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ग्वालियर

रूपये नहीं दोगे तो नही रखे जायेगे बैग, छात्रों से अवैध वसूली

प्रतियोगी परीक्षाओं में नियमों के नाम पर परीक्षार्थियों से एग्जाम सेंटर्स रुपए वसूल रहे हैं। परीक्षाएं कराने वाली हर संस्था एग्जाम में मोबाइल, पर्स, बेल्ट, लॉकेट वगैरह हॉल में ले जाने की इजाजत नहीं देती हैं।

ग्वालियरMar 25, 2016 / 08:24 pm

Gaurav Sen

illegal money demand

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ग्वालियर। प्रतियोगी परीक्षाओं में नियमों के नाम पर परीक्षार्थियों से एग्जाम सेंटर्स रुपए वसूल रहे हैं। परीक्षाएं कराने वाली हर संस्था एग्जाम में मोबाइल, पर्स, बेल्ट, लॉकेट वगैरह हॉल में ले जाने की इजाजत नहीं देती हैं। 

जिन्हें सेंटर्स में ही जमा कराना पड़ता है। इसी का लाभ उठाते हुए प्राइवेट संस्थान परीक्षार्थियों से हर वस्तु के बदले दस से बीस रुपए वसूल लेते हैं। एेसे में एक परीक्षार्थी से पचास रुपए तक ले लिए जाते हैं। और एक सेंटर में हजारों स्टूडेंट्स आते हैं। इसलिए उनकी लाखों रुपए की अवैध कमाई वैसे ही हो जाती है। खासकर बाहरी क्षेत्रों से आने वाले इसका अधिक शिकार हो जाते हैं। अक्सर परीक्षार्थी इसकी शिकायत करना भी चाहें तो वे एेसा नहीं कर पाते। पत्रिका ने जब इस बारे में पड़ताल की तो हकीकत सामने आई। एक सेंटर में रिपोर्टर को खुद पैसे चुकाने पड़े। इसका विरोध करने पर एक न सुनी गई। हालांकि परीक्षा के लिए जो एडमिट कार्ड जारी होता है। उस पर कुछ भी न लाने की मनाही होती है। मगर गाड़ी और हेलमेट साथ लाना परीक्षार्थी की मजबूरी है। सेंटर इसके पैसे भी ले लेते हैं।

शहर के विभिन्न सेंट्र्स पर होते है एग्जाम
किसी भी जॉब के लिए पोस्ट एक हो या हजार लाखों की संख्या में अभ्यार्थी इसके लिए आवदेन करते है। एेसे में शहर के सरकारी कॉलेज कम पड़ जाते हैं। कई प्राइवेट संस्थान को एग्जाम का निवर्हन कराने का जिम्मा दे दिया जाता है। इसका फायदा उठाकर वे वसूली करते हैं। खासकर ऑनलाइन एग्जाम में। क्योंकि इनकी व्यवस्था सिर्फ प्राइवेट संस्थानों में ही हो पाती है।

कई तरह के हैं चार्ज 
सेंटर्स द्वारा पैसा कमाने का सिलसिला पार्र्किंग से शुरू होता है। एग्जाम सेंटर पर अभ्यार्थी मोटरसाइकिल के अलावा कार से भी पहुंचते है। जहां मोटरसाइकिल पार्क करने के लिए स्टूडेंट्स से 10 रूपए शुल्क लिए जाते है तो वही कार वाहन से १५ से २० रूपए तक वसूले जाते हैा इतना ही नहीं पार्र्किंग चार्ज के बाद सुरक्षा के लिए लगाए हेलमेट का भी शुल्क अभ्यार्थ ी को चुकाना पड़ रहा है। सेंटर्स पर हेलमेट रखने के लिए अलग से काउंटर बनाए गए है जहां 10 रूपए देना होता है। इसके अलावा मोबाइल के लिए काउंटर पर दस रुपए लिए जाते हैं। अगर धोखे से अभ्यर्थी को कोई फोटोकॉपी कराने 
की नौबत आ जाए तो इसके लिए भी एक कॉपी के दस रुपए ले लिए जाते हैं। यानी परीक्षार्थी की मजबूरी का फायदा उठाने की पूरी तैयारी सेंटर्स करके रखते हैं। जिससे बैठे-बैठाए उनकी दुकान चल निकले।

कैसे आएं खाली हाथ
कॉम्पीटिशन में दूसरे शहर के स्टूडेंट्स भी शामिल होने आते हैा सेंटर दूर होने के कारण अभ्यार्थी अपने साथ बैग और फोन अपने साथ ही रखते है। ऐसे में एग्जाम कॉडिनेटर सेंटर इसका फायदा उठा रहा है। अभ्यार्थी का कहना है कि दूर से आने के कारण बैग और फोन लाना मजबूरी है। कई बार एग्जाम अलगह-अलग शिफ्ट में होते है और आसपास कुछ नहीं मिलने के कारण अपने साथ इसे रखना पड़ता है।

ऑटोवाले भी उठा लेते हैं फायदा 
अभ्यर्थी सिर्फ सेंटर्स की ओर से ही ठगे नहीं जाते। बल्कि ऑटोचालक भी उनसे किराए के नाम पर मनमानी वसूली करने में पीछे नहीं रहते। वे दो चार किलोमीटर के पचास रुपए किराया ले लेते हैं। यही नहीं एक ऑटो में आठ से दस सवारी बैठा दी जाती है। एक व्यक्ति से पचास रुपए मांगे जाते हैं। एेसे में वे चंद किलोमीटर की दूरी पर ५०० से ६०० रुपए कमा लेते हैं। जिस पर ट्रेफिक पुलिस का कोई ध्यान नहीं होता। 

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