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ग्वालियर

इस तकनीक से एक जुताई में 20 साल तक लहलहाएगी फसल

शारदा बालग्राम में शून्य जनित खेती (जीरो टिल फॉर्मिंग)से 2 एकड़ क्षेत्र में उगाई जा रही सब्जियां और फसल।

ग्वालियरJun 12, 2016 / 12:01 pm

rishi jaiswal

People teach farming skills

People teach farming skills


नरेन्द्र कुइया@ग्वालियर
सिटी सेंटर स्थित शारदा बालग्राम में इन दिनों खेती की नवीन और उन्नत तकनीक के जरिए हरी सब्जियां और फसलें उगाई जा रही हैं। करीब 2 एकड़ क्षेत्र में यहां शून्य जनित खेती (जीरो टिल फॉर्मिंग) से ये काम हो रहा है। इस खेती की खासियत है कि एक बार की गई जुताई से 20 साल फसल लहलहा सकती है। महाराष्ट्र के रायगढ़ के चंद्रशेखर भटसावले की यह नई तकनीक यहां भी कारगर साबित हो रही है। एक साल में इस पद्धति से तीन अलग-अलग फसल उगाई जा सकती है। शून्य जनित खेती से 20 वर्षों तक जुताई की जरूरत नहीं पड़ती तो उत्पादन एक बार में दो गुना तक हो जाता है।


ऐसे की जाती है शून्य जनित खेती
शून्य जनित खेती या बिना जुताई के खेती करने का वह तरीका है जिसमें भूमि को सिर्फ एक बार जोतकर कई वर्षों तक फसलें उगायी जाती हैं। शून्य जनित खेती के लिए लोहे का एक फ्रेम तैयार किया जाता है इसमें नीचे की ओर लोहे के 6-6 इंच के पाइपनुमा जमीन में दबाए जाते हैं। फ्रेम से बराबर मात्रा में गड्ढे हो जाते हैं। इन गड्ढों में बीजों को बो दिया जाता है। इस खेती में एक हेक्टेयर में अगर 3 क्विंटल उपज हुई है तो इसके बाद यहां की पैदावार 14 क्विंटल तक पहुंच जाती है। एक फसल काटने के तीन-चार दिन में दूसरी फसल भी बोई जा सकती है।


इनकी हो रही खेती
शारदा बालग्राम के 2 एकड़ क्षेत्र में टमाटर, बैंगन, तोरई, कद्दू, लौकी, हरी मिर्ची, हरा धनिया, पालक, भिंडी, आलू, प्याज आदि सब्जियों को उगाया जा रहा है। 

“छह माह पूर्व शून्य जनित खेती करना शुरू की थी। सब्जियों के साथ-साथ दूसरी फसलें भी उगाई जा रही हैं। वाकई खेती की ये नवीनतम तकनीक काफी कारगर है। फिलहाल 2 एकड़ में इस खेती को किया जा रहा है।”
 – स्वामी सुप्रदिप्तानंद महाराज, निदेशक, शारदा बालग्राम राम कृष्ण आश्रम


खेती के फायदे
 जुताई न करने से समय और धन की बचत होती है।
 भूमि का अपरदन बहुत कम होता है।
 भूमि में नमी बनी रहती है।
 भूमि के अन्दर और बाहर जैव-विविधता को क्षति नहीं होती है।
 टै्रक्टर नहीं चलने से डीजल की भी बचत होती है।


महाराष्ट्र से मिला कॉन्सेप्ट
शून्य जनित खेती का यह नवीनतम कॉन्सेप्ट महाराष्ट्र के रायगढ़ के चंद्रशेखर भटसावले ने अपनी 36 वर्ष की मेहनत के बाद इजाद किया है। पत्रिका से बातचीत में उन्होंने बताया कि मैं 5 वर्षों तक अमेरिका में रहा, वहां के लोग भारतीयों के वहां जाने पर उन्हें बुरा-भला कहते हैं। मुझे यह बात कचोट गई और मैंने भारत आकर इस खेती पर काम किया। महाराष्ट्र में फिलहाल 2 हजार किसान इस पद्धति को अपना रहे हैं। इसके साथ ही उड़ीसा, गुजरात, हरियाणा, मप्र आदि प्रदेशों के किसानों यह जानकारी पहुंच चुकी है।

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