ग्वालियर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नोटबंदी के फैसले ने सभी हैरान कर रखा है और देश का कोई भी सेक्टर इससे अछूता नहीं है। नोटबंदी ने ग्वालियर के टूरिज्म सेक्टर को भी खासा प्रभावित किया है। पिछले 20 दिनों की बात करें तो टूरिज्म की चाल बिगड़ी और 9 नवम्बर के बाद के हाल तो और भी खराब है।
पिछले 10 दिनों में 20 फीसदी कम हुआ पर्यटन
पिछले दस दिनों में घरेलू पर्यटकों की संख्या में लग्भग 20 परसेंट की कमी आई है। ग्वालियर फोर्ट घूमने वाले पर्यटकों की संख्या प्रतिदिन कम से कम 600 रहती थी, जो कि 9 नवंबर के बाद से यह संख्या 332 तक पहुंच गई। वहीं गूजरी महल पहुंचने वाले टूरिस्ट की संख्या प्रतिदिन लगभग 50 रहती थी, जो कि इन दिनों 20 से 30 तक ही पहुंच चुकी है। इस बदलाव से कहीं न कहीं शहर का टूरिज्म भी प्रभावित हुआ है।
घूमने में इन्वेस्ट नहीं करना चाहते पर्यटक
टूरिज्म एक्सपर्ट चन्द्रशेखर बरुआ ने बताया कि इस सीजन में ग्वालियर आकर भ्रमण करने वालों की संख्या अधिक रहती है। घरेलू पर्यटकों ने अपने ग्वालियर विजिट का प्लान कैंसिल किया है। क्योंकि जिसके पास जो करेंसी है, वह इस समय घूमने में इन्वेस्ट नहीं करना चाहता।
पुरानी करंसी के कारण लौटे कई टूरिस्ट
देश भर में अपनी पहचान रखने वाले जयविलास पैलेस में इन दस दिनों में कई टूरिस्ट लौट गए। यह प्राइवेट होने की वजह से 500 और 1000 के नोट नहीं लिए जा रहे थे, जबकि फोर्ट, गूजरी महल में यह सुविधा अभी भी दी जा रही है। लौटने वालों में अधिकतर विदेशी पर्यटक हैं।
“करेंसी का असर सिटी टूरिज्म पर भी पड़ा है। अक्टूबर से मार्च तक सीजन रहता है। नवंबर का महीना पर पीक होता है। इसके फस्र्ट वीक से ही प्रतिदिन फोर्ट और गूजरी महल पहुंचने वाले टूरिस्ट की संख्या काफी बढ़ जाती है, जबकि इस बार लगभग 20 परसेंट टूरिस्ट कम हुए हैं।”
एसआर वर्मा, डिप्टी डायरेक्टर राज्य पुरातत्व विभाग
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