(प्रतीकात्मक फोटो)
ग्वालियर। बदलते खान-पान और जीवन शैली के चलते स्पॉन्डिलाइटिस से प्रभावितों की संख्या बढऩे लगी है। आम तौर पर 50 की उम्र के बाद से होने वाली ये बीमारी अब तेजी से युवाओं को अपना शिकार बना रही हैं। शासकीय आयुर्वेद अस्पताल के पंचकर्म विभाग की ओपीडी के आंकड़े इस बात को पुष्टि करते हैं।
ओपीडी में रोजाना औसतन 40 से 50 मरीज स्पॉन्डिलाइटिस से पीडि़त होकर पहुंच रहे हैं। इनमें युवाओं का प्रतिशत 80 है। विशेषज्ञ के मुताबिकगांवों की तुलना में शहरी लोगों में ये परेशानी जल्द नजर आ रही हैं। डॉंक्टरों का मानना है कि पिछले एक दशक में युवा इसके तेजी से शिकार हुए हैं।
पंचकर्म विभाग के अनुसार अस्पताल में हर सप्ताह स्पॉन्डिलाइटिस के 280 नए मामले आते हैं, जिनमें मरीज की उम्र 20 से 25 वर्ष है। एक दशक पहले के आंकड़ों से तुलना करें तो यह संख्या तीन गुनी हुई है। खराब सड़क, फोम के गद्दे, अनियमित खानपान, कम्प्युटर लैपटाप ज्यादा इस्तेमाल करने के चलते बीमारी की चपेट में युवाआ ज्यादा आए हैं।
ये हैं बचाव के उपाय
नियमित व्यायाम करें और मोटापे नियमित व्यायाम करें और मोटापे से बचें।
कार्यालयों में काम करने वाले एक ही अवस्था में ज्यादा देर न बैठें।
अचानक भारी वजन न उठाएं, ज्यादा झुकें नहीं।
तकिया न लगाएं, नर्म के बजाए सख्त बिस्तर पर सोएं।बाइक तेजी से न चलाएं।
“कमर व गर्दन दर्द के शिकार युवाओं की संख्या तेजी से बढ़ी है। ओपीडी में इलाज के लिए आने वाले मरीजों में 80 फीसदी युवा स्पॉन्डिलाइसिस के शिकार मिलते हैं।”
डॉ. विवेक देवलिया, विभागाध्यक्ष, पंचकर्म विभाग आयुर्वेद अस्पताल
इस उम्र में सबसे ज्यादा खतरा
30-50 वर्ष की आयु में कमर के निचले हिस्से में स्लिप्ड डिस्क की समस्या हो सकती है।
40-60 वर्ष की आयु तक गर्दन के पास सर्वाइकल वर्टिब्रा में समस्या होती है।
20-25 वर्ष के युवाओं में भी स्लिप डिस्क के लक्षण तेजी से देखे जा रहे हैं।
Hindi News / Gwalior / आपकी ये आदतें आपको बना रहीं हैं इस बीमारी का शिकार, जरा संभलकर रहिए