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गाज़ियाबाद

जेएनयू में नया पोस्टर, होली को दलित महिलाआें से दुष्कर्म का त्यौहार बताया

जेएनयू में नया पोस्टर जारी, होली को महिला विरोधी त्यौहार बताया, पोस्टरवार पर भड़के हिंदू स्वाभिमान मंच के संयोजक

गाज़ियाबादMar 30, 2016 / 01:24 pm

Sarad Asthana

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गाजियाबाद। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में अभी देशविरोधी नारों का मामला पूरी तरह से शांत भी नहीं हो पाया कि रोज कोई न कोई नया बखेड़ा खड़ा हो जाता है। अब जेएनयू में होली को लेकर पोस्टर जारी किया गया है। आरोप है कि इसमें होली को महिला विरोध त्यौहार बताया गया है। जेएनयू के पोस्टर वार के इस विवाद ने हिंदू संगठनों के बीच उबाल ला दिया है। हिंदू स्वाभिमान के संयोजक यति नरसिम्हा नंद सरस्वती ने इस पर अपनी नाराजगी जाहिर की है।

कन्हैया कुमार के विवाद के बाद जेएनयू के छात्र कुछ न कुछ ऐसा नया शगूफा छोड़ देते हैं, जिससे विश्वविद्यालय फिर से सुर्खियों में आ जाता है। यूनिवर्सिटी में लगे ‘वॉट इज होली अबाउट होली’ शीर्षक वाले ये नए पोस्टर सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहे हैं। पोस्टर में सवाल उठाया गया है कि होली में पवित्रता जैसी क्या बात है।

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होली को महिला विरोधी त्यौहार बताया


पोस्टर में लिखा है कि इतिहास को देखें तो इस उत्सव के नाम पर दलित महिलाओं का रेप किया जाता रहा है। इस पोस्टर में आगे कहा गया है कि होली का त्योहार महिला मात्र के खिलाफ है। पोस्टर के नीचे फ्लेम्स ऑफ रेजिस्टंस (एफओआर) नाम के संगठन का नाम दर्ज है।

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हिंदुओं के त्यौहारों पर हो रहा हमला

हिंदू स्वाभिमान मंच के संयोजक यति नरसिम्हा नंद सरस्वती के मुताबिक, जेएनयू में हिंदुओं के त्यौहार पर हमले हो रहे हैं। विदेशी धन के जरिए इस तरीके की गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। नारी का अपमान यहां की संस्कृति नहीं है। हम दुष्कर्मियों के पक्षधर नहीं हैं। हिंदुओं को जान बूझकर निशाना बनाया जा रहा है। सरकार और हिंदुओं को जागने की जरूरत है।

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विशेष धर्म के लोग कर रहे हैं देशविरोधी काम

यति नरसिम्हा नंद सरस्वती का कहना है कि विशेष धर्म के लोग ही देशविरोधी काम को यहां के कॉलेजों और जेनयू में फैला रहे हैं। इस तरीके की गतिविधियों ने हिंदुओं में जागरूकता ला दी है। बहुत जल्द ही लोगों को इसका परिणाम भी नजर आने लगेगा।

अपने धर्म के कानून को भी पढ़ लें

पोस्टरवार पर हमला बोलते हुए यति का कहना है कि इस तरीके के लोग पहले अपने इस्लाम धर्म के कानूनों को पढ़ें। जहां पर महिलाओं के लिए कुछ भी कानून नहीं है। औरतों को वहां पर सिर्फ बच्चे पैदा करने की मशीन समझा जाता है। पहले इस्लामिक और अपने आतंकी कानून का चिंतन करें। उसके बाद हिंदुओं के त्यौहारों पर सवाल उठाएं।

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