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ग्वालियर

बापू की पाठशाला: 100 वर्ष पूरे करने के बाद आज भी पहनते हैं खादी के कपड़े

वह जमीन पर बैठकर भोजन करते और खादी से बने धोती-कुर्ता पहनते। दैनिक आवश्यकताओं में उन्होंने हमेशा स्वदेशी चीजों का इस्तेमाल किया।

ग्वालियरOct 02, 2016 / 10:28 am

Gaurav Sen

gandhi jayanti

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ग्वालियर। उम्र के 100 बसंत पूरे कर चुके पूर्व महापौर रघुनाथराव पापरीकर बताते हैं कि बापू (महात्मा गांधी) से दो मिनट की मुलाकात ने मेरी जिंदगी बदल दी। बापू ने सादा जीवन जिया। वह जमीन पर बैठकर भोजन करते और खादी से बने धोती-कुर्ता पहनते। दैनिक आवश्यकताओं में उन्होंने हमेशा स्वदेशी चीजों का इस्तेमाल किया।




बापू से दो मिनट की मुलाकात ने बदल दिया जीवन
महात्मा गांधी से मेरी मुलाकात 1936 में अहमद नगर महाराष्ट्र में हुए कांग्रेस अधिवेशन में मामा टीडी पुस्तके ने कराई थी। दो मिनट की मुलाकात में मैं उनसे इतना प्रभावित हुआ कि उनके पद चिह्नों पर चलने लगा। उन्हीं की तरह सादा जीवन जीने की राह पकड़ ली। गांव-गांव जाकर लोगों को विदेशी कपड़ों का बहिष्कार करने, शराब न पीने के लिए जागरूक करने लगा। मुझे देखकर लोग मजाक उड़ाते, लेकिन मैं हंसते हुए अगले गांव की ओर बढ़ जाता। 
मेरा मानना था कि यदि मुझसे रोजाना एक व्यक्ति भी प्रभावित होकर सादा जीवन जीने लगा, तो मेरी मेहनत सफल होगी। कॉलेज टाइम के बाद से मैंने पैंट-शर्ट त्याग दिया। हर छोटे-बड़े कार्यक्रम, शादी-विवाह में धोती-कुर्ता ही पहनता। जमीन पर बैठकर भोजन करता। हमेशा स्वदेशी चीजों का इस्तेमाल किया। आज भी मैं खादी के कपड़े ही पहनता हूं।
रघुनाथराव पापरीकर, पूर्व महापौर



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