ग्वालियर। होलिका दहन पर बनी असमंजस की स्थिति को ज्योतिषाचार्यों ने एक राय से खारिज कर दिया है। उन्होंने त्योहार तिथि निर्धारण के मुख्य स्रोत निर्णय सिंधु और धर्म सिंधु ग्रंथ का प्रमाण देते हुए 23 मार्च को ही गोधूलि बेला के बाद होलिका दहन की बात कही है।
ज्योतिषाचार्यों का तर्क है, भद्रा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। वहीं पूर्णिमा 22 मार्च को दोपहर 3.12 बजे आने से उदया तिथि नहीं है। दो दिन की पूर्णिमा होने पर पूर्णिमा और पड़वा की रात होलिका दहन किया जाता है। त्योहार तिथि के निर्णय धर्म सिंधु ग्रंथ के आलोक में ही होते हैं। दोनों के अनुसार 23 मार्च को होलिका दहन और 24 को रंग खेला जाएगा।
धर्म सिंधु ग्रंथ के अनुसार
1. 22 मार्च को दोपहर 3.12 बजे पूर्णिमा लगेगी। यह 23 मार्च को शाम 5.31 बजे तक रहेगी।
2. पूर्णिमा लगने के साथ ही भद्राकाल लग जाएगा। यह दो प्रकार का होता है।
3. भद्राकाल का पूंछ भाग 22 मार्च की रात 11.57 से 1.16 बजे तक रहेगा।
भद्राकाल का मुख भाग रात 1.16 से 3.28 बजे तक।
4. पूर्णिमा दो दिन हो और पहले दिन भद्रा और अगले दिन भद्रा नहीं हो। यदि पूर्णिमा की रात पड़वा आ गई हो तो पूर्णिमा और पड़वा की रात होलिका दहन होता है।
यह भी कहा गया है-
दिनद्धेये प्रदोषव्याप्तौ पर दिने प्रदोषैक, देश व्याप्तौ व परैव
अर्थात, यदि फाल्गुन पूर्णिमा दो दिन प्रदोष व्यापिनी हो तो दूसरे दिन अर्थात भद्रा रहित प्रदोष काल में होलिका दहन किया जाता है।
गोधूलि बेला में होलिका दहन श्रेष्ठ (भविष्योतर पुराण)
यदि भद्रा निशीथकाल के पश्चात समाप्त होती है और दूसरे दिन पूर्णिमा साढ़े तीन प्रहर या उससे अधिक है तो उस स्थिति में दूसरे दिन होलिका दहन किया जाता है। इस दिन पूर्णिमा उदय तिथि में साढ़े तीन प्रहर से अधिक तथा चैत्र कृष्णपक्ष प्रतिपदा का समय भी वृद्धिगामी होने से गोधूलि बेला में होलिका दहन श्रेष्ठ है।
यह प्रमाण पक्ष में
निर्णय सागर पंचांग
लाला बहादुर संस्कृत
विद्यापीठ पंचांग
बनारस व ऋषिकेश के पंचांग
ब्रजभूमि पंचांग, उज्जैन पंचांग
यहां भी २३ को होलिका दहन
“कोटेश्वर मंदिर पर २३ मार्च को गोधूलि बेला के बाद होलिका दहन होगा।”
कमल किशोर, पुजारी कोटेश्वर मंदिर
“शाला के विशेष उत्सव कैलेंडर में दहन की तिथि २३ ही निर्धारित है। इसी दिन दहन किया जाएगा।”
रामसेवक दास, महंत, श्रीगंगादास की बड़ी शाला
“हमने मंदिर और ज्योतिषाचार्यों से विचार-विमर्श किया है। धर्मशास्त्रों के अनुसार २३ मार्च को ही होलिका दहन होगा।”
भुवनेश्वर वाजपेयी, सचिव, अचलेश्वर
यह है इनकी राय
“होलिका दहन 23 मार्च को ही होगा। धर्म सिंधु ग्रंथ में इसका उल्लेख है। इसलिए निर्णय सागर पंचाग में यही तिथि रखी गई है।“
आनंद स्वरूप शास्त्री, निर्णय सागर पंचांग
“लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विद्यापीठ, बनारस के विद्वानों से बातचीत के बाद ही तय किया 23 को दहन तर्क सम्मत रहेगा।”
गिरराज गुरु, ज्योतिषाचार्य
“भद्राकाल को नजरअंदाज कर होलिका दहन करना शुभ नहीं रहेगा।”
नरेंद्रनाथ पांडे, ज्योतिषाचार्य
बरसाना में होली 24 को खिलेगी
बरसाना स्थित राधा-रानी मंदिर के सेवा अधिकारी व पूर्व अध्यक्ष संजय गोस्वामी ने बताया कि यहां 17 मार्च से लट्ठमार होली शुरू हो जाएगी, लेकिन होलिका दहन 23 मार्च को होगा और 24 को होली खेली जाएगी। यूपी में रामप्रसाद सिद्धांत पंचांग और विश्व पंचांग में भी होलिका दहन की यही तिथि निर्धारित की गई है।
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