लंबी घनी काली दाढ़ी, रौबदार आँखें, गले तक लटकते बाल और कंधे में बंदूक टाँगे मलखान पहले शायद ही इतना बेबस नजर आया हो। आम लोगों की ही तरह मलखान सिंह भी घंटों बैंक की लाइन में धक्के खाते हुए अपनी बारी के इंतजार में खड़े रहे। दरअसल नोट बदलवाने के लिए ग्वालियर में रह रहे आत्मसर्पित डाकू मलखान सिंह भी बैंक पहुंचे, लेकिन भीड़ में किसी ने भी इस पुराने ‘कुख्यात डाकू’ को कोई तवज्जो नहीं दी।
1983 में किया था समर्पण
70 और 80 के दशक तक डाकू मलखान सिंह का खौफ बीहड़ों में हावी था। बीहड़ का बच्चा-बच्चा मलखान के किस्सों से रूबरू था और मलखान के एक इशारे पर लोग घरों में दुबक जाते थे, लेकिन आज स्थितियां बदली हुई थी। मलखान ‘सिस्टम’ के धक्के खा रहा था, जैसा सदियों से इस मुल्क में आम लोग खाते आए हैं। मलखान परेशान था, जैसा कोई आम शख्स अपनी बारी के इंतजार में काउंटर पर टकटकी लगाए हुए…!
1983 में समर्पण करने के दौरान डकैत मलखान सिंह वो सबसे बड़ा इनामी डकैत था जिसकी पुलिस को तलाश थी। जिसका आत्मसमर्पण पुलिस के लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं था। मलखान अभी ग्वालियर में रहते हैं। आराम की जिंदगी गुजर रहा ये डकैत आज अपने पुराने नोटों के बदले नई करेंसी लेने कंधे पर बंदूक डाल कर बैंक पहुंचा था।
लोकल सेलेब है ‘डकैत’
आज मलखान सिंह ग्वालियर और आसपास के इलाकों में किसी सेलेब्रिटी से कम नहीं। आमतौर पर पूर्व में जब मलखान सिंह बंदूक कंधे पर टांग कर शहर में निकलता था, तो आसपास भीड़ जमा हो जाती थी, लेकिन नोट बदलने के लिए बैंक के सामने लगी भीड़ मलखान को देख कर भी टस से मस नहीं हुई। इससे मलखान को भी लाइन में ही लगकर ही नोट बदलने पड़े। इसके लिए मलखान को घंटों अपनी बारी आने के इंतजार भी करना पड़ा।
बन चुकी है फिल्म
80 के दशक में चंबल व यमुना के बीहड़ों में आतंक का प्रर्याय रहे मलखान सिंह ने 1983 में भिंड में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। सजा काटने के बाद मलखान सिंह ग्वालियर में बस गए, और खेती करने लगे। बीते साल मलखान सिंह की बायो पिक ‘दद्दा मलखान सिंह’ भी बन चुकी है। अब मलखान सिंह राजनीति में सक्रिय रह कर खेती करते हैं।
अब तक नहीं खुले एटीएम
सरकार द्वारा शुक्रवार से एटीएम खोले जाने की घोषणा किए जाने के बावजूद दोपहर 1 बजे तक कई बैंकों के एटीएम में नई करैंसी नहीं आई। जिसके चलते शहर के एटीएम बंद पड़े रहे। एटीएम में नई करैंसी नहीं आने से जहां एक ओर लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। इसके अलावा कुछ बैंकों के एटीएम बूथ की मशीनों में कैश नहीं है, वाली तख्ती लटकी हुई थी। जिस कारण कई लोग बैंकों में लाइन लगाकर नोट बदलवाने का इंतजार करते रहे।
(बंद पड़ा एटीएम)
दरअसल कुछ लोग सुबह स एटीएम के बाहर लाइन लगाकर खड़े हुए थे, लेकिन जब अपना बैंक कार्ड मशीन में डाला तो मैसेज आ गया, मशीन खराब है। ऐसे लोगों सरकार और बैंक को कोसने लगे।
वहीं कई एटीएम के बाहर तो पुलिस को लाइन लगानी पड़ी तो कहीं पर लोगों के बीच जमकर झगड़ा भी हुआ। पुलिस ने बीचबचाव करके लोगों को शांति से रुपए निकालने की अपील की। इसके चलते बैंकों में भी शुक्रवार को काफी भीड़ जमा रही। इस दिन भी लोग बैंकों में रुपए जमा करते और अपने पुराने नोट बदलते दिखाई दिए। इस दौरान जिस किसी के भी नोट बदले गए, वह अपने को सौभाग्यशाली समझ रहा था।
एटीएम से निकासी की लिमिट तय हैं
ग्वालियर में विभिन्न बैंकों के करीब 275 एटीएम हैं। फिलहाल इन एटीएम से 100 और 50 के ही नोट निकल सकते हैं और इसकी भी लिमिट बैंक ने तय कर दी है। एक दिन में एटीएम से केवल दो हजार रुपए निकाले जा सकेंगे। यह लिमिट एक हफ्ते बाद बढ़ाई जाएगी। वहीं जानकारी के अनुसार शहर में करीब 200 एसबीआई के एटीएम हैं, जिनमें से केवल 14 एटीएम ही शुक्रवार को शुरू किए जा सके।
केवल 100 व्यक्तियों के लिए पर्याप्त है एक एटीएम
बैंक सूत्रों के अनुसार एक मशीन में 100 रुपए के करीब 2200 नोट ही आते हैं। यानि एक मशीन में 2 लाख 20 हजार रुपए होंगे, जो केवल 100 लोगों के लिए पर्याप्त होंगे। जानकारों के अनुसार अब यदि एक एटीएम मशीन में 100 से ज्यादा लोग पहुंचते हैं तो बैंक मैनेजमेंट के सामने फिर से मशीन भरने की समस्या आएगी।
रात 12 बजे तक चलेंगे पुराने नोट
जानकारी के अनुसार जिन लोगों के पास पुराने 500 और 1000 रुपए के नोट हैं, वे 11 नवंबर की रात 12 बजे तक बिजली व नगर निगम के बिलों का भुगतान पुराने नोटों में कर सकते हैं। इसके अलावा शुक्रवार की रात 12 बजे तक पेट्रोल और डीजल खरीदने के लिए पुराने 500 व 1000 रुपए के नोट दिए जा सकते हैं।