एक किला जहां था कभी भूतों का डेरा, जानिये किसके डर से भागे भूत
बुजुर्ग भूतों से जुड़़ी कई घटनाओं का करते हैं जिक्र, स्वयं को बताते हैं घटना का गवाह। पोहरी किला, कभी था खौफनाक भूतहा, अब हो गया है खंडहर। भूतहा घटनाओं के चलते ही बंद हुआ यहां लगने वाला स्कूल! खजाने के तलाश में जिसने भी वीर खांडेराव के इस किले की खुदाई की वह अपने होशोहवास खो बैठा।
भारत में कई ऐसे स्थान हैं जिन्हें भुतहा माना जाता है, यानी यह ऐसे स्थान हैं जहां जाने के बाद आपको रुहानी ताकतों या असामान्य सी स्थिति का एहसास होता है। कभी ऐसी ही एक जगह थी शिवपुरी स्थित पोहरी का किला, कभी अपने खौफ से लोगों में दहशत फैला देने वाला यह किला आज खंडहर बन चुका है।
कभी रात में धुंधरुओं सहित कई तरह की आवाज के आने से लोग इस ओर आने का साहस तक नहीं उठा पाते थे, लेकिन इसके आसपास लगातार लोगों के धीरे-धीरे बसने से किले से आने वाली आवाजें तो बंद हुई ही साथ ही लोग भी यहां आने लगे। कभी डर का प्रयाय रहे पोहरी दुर्ग में अब तो लगता है मानो भूतों का नामोनिशां तक नहीं रहा।
ऐसे में कई लोगों का तो यह तक मानना है कि शायद इंसानों के डर के चलते ही भूत यहां से डरकर भाग गए हैं। तभी तो कुछ सालों पहले जहां लोग दिन के समय तक नहीं आते थे वहां अब शाम को भी चले जाते हैं।
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दरअसल सिंधिया रियासत की ग्रीष्मकालीन राजधानी शिवपुरी के पास पोहरी कस्बा और वहां पर बना सदियों पुराना ऐतिहासिक दुर्ग, जिसमें पहले रात के समय जाना तो दूर की बात, दिन में भी जाने से लोग डरते थे। यह रहस्यमयी एक किला है।यह डर इसलिए पनपा है, क्योंकि कहा जाता है कि इस दुर्ग में रात के समय भूतों की महफिल सजती जो दुर्ग में छिपे खजाने की रक्षा करते थी। कई बुजुर्ग लोगों ने यहां पर घुंघरुओं की आवाज के साथ नृत्य की ताल और मृदंग की थाप सुनी है। इसी वजह से इस दुर्ग ने तो कोई सरकारी दफ्तर खुल पाया और न ही स्कूल।
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2,100 साल पुराना दुर्ग बना खंडहर
पोहरी का दुर्ग नक्काशी का सुंदर नमूना है और इसे 2,100 वर्ष पुराना बताया जाता है, साथ ही यह भी कहा जाता है कि भूतों के इसमें कब्जा जमाने के कारण यह खंडहर में बदल गया है। पहले तो स्थिति यह हो गई थी कि यदि कोई टूरिस्ट इसे देखना चाहे तो स्थानीय निवासी उसके साथ सहयोग नहीं करते।
फिर भी कुछ हिम्मत करके अंदर आ जाते हैं तो सुनसान माहौल देखकर यहां रुकते नहीं थे। ऐसी मान्यता है कि शाम ढ़लते ही आत्माओं का इस किले पर कब्जा हो जाता और दिवंगत खंडेराव की सभा शुरु हो जाती। खंडेराव सभासदों के साथ नर्तकियों के नृत्य का आनंद लेते हैं। जिससे घुंघरुओं की आवाज आती हैं।
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दुर्ग में यहां लगता था स्कूल
कई वर्षों पहले दुर्ग में एक स्कूल खोला गया था, लेकिन कहा जाता है कि एक छात्र की मौत के बाद इसे बंद कर दिया गया। दुर्ग में बुरी आत्माओं और भूतों के चलते यहां पर कोई सरकारी दफ्तर तक नहीं खोला गया, जबकि प्रदेश के कई शहरों में बने दुर्गों में सरकारी दफ्तर से लेकर कालेज व स्कूल तक चल रहे हैं।
