देवेन्द्र शर्मा @ ग्वालियर
जीवाजी यूनिवर्सिटी को तीन वर्षीय बीसीए कोर्स में गणित की अनिवार्यता के कारण हर साल लगभग 80 करोड़ रुपए की चपत लग रही है। इसका लाभ प्रदेश के अन्य विश्विद्यालय को मिल रहा है, जिनमें बीसीए में गणित की अनिवार्यता नहीं है। इस कारण अंचल से करीब 32 हजार से अधिक छात्र जेयू के स्थान पर अन्य कॉलेजों में प्रवेश ले रहे हैं। यह सिलसिला सन् 2013 से लगातार जारी है।
दरअसल जेयू प्रबंधन ने यह नियम इसलिए बनाया ताकि आरजीपीवी में चलने वाले एमसीए कोर्स में छात्र एडमिशन ले सकें। लेकिन जिस समय जेयू ने बीसीए में गणित अनिवार्य किया, उसी समय आरजीपीवी ने एमसीए से गणित की अनिवार्यता खत्म कर दी। इसलिए जेयू का यह प्रयास विफल रहा। अब छात्रों को मजबूरन दूसरी यूनिवर्सिटी में जाकर तिगुनी कीमत में बीसीए कोर्स करना पड़ रहा है। फिलहाल जेयू प्रबंधन इस दिशा में मौन है।
55 कॉलेज ने सरेंडर किया कोर्स
बीते दो सालों में अब तक अंचल के 55 से अधिक निजी कॉलेजों ने बीसीए कोर्स सरेंडर कर दिया है। कई और कॉलेज भी कोर्स सरेंडर की तैयारी कर रहे हैं। पहले जिन कॉलेजों में 100 से 125 छात्र एडमिशन लेते थे, अब उनमें 20 से 25 छात्र एडमिशन ले रहे हैं। छात्रों के घटते अनुपात ने कॉलेज संचालकों को कोर्स बंद करने पर मजबूर कर दिया है।
प्रो.कपूर ने खत्म की थीं बंदिशें
जेयू के पूर्व कुलपति प्रो.एके कपूर ने वर्ष 2008 में बीसीए कोर्स से गणित की अनिवार्यता खत्म कर इसे सभी छात्रों के लिए सुलभ कर दिया था। किसी भी विषय का छात्र 12वीं पास कर सीधे बीसीए में एडमिशन ले सकता था, लेकिन वर्ष 2013-14 में आरजीपीवी के एमसीए कोर्स में एडमिशन के लिए इसे फिर से लागू कर दिया। इसी साल आरजीपीवी ने एमसीए से गणित खत्म कर दिया। जिसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ा।
तीन गुना बढ़ी फीस,रहने-खाने का खर्च भी देना होता है अलग से
जेयू से छात्रों को तीन साल का बीसीए करने में 25 से 30 हजार का खर्चा आता है। वहीं अन्य विवि से यह खर्चा 85 से 90 हजार तक पहुंच जाता है। इसमें रहने-खाने का खर्च अलग से देना होता है। जेयू द्वारा गणित की अनिवार्यता से अभिभावकों की जेब तो ढीली हो रही रही है, ऊपर से दूसरे शहर में छात्रों की सुरक्षा की चिंता सिरदर्द बनी हुई है।
बैंक एसएससी में बढ़ी मांग
बीसीए कोर्स की मांग बैंक के साथ एसएससी के फील्ड में काफी बढ़ी है। बीसीए कोर्स इस तरह डिजाइन किया गया है कि सभी विषय के छात्रों को कम्प्यूटर का ज्ञान मिल सके। साथ ही छात्र गणित में कमजोर न रहें, इसलिए बीसीए की प्रत्येक परीक्षा में गणित का एक पेपर अलग से होता है।
निर्णय छात्रहित में
बीसीए में गणित की अनिवार्यता का कदम छात्रहित में लिया गया था। अगर इससे छात्रों को नुकसान है, तो इस नियम को बदलने पर विचार किया जाएगा। हमारा मकसद छात्रों के हित में कोर्स चलाकर उनको सटीक रोजगार दिलाना है।
प्रो.संगीता शुक्ला, कुलपति,जेयू
लिस्ट जारी की
29 कॉलेजों द्वारा बीसीए के साथ अन्य कोर्स सरेंडर करने की लिस्ट हमने पिछले दिनों की जारी की है। बीसीए में एडमिशन नहीं के बराबर है। इसलिए कॉलेजों में यह कोर्स धीरे-धीरे बंद हो रहा है।
प्रो.डीडी अग्रवाल, डीसीडीसी,जेयू
Hindi News / Gwalior / जानिए कैसे गणित की अनिवार्यता लगा रही 80 करोड़ की चपत?