ग्वालियर। अवैध खनन हो या नदी किनारे बढ़ती आबादी और खेती का बोझ, चंबल का पानी फिर भी निर्मल बना है। पानी साफ और गंधहीन है। यही वजह है कि चंबल के पानी के दीवाने साइबेरियन और दूसरे पक्षियों की चहचहाहट फिर सुनाई देने लगी है, जो गुनगुनी धूप और इसके साफ जल में हिलौरे लेने का आनंद लेने हर साल यहां आते हैं।
दरअसल ग्वालियर चंबल के रिवाइन इलाके के पानी अभी भी ए ग्रेड का बना हुआ है। मध्यप्रदेश पोल्यूशन बोर्ड ने हालिया अपने सर्वे रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है। हालांकि इससे पहले केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी इसके पानी को तुलनात्मक तौर पर अन्य नदियों से बेहतर मानता रहा है।
चंबल नदी के पानी में यह है खासियत
1. सामान्य तौर पर बिना ट्रीटमेंट के भी पी सकते हैं पानी।
2. बरसात में भी इसे साधरण क्लारीनेशन करके पीया जा सकता है।
3. पानी पारदर्शी है। बरसात में इसका पानी दो माह के लिए मटमेला हो जाता है।
नीमच से उज्जैन तक इसका पानी ‘बी’ व ‘ई’ ग्रेड पहुंचा
मप्र राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक 2012-13 और 14-15 में किए गए अध्ययन के मुताबिक राजघाट चंबल के इलाके में चंबल का ए ग्रेड का पानी है, जबकि इससे ऊपर नीमच से लेकर उज्जैन तक इसका पानी बी से लेकर डी और ई ग्रेड तक पहुंचा है।
हालांकि इंदौर में अपनी उत्पत्ति के स्थान पर चंबल का पानी अभी भी ए ग्रेड का बना हुआ है। हालांकि, इस रिपोर्ट में नदी को गंदा करने वाले तत्वों का किसी तरह का खुलासा नहीं किया गया है।
हार्डनेस उच्चतम के नीचे
पीने योग्य पानी में उच्चतम मात्रा 1000 मिलीग्राम पर लीटर की तुलना में केवल 72 और मैग्नीशीयम हार्डनेस केवल 68 है, जहां तक हार्डनेस का सवाल है, पीने योग्य अधिकतम मात्रा 180 से बेहद कम केवल 50 से 200 मिलीग्राम/ लीटर के बीच है।
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