ग्वालियर। इन दिनों ऋतु परिवर्तन का समय चल रहा है, ऐसे में कई बैक्टिरियाओं का पनपना सामान्य सी बात है जो हमें बीमार बनाने का काम करते हैं। इनसे बचने का सबसे अच्छा तरीका जानकारों के अनुसार अपनी इम्यूनिटी पावर को बढ़ाना ही है। आयुर्वेद में ऐसी कई औषधियां हैं जो इम्यूनिटी बढ़ाने का काम करती हैं, जानकारों के अनुसार इन्हीं में से एक है गिलोय भी है, जो छोटी-बड़ी समस्या के इलाज में भी काम आती है।
गिलोय या गुडुची, जिसका वैज्ञानिक नाम टीनोस्पोरा कोर्डीफोलिया है, आयुर्वेद में इसका एक महत्वपूर्ण स्थान है। इसके खास गुणों के कारण इसे अमृत के समान समझा जाता है और इसी कारण इसे अमृता भी कहा जाता है। प्राचीन काल से ही इन पत्तियों का उपयोग विभिन्न आयुर्वेदिक दवाइयों में एक खास तत्व के रुप में किया जाता है।
बढ़ाता है प्लेटलेट्स की संख्या
गिलोय की पत्तियों और तनों से सत्व निकालकर इस्तेमाल में लाया जाता है। गिलोय को आयुर्वेद में गर्म तासीर का माना जाता है। यह तैलीय होने के साथ साथ स्वाद में कडवा और हल्की झनझनाहट देने वाला होता है। जानकारों के मुताबिक लंबे समय से चलने वाले बुखार के इलाज में गिलोय काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह शरीर में ब्लड प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाता है जिससे यह डेंगू तथा स्वाइन फ्लू के निदान में बहुत कारगर है। इसके दैनिक इस्तेमाल से मलेरिया से बचा जा सकता है। गिलोय के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर इस्तेमाल करना चाहिए।
गठिया में भी दिलाता है आराम
इसके अलावा गिलोय के गुणों की संख्या काफी लंबी है। इसमें सूजन कम करने, शुगर को नियंत्रित करने, गठिया रोग से लडऩे के अलावा शरीर शोधन के भी गुण होते हैं। इसके इस्तेमाल से सांस संबंधी रोग जैसे दमा और खांसी में फायदा होता है। इसे नीम और आंवला के साथ मिलाकर इस्तेमाल करने से त्वचा संबंधी रोग जैसे एग्जिमा और सोराइसिस दूर किए जा सकते हैं। इसे खून की कमी, पीलिया और कुष्ठ रोगों के इलाज में भी कारगर माना जाता है। अपने सूजन कम करने के गुण के कारण, यह गठिया और आर्थेराइटिस से बचाव में अत्यधिक लाभकारी है। गिलोय के पाउडर को सौंठ की समान मात्रा और गुगुल के साथ मिलाकर दिन में दो बार लेने से इन बीमारियों में काफी लाभ मिलता है। इसी प्रकार अगर ताजी पत्तियां या तना उपलब्ध हों तो इनका ज्यूस पीने से भी आराम होता है।
डायबीटिज टाइप 2 पर असर
आयुर्वेद के जानकारों के अनुसार गिलोय में शरीर में शुगर और लिपिड के स्तर को कम करने का खास गुण होता है। इसके इस गुण के कारण यह डायबीटिज टाइप 2 के उपचार में बहुत कारगर है।
बढ़ाता है सफेद रक्त कडि़काओं की क्षमता
आयुर्वेद के हिसाब से गिलोय रसायन यानी ताजगी लाने वाले तत्व के रुप में कार्य करता है। इससे इम्यूनिटी सिस्टम में सुधार आता है और शरीर में अतिआवश्यक व्हाइट सेल्स (सफेद रक्त कडि़काओं) की कार्य करने की क्षमता बढ़ती है। यह शरीर के भीतर सफाई करके लीवर और किडनी के कार्य को सुचारु बनाता है। यह शरीर को बैक्टिरिया जनित रोगों से सुरक्षित रखता है। इसका उपयोग सेक्स संबंधी रोगों के इलाज में भी किया जाता है। गिलोय शरीर में पाचनतंत्र को सुधारने में भी काफी मददगार होता है। गिलोय के चूर्ण को आंवला चूर्ण या मुरब्बे के साथ खाने से गैस में फायदा होता है। गिलोय के ज्यूस को छाछ के साथ मिलाकर पीने से अपाचन की समस्या दूर होती है साथ ही साथ बवासीर से भी छुटकारा मिलता है।
गिलोय एडाप्टोजेनिक हर्ब है ऐसे में यह मानसिक दवाब और चिंता को दूर करने के लिए उपयोग अत्यधिक लाभकारी है। गिलोय चूर्ण को अश्वगंधा और शतावरी के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है। इसमें याददाश्त बढ़ाने का गुण होता है। यह शरीर और दिमाग पर उम्र बढऩे पर पडने वाले प्रभाव की गति को कम करता है। आयुर्वेद की पुस्तकों में दावा किया गया है कि यह 100 से अधिक बीमारियों में असरकारी है।
(नोट: अपने अनगिनत गुणों के साथ गिलोय सभी उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद है परंतु कई लोगों का कहना है कि कुछ लोगों में इससे विपरीत प्रभाव पड़ सकते हैं। गर्भवती महिलाओं को बिना चिकित्सकीय सलाह के इसके इस्तेमाल से बचना चाहिए। )