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ग्वालियर

SMART CITY: बदलेगा बाड़ा संवरेगी विरासत उम्मीदों की नई उड़ान

ग्वालियर के स्मार्ट सिटी बनाने का रास्ता साफ हो गया है। अब वह दिन दूर नहीं जब शहर के लोगों को देश दुनिया के स्मार्ट शहरों के जैसी सुविधाएं ही मिल सकेंगी।

ग्वालियरSep 21, 2016 / 11:26 am

Gaurav Sen

smart city gwalior

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ग्वालियर। केंद्र सरकार ने स्मार्ट सिटी की तीसरी सूची मंगलवार को जारी करते हुए मध्यप्रदेश के दो शहरों में ग्वालियर और उज्जैन को भी शामिल कर दिया है। इसके लिए नगरनिगम ग्वालियर ने करीब 2300 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स कंसल्टेंट मेहता एण्ड मेहता द्वारा तैयार कर केंद्र को भेजे थे। उक्त प्रोजेक्ट में महाराज बाड़ा और उसके आसपास के क्षेत्र में रेक्ट्रोफिटिंग कर विरासत को संजोते हुए आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा। 

इसके लिए जून माह में केंद्रीय मंत्री वैकेंया नायडू की ग्वालियर यात्रा के बाद केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, महापौर विवेक शेजवलकर और निगमायुक्त अनय द्विवेदी ने दिल्ली जाकर में नायडू से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात कर शहर के प्रजेंटेशन से संबंधित जानकारी को साझा किया था। जिस पर नायडू ने तोमर को सकारात्मक परिणाम के लिए आश्वस्त भी किया था।

ज्ञात हो कि पहली सूची से ग्वालियर चंद अंकों से पिछड़ गया था। और भोपाल, इंदौर एवं जबलपुर को पहले जगह दी गई थी। इसके बाद नए सिरे से प्रोजेक्ट्स तैयार किए गए। जिसमें स्टेशन को व्यावसायिक रूप से डवलप करने वाले प्रोजेक्ट को हटाकर केवल महाराज बाड़ा और उसके आसपास के एरिया पर फोकस किया गया। स्मार्ट सिटी के तहत अगले पांच सालों में केंद्र 500 करोड़ और राज्य 500 करोड़ रुपए शहर को देगा। शेष राशि कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित कंपनी द्वारा जुटाई जाएगी। 

ग्वालियर के स्मार्ट सिटी बनाने का रास्ता साफ हो गया है। अब वह दिन दूर नहीं जब शहर के लोगों को देश दुनिया के स्मार्ट शहरों के जैसी सुविधाएं ही मिल सकेंगी। हमारे पुरातात्विक स्थलों का न केवल संरक्षण होगा, वरन उनके आसपास से गुजरने पर भी राजसी माहौल जैसी अनुभूतियां होगी।

सुरक्षा, चिकित्सा और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएगी। फिलहाल करीब 2300 करोड़ के प्रोजेक्ट्स की स्मार्ट सिटी की योजना में शामिल होने के बाद सबसे अहम जरूरी बात यह कि प्रोजेक्ट्स के लिए निगम को अपने अंशदान की 100 प्रतिशत की पूर्ति करना होगी। जिसमें जलकर, संपत्तिकर एवं अन्य आय के स्त्रोतों पर जहां निगम को और तेजी से काम करना होगा। इस सपने को सच करने के लिए जन सहयोग भी उतना ही जरूरी है जितना कि दीए में तेल जरूरी होता है।


पेन सिटी प्रपोजल
187.40 करोड़ -पब्लिक ट्रांजिट मॉड्यूल
49.87 करोड़ -एसडब्ल्यूएम मॉड्यूल
97.00 करोड़ – बैकबोन इंफ्रा एण्ड कमांड सेंटर
334.27 करोड़- कुल योग


SMART CITY SMART GWALIOR- ये होगा 

मोबिलिटी
सड़कों का विकास, टै्रफिक सर्वे, सिग्नल, इंटेलीजेंंट पब्लिक ट्रांसपोर्ट, मल्टी लेवल पार्किंग हुजरात कोतवाली और गांधी मार्केट पर प्रस्तावित है, साथ ही पार्किंग मैनेजमेंट के तहत स्वर्ण रेखा के पुलों का अपडेग्रेशन होगा। वहीं आमखो बस स्टैंड का जीर्णोद्धार होगा।