वीडियो देखें (यह र्हैं उस स्कूल में पढ़ चुके छात्र ) –
मैंने देखा है आधा कटा हाथ
इस स्कूल की एक खास कक्षा में क्लास के दौरान ही एक कटा हुआ हाथ अचानक आले में आकर पूरी तरह से फैल जाता, यह कहना हमारा नहीं वरन इसी स्कूल मे पढ़ें एक छात्र का कहना है जो आज करीब 90 वर्ष के हो चुके हैं।
वीडियो देखने के लिए क्लिक करें (यह र्हैं उस स्कूल में पढ़ चुके छात्र )-
दुर्ग में है वीर खांडेराव की आत्मा
कहा जाता है कि इस पुराने दुर्ग का जीर्णोद्धार मराठा वीर खांडेराव ने करवाया था, उसके बाद वे इसी किले पर रहे। उनकी मृत्यु के बाद यहां कोई दूसरा आदमी या परिवार स्थायी तौर पर टिक नहीं पाया। रात में यहां से घुंघरूओं की आवाज आती है। यहां कई लोगों ने आत्माएं घूमते देखी हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यहां खजाना छिपा हुआ है। यहां के लोगों के अनुसार पूर्व में कई लोगों ने यहां खजाने को चुराने के मकसद से किले में सेंधमारी भी की, परंतु इसके बाद या तो वे रहे नहीं या उनकी मानसिक स्थिति बिगड़ गई, इसलिए यह माना जाने लगा कि भूत दुर्ग के खजाने की रक्षा कर रहे हैं।
लोगों के अनुसार कुछ समय पहले यहां दिल्ली से भी एक कंपनी आई थी, लेकिन वह भी कुछ खुदाई करने के बाद बिना कारण वापस चली गई। कुछ लोगों का तो यहां तक मानना है कि भले ही भूत अब डराते न हो, लेकिन वे आज भी यहां के खजाने की रक्षा कर रहे हैं, इनके अनुसार इसी कारण तो अज तक यहां कोई भी खुदाई नहीं कर पाया। और जिसने भी इसकी कोशिश की उसके साथ बुरा ही हुआ।
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कपड़े की बाल्टी में घोड़े ने मारी लात
क्षेत्रवासियों के अनुसार इस किले में कुछ वर्ष पूर्व होली के दौरान एक धोबी परिवार ने यहां की बावड़ी में कपड़े धोए, इसके बाद इन धुले कपड़ों को एक बाल्टी में रखकर उनकी बच्ची सूखाने के लिए कही ओर ले जा रही थी, कि तभी उसने देखा की एक शख्स किले की दीवारों पर घोड़ा दौड़ाते हुए आ रहा है।
उसके पास आते ही घोड़े ने बाल्टी में ऐसी लात मारी की बाल्टी कई फिट दूर जाकर गिरी और सारे कपड़े फिर से गंदे हो गए। लेकिन इस घोड़े और शख्स को बच्ची के ठीक पीछे आ रहे परिवार ने नहीं देखा बाल्टी को उड़कर दूर गिरते देख परिवार वालों ने बच्ची से इसका कारण पूछा तो उसने सारा वाक्या कह सुनाया। पहले तो परिवार को शक हुआ परंतु जब उन्होंने गिरी बाल्टी की दूरी को देखा तो उन्हेंं भी इस बात का अहसास हो गया कि उनकी छोटी बच्ची कपड़ों से भरी बाल्टी को इतनी दूर तो नहीं फैंक सकती साथ ही बाल्टी जिसे काफी ऊंचाई तक जाते हूए उन्होंने भी देखा था, इस घटना से सहम गए और फिर कभी यह परिवार इस बावड़ी पर कपड़े धोने नहीं आया।
वीडियो देखें (यह बताते है क्षेत्रवासी) –
यह हैं देश के प्रमुख भूतहा स्थान
