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न दुल्हन न शादी, अरमान पूरे करने के लिए दूल्हा बन निकाली बारात

यहां हंसी-खुशी के माहौल में दूल्हा भी था, बैंड भी था, नाचने वाले साथी भी और पटाखे भी छूटे

Jun 01, 2015 / 09:01 am

मुकेश शर्मा

jodhpur

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यहां हंसी-खुशी के माहौल में दूल्हा भी था, बैंड भी था, नाचने वाले साथी भी और पटाखे भी छूटे। इन सबके बावजूद यहां दृश्य कुछ जुदा था। शादी कर दुल्हन लाने के लिए बारात तो सभी जगह निकलती है, लेकिन जोधपुर शहर में एक अनूठी बारात ऎसी निकली, जो चर्चा में रही। यहां युवक की शादी न होने पर अरमान पूरे करने के लिए बारात का उत्सव रखा गया।

क्योंकि गरीब होने के कारण उसे कोई लड़की नहीं दे रहा था। तब मित्रों ने बारात उच्छब रख कर इसका खर्च उठाया।

मां से लिपट कर रोने लगा राजू

बारात जब वापस राजू के अस्थाई निवास पर पहुंची तो मां और बेटे ने एक-दूसरे को देखा और उनकी आंखें नम हो गई। राजू घोड़े से उतर कर अपनी मां से लिपटकर रोने लगा। मां ने उसे बस यही कहा कि अब तो तेरी इच्छा पूरी हो गई, थोडा हंस ले।

माली हालत ठीक नहीं थी

राजू सोनी की मां शारदा ने पत्रिका संवाददाता को बताया, बेटा चाहता था कि वह एक बार दूल्हा बने और उसकी भी बारात निकले। माली हालत ठीक नहीं होने के कारण उन्हें कोई लड़की नहीं दे रहा था। इसके चलते सावों के सीजन में राजू के दोस्तों और उसकी मां ने निश्चय किया कि उसकी भी पूरे रीति-रिवाजों के साथ बारात निकले। इसके लिए राजू के साथ काम करने वाले लोगों ने पेसे इकटे कर इस आयोजन का खर्चा उठाया।

गुजारा नहीं होता तो दुल्हन कैसे लाएं?

राजू की मां से इस बारे में बात करने पर उसने बताया कि जब हमारे दो वक्त की रोटी का गुजारा मुश्किल से होता है तो फिर दुल्हन कैसे लाएं। इसलिए हमने यह कार्य किया। हमारी स्थिति तो ऎसी है कि हम लोग बेटे की शादी करवा सके।

वरना किस मां को अच्छा लगेगा कि उसका बेटा इस तरह से दूल्हा बने। राजू की मां ने बताया कि राजू के पिता के गुजर जाने के बाद हमारी आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा कमजोर हो गई। राजू और उसका छोटा भाई मुकेश कुछ काम करते हैं तो गुजारा हो जाता है।

ऎसा था समां

यहां मां ने बेटे को तिलक लगा कर घोड़े पर बैठाया, बहन ने घोड़े की पूजा की और बारातियों का स्वागत भी किया गया। उसके बाद कागा स्थित उनके अस्थाई निवास स्थान से बारात रवाना हुई। यहां वे किसी के घर में रह रहे हैं।

आम तौर पर बेटी की विदाई पर तो घर वालों के आंसू निकलते हैं, लेकिन यहां वर पक्ष रो रहा था। मां की आंखों में आंसू आ गए। बहन संगीता और उसके छोटा भाई की आंखें भी नम हो गईं। बारात बाकायदा नागौरी गेट से होती हुई किला रोड तक जाकर अपने बसेरे में लौट आई।

सौरभ पुरोहित

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