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ग्वालियर

वायरल फीवर, यह हैं बचने के घरेलू उपाय

जब भी मौसम बदलता है तब तापमान के उतार-चढ़ाव के कारण शरीर का इम्यून सिस्टम थोड़ा कमजोर हो जाता है, जिसके कारण वायरस से शरीर जल्दी संक्रमित हो जाता है। वैसे तो वायरल फीवर के लक्षण अन्य आम फीवर के तरह ही होते हैं मगर इसको नजर अंदाज करने पर अवस्था गंभीर हो सकती है।

ग्वालियरSep 02, 2016 / 04:52 pm

rishi jaiswal

gharelu upachar

viral fever


ग्वालियर।  मौजूदा मौसम में वायरल फीवर ने हर ओर अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है, इसके चलते देश भर में इन दिनों कई लोग इसके शिकंजे में आ चुके हैं। दरअसल मौसम के बदलने के समय वायरल फीवर ज्यादा फैलता होता है। दरअसल वातावरणीय कारकों और शारीरिक प्रतिरक्षा तंत्र में होने वाले आंतरिक बदलाव के कारण ऐसा होता है। वाइरल फीवर का जोखिम बच्चों, बुजुर्गों और जटिल रोगों से पीडि़त लोगों में ज्यादा होता है।



जानकारों के अनुसार जब भी मौसम बदलता है तब तापमान के उतार-चढ़ाव के कारण शरीर का इम्यून सिस्टम थोड़ा कमजोर हो जाता है, जिसके कारण वायरस से शरीर जल्दी संक्रमित हो जाता है। वैसे तो वायरल फीवर के लक्षण अन्य आम फीवर के तरह ही होते हैं मगर इसको नजर अंदाज करने पर अवस्था गंभीर हो सकती है। फीवर होने के प्रथम अवस्था में गले में दर्द, थकान, खांसी आदि होता है। जिसको लोग नजरअंदाज कर देते हैं, और इसी नजर अंदाज के कारण वायरस को पनपने का अवसर मिलता है।
रोग का स्वरूप: वाइरल फीवर विषाणु (वाइरस) के संक्रमण से उत्पन्न होने वाला बुखार है। यह बुखार सामान्य बुखार की तुलना में कहीं अधिक दीर्घकालिक और पीड़ाकारक होता है। बदलते मौसम में तापमान परिवर्तन के कारण विषाणुओं की सक्रियता व संक्रामकता बढ़ जाती है।



वायरल फीवर के खास लक्षण: वायरल फीवर की शुरुआत तो सामान्यत: बुखार से ही होती है, लेकिन इस दौरान थकान महसूस होना, मांसपेशियों या बदन में दर्द, तेज बुखार, खांसी, जोड़ो में दर्द, दस्त, त्वचा के ऊपर रैशज़, सर्दी, गले में दर्द, सर दर्द, आंखों में लाली और जलन का अनुभव, ग्रसिका नली में सूजन आना इसके खास लक्षण हैं।



ऐसे बचें वायरल फीवर से
वायरल फीवर होने से रोकने के लिए शुरू में ही कुछ सावधानियां अपनानी जरूरी हैं। इससे बचने के लिए आप इन कार्यों को कर काफी हद तक अपने को इस बीमारी से दूर रख सकते हैं। 
1. खुद को बारिश में भीगने से बचाइए।
2. यदि बारिश में भीग जाएं तो उसके बाद घर में जरूर नहाए।
3. रात को सोने से पहले हल्दी वाले दूध का सेवन करें।
3. गरम पानी के गरारे करें, ताकी आराम मिले।
4. बाहर का खाना खाने में परहेज करें।
5. सब्जियों को पकाने से पहले नमक के गर्म पानी से धोएं।
6. गीले कपड़ों और गीले बालों के साथ एसी रूम में घुसने से बचें।
7. साफ सफाई का पूरा ध्यान रखें।
8. घर में मच्छर हैं तो पेस्ट स्प्रे अपनाएं।
9. फ्लोर पर एंटी बेक्टेरियल लिक्विड छिड़कने के बाद पोछा लगाएं।
10. छिलके वाले फल जहां तक हो सके ना खाएं, वही फल खाएं जनका छिलका उतर सकता है ।