कुर्शियांग: पश्चिम बंगाल के दार्जलिंग जिले का एक हिल स्टेशन। यहां के डाउ हिल को भारत के प्रमुख भुतहा स्थानों में से एक माना जाता है। यहां के जंगलों में रात में तो दूर दिन में जाने के लिए भी बड़ा कलेजा चाहिए। यहां पर कई लोगों ने आत्महत्याएं की हैं। यहां के विक्टोरिया बॉयज स्कूल में छुट्टियों के दौरान किसी के चलने की असामान्य सी आवाजें आती हैं।
कुलधारा गांव: जैसलमेर के पास स्थित कुलधारा गांव करीब 180 साल से वीरान है। इस गांव को भुतहा माना जाता है।
लांबी देहर माइंस: यह मसूरी के बाहरी इलाके स्थित है। यहां स्थित चूना पत्थर खदान को सुरक्षा कारणों से बंद कर दिया गया लेकिन अब यह स्थान भूतहा माना जाता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि रात के समय यहां से कई लोंगों के बातें करने की आवाजें आती हैं।
लोथियन कब्रिस्तान: यह दिल्ली में है। माना जाता है कि यहां एक अंग्रेज सैनिक की आत्मा भटकती है जो किसी भारतीय महिला का प्रेमी था।
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बृजराज भवन: यह राजस्थान में है। ऐसा माना जाता है कि यहां 1857 से एक ब्रिटिश रेजिडेंट मेजर चार्ल्स बुटेन की आत्मा भटकती है। यह आत्मा किसी पर्यटक को तो नुकसान नहीं पहुंचाती है लेकिन इस भवन में काम कर रहे कर्मचारी अगर ड्यूटी पर सोते हैं या धूम्रपान करते हैं तो मेजर की आत्मा जोरदार थप्पड़ लगाती है।
भानगढ किला : यह राजस्थान में है। किले के बाहर पुरातत्व विभाग का एक बोर्ड लगा हुआ है जिस पर साफ-साफ लिखा है कि सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद किले में प्रवेश वर्जित है। स्थानीय लोग मानते हैं कि इस किले में आत्माएं भटकती हैं।
थ्री किंग्स चर्च: यह गोवा में स्थित है। यहां पर तीन राजाओं को दफनाया गया है। माना जाता है कि इन तीनों राजाओं की आत्मा यहां भटकती है।
शनिवार वाड़ा: यह भुतहा किला पुणे में स्थित है। कहते हैं कि इस किले में 13 साल के नारायण राव की हत्या कर गयी थी। नारायण राव पेशवा पद के उत्तराधिकारी थे। हत्या के बाद से इनकी आत्मा किले में भटकती है। कुछ लोगों का ऐसा भी कहना है कि पूर्णिमा की रात में इस किले के अंदर से अजब सी चीख सुनाई देती है।
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रामोजी फिल्म सिटी: यह हैदराबाद में स्थित है । कहते हैं यहां पर कई लडाइयां लड़ी गई और उनमें मारे गए सैनिकों की आत्मा यहां भटकती हैं। यह आत्माएं पुरूषों से ज्यादा महिलाओं को परेशान करती हैं।
अग्रसेन की बावड़ी: यह दिल्ली में कनॉट प्लेस से कुछ दूरी पर स्थित है। महाराजा अग्रसेन के द्वारा बनवाए गए इस बवाड़ी को भूतहा माना जाता है। अब यह बावड़ी सूख चुकी है लेकिन कभी इसमें पानी भरा होता था। कहते हैं कि इस बावड़ी का पानी लोगों को सम्मोहित करके आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करता था।
डिसूजा चॉल : यह मुंबई के माहिम में कैनोसा प्राइमरी स्कूल के पास स्थित है । कहा जाता है कि इस चॉल के आस-पास एक भूतनी की आत्मा भटकती है।
वास विला: यह बंगलुरु के सेंट मार्क्स रोड पर स्थित है। वर्षों से इस वीरान बंगले के बारे में कहा जाता है कि इस बंगले पर रुहानी ताकतों का कब्जा है।