गाजियाबाद /नोएडा। मिलावटखोरी का खेल इन दिनों जोरों से चल रहा है। मिलावटखोरी का यह बड़ा धंधा अब लोगों की आस्था पर भारी पड़ रहा है। यकीन मानिए पूजा अर्चना में प्रयोग होने वाली कपूर, कलावा से लेकर देशी घी तक मिलावटी आ रहे हैं।
नवरात्र शुरू हो चुके हैं और बाजार में नकली पूजन सामग्री की भरमार है नवरात्र के लिए लोग कपूर और रोली,चंदन की खरीददारी कर रहे हैं। मगर क्या वह शुद्ध कपूर से मां की आरती कर पा रहे हैं? यह एक बड़ा सवाल है। आइए आपको भी बताते हैं कि शहर के बाजारों में किस तरह से पूजा के नाम पर लोगों को नकली सामान बेचा जा रहा है। आप असली और नकली सामान की पहचान किस तरह से कर सकते हैं।
ऐसे करें असली कपूर की पहचान
असली कपूर की पहचान हैं कि यह पेड़ से मिला होता है जो उडऩशील द्रव्य है। कपूर का पौधा इसको जलाने पर यह उड़ जाता है। असली कपूर की पहचान करने का साधारण तरीका है कि कपूर को जलाएं और जलाने के बाद कपूर की राख नजर नहीं आई तो समझें कि वह असली है। अगर कपूर के जलने के बाद काला राख दिखे तो वह नकली है। असली कपूर जलने के साथ पिघल जाता है और उसका कोई भी अंश नहीं दिखता।
मार्केट में बिक रहा है सिंथेटिक कलावा
असली कलावा की पहचान कलावा खरीदने से पहले आप कलावे को तोड़ कर देखें। अगर कलावा जल्दी टूट जाता है तो यह समझना चाहिए कि वह असली है। अगर धागे को तोडऩे में जोर लगाना पड़े तो वह सिंथेटिक धागे से बनाकर तैयार किया गया है, जो हाथ में जिस जगह बांधा जाएगा वहां पर नुकसान पहुंचा सकता है। नकली कलावा में सिंथेटिक रंग होने की वजह से एलर्जी की प्रॉबलम हो सकती है।
सिंदूर भी है नकली
मां के त्योहार में सिंदूर का भी प्रयोग पूजा में किया जाता है। बाजार में कईतरह के सिंदूर मिल रहे हैं लेकिन असली सिंदूर बड़ी मुश्किल से मिल पाता है। असली सिंदूर पेड़ों से मिलता है जबकि लोग सिंथेटिक रंग मिलाकर सिंदूर बना रहे हैं। इसमें खडिय़ा, सिंथेटिक रंग जिसमें लेड का इस्तेमाल किया जाता है मिलाया जा रहा है। असली सिंदूर की पहचान का तरीका है कि सिंदूर को अपनी हथेली में थोड़ा डाले। इसके बाद सिंदूर को फूंक से उड़ाएं। अगर हथेली पर सिंदूर का अंश चिपका रह गया तो वह नकली है और अगर सिंदूर पूरा उड़ गया तो वह असली है।
देसी घी नहीं, ये है वनस्पति घी
बाजार में व्रत के दिनों में देसी की की मांग बढ़ जाती है, मगर इसमें भी धड़ल्ले से मिलावट हो रही है। देसी घी में कई लोग ग्लीसरीन मिला रहे हैं। इसके अलावा वनस्पति घी भी मिलाया जा रहा है। इस घी का उपयोग अगर खाने में किया जाए तो इससे शरीर को नुकसान पहुंच सकता है।
करते रहते हैं समय-समय पर जांच
जिले के मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी का कहना है कि हम समय-समय पर नमूने भरते हैं और जांच करते हैं। कई बार नकली माल निकलने पर कार्रवाई भी की जाती है। खासकर नवरात्र के मौके पर हमारी ओर से पूरी पैनी नजर बनी हुई है। अगर ऐसा कुछ प्रकाश में आता है तो उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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