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ग्वालियर

ट्रेनों में बिक रहा है प्रतिबंधित पानी, ऐसे चल रहा है ये गोरखधंधा

पानी के जिस ब्रांड के बेचने या रखने पर सख्ती से पाबंदी लगी हुई है। उसी पानी को ट्रेन में चढ़ते ही बेचने की आजादी है।

ग्वालियरApr 26, 2016 / 11:39 am

Shyamendra Parihar

banned water in train

banned water in train

सतीश उदैनिया @ ग्वालियर

नॉर्थ सेंट्रल रेलवे में इन दिनों अजीब सा सिस्टम लागू है। ग्वालियर समेत ए-वन ग्रेड के जिन स्टेशनों पर पानी के जिस ब्रांड के बेचने या रखने पर सख्ती से पाबंदी लगी हुई है। उसी पानी को ट्रेन में चढ़ते ही बेचने की आजादी है। जी, हां नीर के अलावा दूसरे ब्रांड की पानी की बोतल ट्रेनों में बेची जा रही है।




प्लेटफॉर्म पर तो इस दूसरे ब्रांड की बोतलें बेचने पर जुर्माने का प्रावधान है। जबकि हर रोज इसे ट्रेनों की पेंट्रीकार में खुलेआम चढ़ाया जा रहा है। यानी यात्रियों की सेहत से सीधे खिलवाड़ किया जा रहा है।

रेलवे से जुड़े सूत्रों के मुताबिक ग्वालियर व आसपास बनने वाले लोकल ब्रांड पर एनसीआर प्रशासन ने करीब छह माह पहले बैन लगाया था। इसे प्लेटफॉर्मों पर बेचने पर प्रतिबंध लगाया गया था। इस ब्रांड का पानी यात्रियों के पीने लायक नहीं है या फिर पानी बेचने की परमिशन नहीं है।




बावजूद इसके रेलवे स्टेशन पर पानी बेचा जा रहा है। वहीं रेलवे स्टेशन पर पत्रिका टीम द्वारा की गई पड़ताल में यह साफ हुआ कि ट्रेनों में इस पानी की जमकर सप्लाई की जा रही है। देखा गया कि शाम चार बजे नई दिल्ली से तिरुअनंतपुरम जाने वाली केरला एक्सप्रेस व जम्मूतवी से पूना जाने वाली झेलम एक्सप्रेस के पेंट्रीकार में इस लोकल ब्रांड की बोतलों को खुलेआम सप्लाई किया गया।


नहीं बता सके परमिशन के बारे में
एक बार मान भी लें कि लोकल ब्रांड पानी सही है। उसे पीने में इस्तेमाल किया जा सकता है तो फिर उसे रेलवे स्टेशन पर बेचने में क्या दिक्कत है। जबकि इस पानी की पैकिंग स्थानीय स्तर पर की जाती है।

ऐसे में उसे कम खर्चे में ग्वालियर समेत आसपास के स्टेशनों पर सप्लाई किया जा सकता है। जबकि ऐसा हो नहीं रहा। जो पानी प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंधित है उसे ट्रेन के अंदर घुसते ही यात्रियों को पीना ही पड़ेगा। रेलवे की यह किस तरह की रणनीति है। इस बारे में मंडल से लेकर जोनल स्तर के अधिकारी भी बता नहीं पा रहे हैं।



लेबर भी झांकने लगी बगलें
शनिवार की शाम जब पत्रिका टीम ने केरला व झेलम में इस पानी को पेंट्रीकार में चढ़ाते हुए कार्ट्रन के फोटो लिए तो लेबर भी तनाव में आ गई। उनका कहना था कि साहब इस गर्मी में अगर ट्रेन में पानी नहीं भेजेंगे तो यात्री प्यास से परेशान हो जाएंगे। यह कोई नहीं बता सका कि उन्हें ऐसा करने को किसने कहा है।

“एनसीआर द्वारा बीवो पानी के इस्तेमाल व बिक्री पर प्रतिबंध लगे होने के बाद भी पानी अगर बिक रहा है तो यह तो गंभीर मामला है। क्योंकि प्रतिबंध उसी हालत में लगाया जाता है जब कोई चीज नुकसान पहुंचा रही हो। रेलवे प्रशासन को इस बात पर गौर करना चाहिए कि आखिर स्टेशन पर से यह पानी क्यों व कैसे चढ़ाया जा रहा है। जबकि प्लेटफॉर्म पर बिना टिकट के अंदर आना किसी को अलाऊ नहीं है ऐसे में पानी पर किसी की नजर क्यों नहीं है।”
अशोक मिश्रा, सेवानिवृत उप-स्टेशन प्रबंधक ( वाणिज्य)

“पानी के कुछ ब्रांडों पर प्रतिबंध तो लगा है। मैं कॉमर्शियल विभाग के किसी अधिकारी को बोलता हूं कि आखिर ट्रेनों में इस तरह का पानी कैसा चढ़ाया जा रहा है।”
विजय कुमार, सीपीआरओ, एनसीआर

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