ग्वालियर। हम जिस हवा में सांस ले रहे हैं, वह प्रदूषण के खतरनाक स्तर तक जा पहुंची चुकी है। ऐसे में जिन्हें सांस संबंधी परेशानी नहीं है, वह भी हॉस्पिटल के चक्कर काटते दिखाई दे रहे हैं।
सरकार हवा की क्वालिटी सुधारने के लिए जब तक कुछ कदम उठाएगी, तब तक आप कुछ पोषक तत्वों को अपने रूटीन में शामिल करके स्वस्थ रह सकते हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं कुछ प्राकृतिक एंटी-ऑक्सिडेंट, जो आपकी बॉडी को इस खतरनाक प्रदूषण से लडऩे में मदद करेंगे। ग्वालियर में भी दीपावली के दिन हवा 3 गुना ज्यादा जहरीली रिकॉर्ड की गई है।
हम सांस के साथ जो प्रदूषित हवा अंदर ले रहे हैं, उसमें ओज़ोन, नाइट्रोजन डाईऑक्साइड, बारीक कण, डीज़ल से निकले कण आदि होते हैं, जो हमारे फेफड़ों में बैठ जाते हैं। लंग्स के परत पर उपस्थित बचाने वाले एंटी-ऑक्सिडेंट इन सब से तब तक लड़ते हैं, जब तक वह ज्यादा होते हैं, इसके बाद प्रदूषित कण इम्यून पर हमला कर देते हैं और बॉडी सेल फ्री रैडिकल बनाकर इंफ्लैमेशन का कारण बनते हैं।
इसी के चलते कुछ जानकारों के अनुसार आईएलडी सहित कई तरह की फैफडों की बीमारियों में लगातार इजाफा हो रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं, खाने से मिलने वाले एंटी-ऑक्सिडेंट जो आप खाते हैं, आपकी बॉडी को वायु प्रदूषण से होने वाले हानिकारक प्रभावों से बचाने में मदद करते हैं?
इन पोषक तत्वों को अपने रूटीन में शामिल करें –
विटामिन सी– यह आपके शरीर के लिए सबसे शक्तिशाली एंटी-ऑक्सिडेंट है। पानी में घुलने वाला यह विटामिन हमारी पूरी बॉडी रहता है और फ्री रैडिकल की सफाई करता है। यही नहीं, विटामिन सी, फिर से विटामिन ई बनने में सहयोग करता है। फेफड़ों में इसके पर्याप्त स्तर को बनाए रखने के लिए अपने नियमित डाइट में विटामिन सी शामिल करना बहुत जरूरी है। एक युवा को अपनी डेली डाइट में 40 मिली ग्राम विटामिन की जरूरत होती है।
1. सब्जियां जैसे धनिए के पत्ते, चौलाई का साग, ड्रमस्टिक, पार्सले, गोभी और शलजम का साग विटामिन सी का अच्छे स्रोत हैं। आप इन्हें अपने रूटीन में शामिल कर सकते हैं।
2. आंवला और अमरूद जैसे फल विटामिन सी से भरपूर होते हैं।
3. अपनी डेली डाइट में विटामिन सी शामिल करने का सबसे आसान तरीका है दिन में दो नींबूओं का रस पी लें।
4. अपने खाने में सिट्रस फ्रूट्स को भी शामिल किया जा सकता है।
विटामिन ई- मानव टिशूज़ की क्षति से बचने का सबसे पहला उपाय यह वसा में घुलनशील यह विटामिन है।
1. हमारी बॉडी में विटामिन ई पौधों पर आधारित कुकिंग ऑयल से आता है। सूरजमुखी, सैफ्फलाउर और राइस ब्रान तेल टॉप तीन स्रोत हैं। साथ ही कनौला, पीनट और जैतून का तेल भी विटामिन ई का अच्छा स्रोत हैं।
2. बादाम और सूरजमुखी के बीज भी विटामिन का अच्छा स्रोत हैं। बीज और नट्स में फैट कैलोरी भी ज्यादा होती है, तो एक दिन में एक आउंस पर्याप्त है।