विरासत: महाराज बाड़ा
चार इमारतों का रियूज होगा, करीब दस मार्केट का स्वरूप बदलेगा, हेरिटेज वॉक डवलप करने के लिए नो व्हीकल जोन बनेगा। दीवारों पर पब्लिक आर्ट और शाइनिंग बोर्ड लगेंगे। दो स्थानों पर फेसिलिटेशन सेंटर और कटोराताल पर वॉटर शो प्रस्तावित रहेगा।

आर्थिक विकास

बेरोजगारों के लिए स्किल्स डवलपमेंट, हैंडीक्राफ्ट, हैंडलूम सेंटर, नए उद्यमियों के लिए सेंटर, छत्री मंडी का पुन: विकास होगा, हॉकर्स के लिए स्मार्ट कार्ड और ग्वालियर हैबीटेट सेंटर बनेगा।

अधोसंरचना
24 घंटे वाटर सप्लाई, पानी का पुन: उपयोग और वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, 24 घंटे विद्युत,सीवर, डे्रनेज के साथ ही मल्टीपरपज डक्टिंग, गैस पाइप लाइन, कचरा प्रबंधन, एलईडी लाइटिंग, डिजिटलाइजेशन और हाउसिंग के लिए भी पॉटरीज की जगह पर प्रावधान किए गए हैं।

” सर्वे के आधार पर महाराज बाड़ा का चयन 803 एकड़ क्षेत्र को रेट्रोफिटिंग अन्तर्गत किया गया”

इन चौराहों पर होगा डवलपमेंट
बड़े चौराहे -12
छोटे चौराहे – 27
कुल शामिल गंदी बस्ती- 18

शहर में यातायात पर
-बस स्टॉप- 500, बस टर्मिनल- 5, पीबीएस डॉकिंग स्टेशन रेल के डिब्बे और इंजन एसटीडी गैर एसी बसें-129

-एसी बसें-15, ई-बसें कोर सिटी क्षेत्र मार्गों के लिए-10, बसों में वाई-फाई सुविधा, पीबीएस के लिए बाइकें – 2000

-आईसीटी अवयव ईटीवीएमएस और पीआईएस पर बस और बस स्टॉपेज पीएस और वीएचएमएस बस के लिए
बस में आपातकालीन बटन, सीसीटीवी कैमरा

अब क्या
एसटीपी का गठन कलेक्टर की अध्यक्षता में किया जाएगा। जिसमें निगम और अन्य विभागों के अफसर और जनप्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा। यही कंपनी स्मार्ट सिटी के सभी प्रोजेक्ट्स के लिए निगरानी करेगी। 

डीपीआर
एसटीपी द्वारा स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट्स के लिए डीपीआर के लिए कॉल किए जाएंगे। डीपीआर बनाए जाने का काम होगा। डीपीआर के बन जाने के बाद उसकी स्वीकृति और फिर काम शुरू हो सकेंगे। इसमें भी कम से कम 6 माह का समय लग ही जाएगा।

अधिग्रहण
बसे बड़ा प्रोजेक्ट पॉटरीज की जमीन पर लगेगा, जिसे अधिग्रहित करने के साथ ही छत्री मंडी, कोतवाली आदि स्थानों के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होगी। 

स्मार्ट सिटी के लिए चुनौती
स्मार्ट सिटी में शहर का नाम शामिल तो हो गया। लेकिन अब भी सपनों को साकार करने में कई चुनौतियों से गुजरना होगा। योजना के तहत प्रतिवर्ष केंद्र सरकार 100 करोड़ और राज्य सरकार 100 करोड़ रुपए का अंशदान देगी। निगम को संपत्तिकर, जलकर, पार्किंग, दुकान भाड़ा, चुंगी पूर्ति आदि माध्यमों से प्राप्त होने वाली आय को शत प्रतिशत वसूली कर फंड जुटाना होगा तभी 2300 करोड़ रुपए के सपने सच हो सकेंगे। 

यहां विरोध की राजनीति
शहर में विकास कार्यों के प्रति अफसर लगातार असहयोग की नीति अपनाए हुए हैं। वहीं कम वसूली करने वाले कर संग्रहक और एपीटीओ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का विरोध भी निगम कर्मचारियों ने करना शुरू कर दिया है। अगर स्मार्ट सिटी का सपना साकार करना है तो वसूली भी 100 प्रतिशत करनी होगी। एेसे हालात में निगम के अफसर और कर्मचारियों का सपोर्ट मिलना भी बहुत जरूरी है।

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