ग्वालियर। उच्च शिक्षा विभाग के दो वर्षीय बैचलर ऑफ एजुकेशन (बीएड) कोर्स से विद्यार्थियों का मोह भंग हो गया है। पहले एक वर्षीय बीएड पाठ्यक्रम में छात्रों की संख्या पहले ही कम थी, इसकी अवधि बढ़ाने के बाद छात्रों में इसकी रुचि और घट गई है। विगत 18 मार्च को हुए रजिस्ट्रेशन के बाद अंचल में छात्र संख्या तीन हजार को क्रॉस नहीं कर पाई है। उल्लेखनीय है कि अंचल में करीब 152 बीएड कॉलेज हैं, जिनमें 14 हजार से अधिक सीट हैं। जिले में रजिस्ट्रेशन और वेरीफिकेशन कराने वाले छात्रों का आंकड़ा अब तक तीन हजार तक भी नहीं पहुंच पाया है।
सूत्रों के अनुसार इसका कारण बड़ी संख्या में छात्रों का भोज एवं इग्नू विश्वविद्यालय में एडमिशन लेना है। यहां बीएड करना जेयू से ज्यादा सस्ता है। पहले जेयू द्वारा चलाया जाने वाला बीएड पाठ्यक्रम एक वर्षीय होता था, लेकिन बाद में इसे दो वर्षीय करने से छात्रों की रुचि घट गई। अब सभी जगह दो वर्ष का बीएड पाठ्यक्रम होने के कारण छात्र पैसे को महत्व देने लगे हैं।
“बार बीएड कॉलेजों में सीट के हिसाब से छात्रों की संख्या बेहद कम है। स्थिति पिछले साल से भी कम नजर आ रही है। आगे रजिस्ट्रेशन और वेरीफिकेशन के लिए लिंक खोली जा सकती है। फिलहाल कोई आदेश नहीं आया है।”
शरद भदौरिया, इंचार्ज, वेरीफिकेशन सेंटर, साइंस कॉलेज
तीन गुना बढ़ी फीस
जेयू से अगर कोई छात्र बीएड की दो वर्षीय डिग्री करता है तो उसका खर्च 80 हजार से एक लाख रुपए तक आता है। वहीं भोज से यह दो वर्षीय डिग्री करता है तो उसका खर्चा 25 से 30 हजार के बीच आता है। इसमें बाहरी छात्रों के रहने व खानपान का खर्चा शामिल नहीं है। दोनों डिग्रियों की मान्यता समान होने के कारण छात्रों का रुझान मुक्त विवि की तरफ बढ़ा है। जहां बिना किसी परेशानी के छात्रों को डिग्री उपलब्ध हो रही है।
अधिकारी मौन, बना रहे रणनीति
छात्रों की संख्या कम होने से बीएड कॉलेज संचालक ही नहीं उच्च शिक्षा विभाग और जेयू के अधिकारी भी परेशान हैं। सूत्रों की मानें तो इस सप्ताह रजिस्ट्रेशन और वेरीफिकेशन के लिए लिंक दोबारा खोली जा सकती है। फिलहाल 18 मार्च के बाद से अधिकारी मौन हैं।
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