राजनीतिक दबाव- विक्रम एवं अन्य वाहन संचालकों से जुड़े नेताओं से सामंजस्य न होने कारण भी प्रोजेक्ट विफल हुआ।
अफसरों को करना है निर्णय
शहर में सिटी ट्रंासपोर्ट के लिए निगम अफसरों ने तैयारी कर ली है। अब निगमायुक्त और कलेक्टर को निर्णय लेना है। इसके बाद बसों की खरीदी, रूट, टाइमिंग, स्टॉपेज आदि पर प्लानिंग की जाएगी।
इसलिए जरूरी : विक्रम वाहनों की भेड़ चाल से जहां ट्रैफिक अनियंत्रित हो रहा है। वहीं काले धुएं से शहर में वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। जो शहर के लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल रहा है। वहीं बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए शहर में बसों के संचालन की मांग बढ़ रही है।
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