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ग्वालियर। सूर्य उपासना में रविवार का व्रत अनिवार्य माना जाता है। व्रत के दिन नमक का उपयोग न करें। पंडितों के अनुसार रविवार के दिन खुले आकाश के नीचे पूर्व की ओर मुंह करके शुद्ध ऊन के आसन या कुशासन पर बैठकर काले तिल, जौ, गूगल, कपूर और घी मिलाकर सामग्री तैयार करें, इसके बाद आम की लकड़ियों से अग्नि को प्रदीप्त कर सूर्य मंत्र से एक सौ आठ आहुतियां दें।
जानकारों के मुताबिक सुख-सौभाग्य की वृद्धि, दुःख-दारिद्र्य को दूर करने के अलावा रोग व दोष के शमन के लिए ‘ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ’ मंत्र की साधना रविवार के दिन करनी चाहिए। इसके बाद सिद्धासन लगाकर इसी मंत्र का सौ बार जप करें। जप करते समय दोनों भौंहों के मध्य भाग में भगवान सूर्य का ध्यान करते रहें। इस तरह ग्यारह दिन तक करने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है।
इसके पश्चात प्रतिदिन स्नान के बाद ताम्र-पात्र में जल भरकर इसी मंत्र से सूर्य को अर्घ्य दें। जल जमीन पर न गिरे इसलिए नीचे दूसरा ताम्र-पात्र रखें। इस मंत्र का एक सौ आठ बार जप करें। मात्र इतना करने से आयुष्य, आरोग्य, ऐश्वर्य और कीर्ति की उत्तरोत्तर वृद्धि होती है।
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