वायरल फीवर के लिए घरेलू उपचार 
वायरल फीवर मौसमी संक्रमण वाला बुखार होता है। इससे निपटने के लिए कुछ एंटीबायोटिक दवाओं या कुछ ओटीसी (ओवर-द-काउंटर) का सहारा लिया जाता है। आप चिकित्सक के पास जाने से पहले ही कुछ घरेलू नुस्खे आजमाकर भी इस बुखार को कम या इससे पूरी निजाद पा सकते हैं। वायरल बुखार के के लिए प्राकृतिक इलाज सुरक्षित और आसानी से उपलब्ध है। जानकारों के अनुसार वायरल बुखार के इलाज के लिए यह हैं कुछ आसान घरेलू उपचार-
1. धनिया चाय धनिया के बीज में पॉयथोन्यूटियंटस होते हैं, जो कि शरीर को विटामिन देते हैं और अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को भी बढ़ाते हैं। धनिया में मौजूद एंटीबायोटिक यौगिक वायरल संक्रमण से लडने की शक्ति देते हैं।
कैसे तैयार करें- एक गिलास पानी में एक बड़ा चम्म्च धनिया के बीच डालकर उबाल लें। इसके बाद इसमें थोड़ा दूध और चीनी मिलाएं। धनिया की चाय तैयार है, इसे पीने से वायरल बुखार में बहुत आराम मिलता है।
2.  सोआ/डिल बीज का काढ़ा प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने और शरीर को आराम देने के अलावा, सोआ/डिल बीज शरीर के तापमान को कम करने में भी उपयोगी होते हैं। इसका कारण इनमें फ्लेवोनोइडस ओसमोंड पिंस उपस्थिति होते हैं। डिल बीज का काढ़ा वायरल बुखार में राहत देने के साथ ही शक्तिशाली रोगाणुरोधी एजेंट का कार्य करता है।
कैसे तैयार करें- एक कप उबलते पानी में डिल बीज डालें और उबलनें दें इसके बाद इसमें एक चुटकी दालचीनी डालें। गर्म चाय की तरह पिएं।
3. तुलसी के पत्ते का काढ़ा वायरल बुखार के लक्षण होने पर प्राकृतिक उपचार के लिए सबसे प्रभावी और व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली औषधि है तुलसी के पत्ते। बैक्टीरियल विरोधी, कीटाणुनाशक, जैविक विरोधी और कवकनाशी गुण तुलसी को वायरल बुखार के लिए सबसे उत्तम बनाते हैं। 
कैसे तैयार करें- आधे से एक चम्मच लौंग पाउडर को करीब 20 ताजा और साफ तुलसी के पत्तों के साथ एक लीटर पानी में डालकर उबाल लें। पानी को तब तक उबालें जब तक कि पानी घट कर आधा न रह जाए। इस काढ़े का हर दो घंटे में सेवन करें।



4. चावल स्टार्च वायरल बुखार के इलाज के लिए प्राचीन काल से आम घर उपाय है चावल स्टार्च (हिंदी में कांजी के रूप में जाना जाता है)। यह पारंपरिक उपाय प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ा देता है। यह विशेष रूप से वायरल बुखार से पीड़ित बच्चों और बड़े लोगों के लिए, एक प्राकृतिक पौष्टिक पेय के रूप में कार्य करता है।
कैसे तैयार करें- एक भाग चावल और आधा भाग पानी डालकर चावल के आधा पकने तक पकाएं। इसके बाद पानी को निथार कर अलग कर लें और इसमें स्वादानुसार नमक मिलाकर, गर्म-गर्म ही पिएं। इससे वायरल बुखार में बहुत आराम मिलता है। 
5. सूखी अदरक मिश्रणअदरक स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी है। इसमें एंटी फ्लेमेबल, एंटीऑक्सिडेंट और वायरल बुखार के लक्षणों को कम करने के लिए एनाल्जेसिक गुण होते हैं। इसलिए, वायरल बुखार से पीडि़त लोगों को परेशानी को दूर करने के लिए शहद के साथ सूखी अदरक का उपयोग करना चाहिए।
कैसे करें तैयार- एक कप पानी में दो मध्यम आकार के सूखे टुकड़े अदरक या सौंठ पाउडर को डालकर उबालें। दूसरे उबाल में अदरक के साथ थोड़ी हल्दी, काली मिर्च, चीनी आदि को उबालें। इसे दिन में चार बार थोड़ा थोड़ा पिएं। इससे वायरल बुखार में आराम मिलता है। 
6. मेथी का पानी रसोई घर में आसानी से उपलब्ध, मेथी के बीज में डायेसजेनिन, सपोनिन्स और एल्कलॉइड जैसे औषधीय गुण शामिल है। मेथी के बीजों का प्रयोग अन्य बहुत सी बीमारियों के इलाज में भी किया जाता है और यह वायरल बुखार के लिए बेहतरीन औषधि है।
कैसे तैयार करें- आधा कप पानी में में एक बड़ा चमचा मेथी के बीच भिगोएं। सुबह में, वायरल बुखार के इलाज के लिए नियमित अंतराल पर इस पेय को पिएं। कुछ और राहत के लिए मेथी के बीज, नींबू और शहद का एक मिश्रण तैयार कर उसका प्रयोग भी किया जा सकता है। 
(नोट- याद रखें कि ये केवल घरेलू उपचार हैं, यदि इसके बावजूद आपका बुखार नहीं उतर रहा है तो आपको डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए।)

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