ग्वालियर। खेलों में आगे बढऩे के लिए सुविधाओं का उतना ही महत्व होता है, जितना की मेहनत का। इन सारी बातों की जानकारी होने के बावजूद प्रदेश के खिलाडिय़ों को सुविधाएं नहीं दिए जाने से वे लगातार पिछड़ रहे हैं।
खेलों में प्रदेश के खिलाडिय़ों के कमजोर पडऩे के कई मामले सामने आने के बावजूद अधिकारियों द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ऐसा ही एक ओर मामला सामने आया है। जहां खिलाडिय़ों को ठण्ड के इस मौसम में भी खुले में नहाने व फर्श में सोने को मजबूर होना पड़ा।
यह है मामला
दरअसल पुणे में होने वाली नेशनल कुश्ती के लिए तैयारी करने के लिए प्रदेश के 7 प्लेयर प्री-कैंप के लिए दतिया आए, लेकिन यहां के इंतजाम देखकर अधिकांश खिलाड़ी वापस चले गए। कुश्ती लडऩे वाले इन पहलवानों को अफसरों ने फर्श पर सुलाया और उन्हें नहाने के लिए हैंडपंप का इस्तेमाल करना पड़ा। यहां तक कि उन्हें टॉयलेट नहीं मिला जिस कारण उन्हें वे खेत में शौच करने जाना पड़ा।
और वापस लौटे गए पहलवान…
जानकारी के अनुसार15 दिसंबर तक पुणे में नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप होने वाली है। इस कुश्ती की तैयारी के लिए खेल विभाग के निर्देश पर दतिया में 8 से 13 दिसंबर तक के लिए प्री-नेशनल कुश्ती कैंप रखा गया था। इस कैंप में प्रदेश भर के 20 प्लेयर्स को दतिया प्री-कैंप के लिए आना था। लेकिन सिर्फ छह लड़के व एक लड़की ही कैंप में शामिल होने के लिए दतिया आए।
रात भी ठण्ड में कांपते रहे प्लेयर्स
यहां इन प्लेयर्स को सरकारी स्कूलों में ठहराया गया, और अधिकांश सुविधओं से महरूम रखा गया। इनके सोने के लिए टेंट हाउस से फर्श मंगाकर बेड बना दिया। और यहां बिछे पतले गद्दों व पतली रजाइयों के कारण प्लेयर्स रात भर ठंड से कांपते रहे।
इसके अलावा स्कूल का टॉयलेट साफ नहीं था और न ही बाथरूम में पानी नहीं था, लिहाजा प्लेयर्स को खुले में शौच करने जाना पड़ा। साथ ही नहाने के लिए भी हैंडपंप का सहारा लेना पड़ा।
खाना-पानी तक के लिए हुए परेशान
यहां इन्हें न तो समय पर नाश्ता मिला और न ही खाना। पीने के लिए भी हैंडपंप का पानी बाल्टी में भरकर दे दिया गया। इस तरह की अव्यवस्थाएं देखकर अंत में सभी प्लेयर्स अपने घर वापस चले गए।
कैंप में इंदौर से आए पहलवानों ने बताया कि स्कूल का टॉयलेट गंदा था, जिसके कारण खुले में शौच करने जाना पड़ा। यही नहीं खुले में ठंडे पानी ने नहाना पड़ा।
जबकि इंदौर के ही एक अ्रन्य पहलवान ने बताया कि हम लोग आरओ का पानी पीते हैं। इन्होंने खुला पानी दे दिया। घर से कंबल लाए तो ठंड से बचाव हुआ।
अफसर नहीं मान रहे अपनी गलती
इतना सब हो जाने के बावजूद जिला खेल अधिकारी केके पाराशर गलती मानने को तैयार नहीं है। वे कहते हैं ऐसे कैंप मे स्कूलों मे ही प्लेयर्स रुकते हैं। स्कूल में पानी और टॉयलेट था।
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