3. फिश- जैसे सैल्मन, रो और ईल में मौजूद विटामिन ई तत्व के लिए इन्हें खाने की सलाह दी जाती है।
4. मसाले और जड़ी बूटियां जैसे मिर्च पाउडर, पैप्रिका, लौंग, ओरिगौनो, बैज़ल और पार्सले में विटामिन ई उचित मात्रा में पाया जाता है। हालांकि, इन्हें बहुत थोड़ी मात्रा में ही खाया जाता है। अपने डेली लाइफ में इन्हे भी शामिल करना आपके लिए फायदेमंद होगा।
बीटा कैरोटिन- एंटी-ऑक्सिडेंट के कारण यह इंफ्लैमेशन को निंयत्रित रखने में बहुत महत्वपूर्ण रोल निभाता है। यह हमारी बॉडी में विटामिन ए में बदल जाता है।
1. पत्तेदार सब्जियां जैसे मैथी,चौलाई का साग,धनिया,लेटस और पालक में प्रचूर मात्रा में बीटा कौरोटिन पाया जाता है।
2. मूली के पत्ते और गाजर भी इसका अच्छा स्रोत हैं।
ओमेगा 3 फैट- यह शरीर को वायु प्रदूषण से पहुंचने वाले हानिकारक प्रभावों से बचाने में मदद करता है। दिल के स्वस्थ बनाए रखता है। हार्ट हेल्दी तेल के स्रोत हैं:
1. नट्स और बीज जैसे अखरोट, चिया के बीज, अलसी के बीज को दही में डालकर अपनी डाइट में शामिल करें। स्मूदी में डालें या फिर ऐसे ही खा लें।
2. मेथी के बीज, सरसों के बीज, हरे पत्तेदार सब्जियां, काले चने, राजमा और बाजरा आदि ऐसे फूड हैं जिसमें ओमेगा 3 होता है।
आयुर्वेद में भी है समाधान- कई तरह की जड़ीबूटियां और मसाले आदि को आयुर्वेद में आम सांस संबंधी समस्याओं को दूर करने में इस्तेमाल किया जाता है।
हल्दी एक फेमस एंटी-ऑक्सिडेंट है और प्रदूषण के जहरीले प्रभावों से फेफड़ों को बचाने के लिए हल्दी यूज़ की जाती है। हल्दी और घी को मिलाकर खाने से खांसी और अस्थमा में आराम आता है। अस्थमा अटैक के दौरान गुड़ के साथ हल्दी और मक्खन राहत के लिए दिया जा सकता है। कफ से बचाव के लिए गुड़ और प्याज़ के रस को मिलाकर लें, यह सूखे और गीले दोनों तरह के कफ में कारगार है।
हरीतकी को गुड़ के साथ मिलाकर सोने से पहले और सुबह में लेने से कफ में आराम आता है। अस्थमा के दौरान आयुर्वेद कड़वी और कसैला फूड से भरपूर डाइट भी बताता है, जो मीठे और नमकीन फूड के विपरीत होती है। अस्थमा पीड़ितों के लिए गेंहू और गाय का दूध काफी फायदेमंद होता है। अदरक, काली मिर्च, तुलसी, मुलैटी, जायफल, पुदीना और ग्लैंगल सांस संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए फायदेमंद हैं।
यह भी है जरूरी- हेल्दी बॉडी आपको किसी भी कठिनाई में बचाती है। फूड के अलावा, 15-30 मिनट की एक्सरसाइज़, पेफड़ों के लिए प्राणायाम और पर्याप्त आराम भी आपको मदद करेंगे।
ध्यान रखने योग्य यह हैं खास बातें
शहर में बढ़ता प्रदूषण लोगों के स्वास्थ्य के लिए समस्या खड़ी कर रहा है।
समस्याएं – फेफड़ों में इंफेक्शन, सांस संबंधी परेशानी आदि से परेशान हैं।
उपाय – लोग पोषक तत्वों को डाइट में शामिल कर खुद को स्ट्रॉन्ग कर सकते हैं।