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ग्वालियर

पेंशनर्स को अब बैंकों के नहीं लगाने पड़ेंगे चक्कर, जानिये क्यों?

जीवित होने का प्रमाण-पत्र हर साल नवंबर में मांगती हैं बैंक, अब नागरिक सुविधा केंद्र से भेजा जा सकेगा प्रमाण-पत्र। पूरी प्रक्रिया में करीब 10 मिनट का समय लगेगा।

ग्वालियरNov 02, 2016 / 01:23 pm

rishi jaiswal

pensioner in bank

pensioner filling form in bank


ग्वालियर। देश में किसी भी स्टेट से सेवानिवृत्त हुए पेंशनर्स को अब जीवित प्रमाण पत्र जमा कराने के लिए बैंकों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। इसके लिए वह कहीं भी अपने घर के पास बने नागरिक सुविधा केंद्र से मदद ले सकते हैं। दरअसल केंद्र सरकार ने पेंशानर्स की बढ़ती उम्र को देखते हुए, उन्हें परेशानी से बचाने के लिए जीवित प्रमाण-पत्र घर के पास ही मुहैया कराई है। 

ऐसे भेज सकते हैं प्रमाण-पत्र
पेंशनर्स अपने घर के नजदीक सरकार द्वारा बनाए गए नागरिक सुविधा केंद्र पर आधार कार्ड, पेंशन और बैंक अकाउंट नंबर देकर संबंधित बैंक को अपने जीवित होने का प्रमाण-पत्र भेज सकते हैं।



हर साल लगता है जीवित प्रमाण-पत्र
दरअसल बैंक हर साल पेंशनर्स से नवंबर के महीने में उनके जीवित होने का प्रमाण-पत्र मांगती है। इसके लिए पेंशनर्स से एक फार्म भी भरवाया जाता है। यहां तक तो ठीक, लेकिन यदि फार्म भरने में पेंशनर्स से कोई गलती हो जाती है, तो ऐसे में या तो उसे बार-बार बैंक के चक्कर लगाने पड़ते हैं या उसकी पेंशन रोक दी जाती है। वहीं ज्यादा उम्र के पेंशनर्स तो बैंक तक नहीं पहुंच पाते हैं।



आसानी से मिलेगी सुविधा
नागरिक सुविधा केंद्र चलाने वाले आर शर्मा ने बताया कि केंद्र या राज्य सरकार के पेशनर्स अपने जीवित होने का प्रमाण-पत्र नजदीक के नागरिक सुविधा केंद्र से भेज सकते हैं। इसके लिए उन्हें बस अपना आधार कार्ड,पेंशन नंबर और संबंधित बैंक का खाता नंबर देना होगा। इस पूरी प्रक्रिया में करीब 10 मिनट का समय लगता है। वहीं पेंशनर्स https://jeevanpramaan.gov.in/ पोर्टल पर नागरिक सुविधा केंद्र को ढ़ूढ़ सकते हैं।



केस-01
केंद्र सरकार के रिटायर कर्मचारी एसएन मल्होत्रा ग्वालियर में रह रहे हैं। वे पहले दिल्ली में पोस्टेड थे। उनके एकाउंट भी दिल्ली में ही हैं। अब तक उन्हें जीवित होने का प्रमाण-पत्र देने हर वर्ष वहां जाना पड़ता है, परंतु अब वे नागरिक सुविधा केंद्र के जरिये ग्वालियर से ही जीवित होने का प्रमाण-पत्र अपनी बैंक को भेज सकते हैं।

केस-02
छत्तीसगढ़ सरकार से रिटायर हुए सरकारी कर्मचारी रामाकांत शर्मा जो अब थाठीपुर में रहते हैं, उनका एकाउंट छत्तीसगढ़ में होने के कारण उन्हें हर साल जीवित प्रमाण-पत्र देने छत्तीसगढ़ जाना पड़ता है। करीब 80 वर्ष की आयु में उन्हें वहां हर साल जाने में परेशानी होती थी। अब जब से उन्हें नागरिक सुविधा केंद्र के बारे में जानकारी मिली है तब से उनकी एक बड़ी परेशानी हल हो गई है।



केस-03
सेना से रिटायर हुए आरएस धामी जो अब ग्वालियर में रहते हैं। उनकी पोस्टिंग असम में थी, इसलिए उनका बैंक खाता भी वहीं के सरकारी बैंक में है। उन्हें जीवित होने का प्रमाण-पत्र देने हर वर्ष वहां जाना पड़ता है, परंतु अब वे नागरिक सुविधा केंद्र के जरिये ग्वालियर से ही जीवित होने का प्रमाण-पत्र अपनी बैंक को भेज सकते हैं।

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